शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान क्रिप्टो करेंसी घोटाले और एनडीपीएस एक्ट के तहत दो साल में की गई कार्रवाई को लेकर शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया ने सवाल पूछा था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में इसका जवाब दिया
सवाल का जवाब देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि, 'बीते दो सालों से 30 नवंबर 2024 तक क्रिप्टो करेंसी घोटाले के 12 मामले और NDPS के तहत 3 हजार 779 मामले दर्ज किए गए हैं. क्रिप्टो करेंसी घोटाले में 78 और NDPS के तहत 5 हजार 717 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मिली जानकारी के मुताबिक, क्रिप्टो करेंसी घोटाले में गिरफ्तार किए गए 78 आरोपियों में से 74 हिमाचली और चार गैर हिमाचली हैं. गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से 73 के खिलाफ चालान तैयार कर न्यायालय में भेजे गए हैं, जो फिलहाल विचाराधीन हैं.
3 हजार 170 अभियोग कोर्ट में विचाराधीन
वहीं, NDPS के तहत गिरफ्तार किए गए 5 हजार 717 अपरोपियों में से 4 हजार 417 हिमाचली और 1 हजार 300 गैर हिमाचली हैं. पंजीकृत 3 हजार 779 अभियोगों में से 443 अभियोग अन्वेषण के अधीन हैं, जबकि 3 हजार 336 अभियोगों में आरोपियों के खिलाफ चालन तैयार कर कोर्ट को भेजे गए हैं. विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक पुलिस की ओर से कोर्ट में भेजे गए कुल 3 हजार 336 मामलों में से 166 अभियोगों का निपटारा हो चुका है. अन्य 3 हजार 170 अभियोग अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं. इसके साथ ही चार आरोपियों के खिलाफ PIT-NDPS अधिनियम के तहत डिटेंशन आदेश पारित किए गए हैं.
क्रिप्टो करेंसी घोटाले में कुल 37 करोड़ की संपत्ति जब्त
बीते दो सालों में क्रिप्टो करेंसी घोटाले में पंजीकृत कुल 12 मामलों में से एक मामले में अभियोग संख्या 120/2023 पुलिस थाना पालमपुर में कुल 37 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है. इसमें 35 करोड़ 29 लाख 93 हजार अचल संपत्ति और 1 करोड़ 70 लाख 7 हजार रुपए की चल संपत्ति शामिल है. NDPS के तहत पंजीकृत मामलों में बीते दो सालों में कुल 13 करोड़ 79 लाख 81 हजार 990 रुपए की चल और अचल संपत्ति जब्त की गई है. इसके अलावा 241.2 ग्राम सोना और 1207 ग्राम चांदी भी जब्त किया किया गया है.
करोड़ों रुपये का घोटाला था क्रिप्टो करेंसी
बता दें कि हिमाचल में बीते साल क्रिप्टो करेंसी घोटाला सामने आया था. इसमें 2.5 लाख लोगों से करीब 2000 करोड़ की ठगी हुई थी. वहीं, क्रिप्टो करेंसी के नाम पर निवेश करने वाले लोगों के करीब 400 करोड़ डूब गए थे. इस मामले में पहली एफआईआर 24 सितंबर को पालमपुर थाना में दर्ज हुई थी. उसके बाद इस फ्रॉड की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी.
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