श्रीनगर: हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय (एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी) के 6 प्रोफेसर दुनिया के टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शमिल हुए हैं. यह सूची स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका की ओर से जारी की जाती है, जिसमें वैज्ञानिकों को उनके शोध पत्रों और पेटेंट के आधार पर स्थान दिया जाता है.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका की तरफ पर जारी टॉप वैज्ञानिकों की सूची में एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी के टिहरी परिसर के भौतिकी विभाग के प्रो. आरसी रमोला, श्रीनगर के चौरास परिसर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. आरके मैखुरी, बिरला परिसर के बायोकैमिस्ट्री विभाग की डॉ. मनीषा निगम, जंतु विज्ञान विभाग के प्रो. एके अग्रवाल और फार्मा विभाग के दो प्रोफेसर डॉ. अजय सेमल्टी और डॉ. भूपेंद्र शामिल हैं.
विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल गढ़वाल विश्वविद्यालय के फार्मा विभाग के डॉ. अजय सेमल्टी ने ईटीवी भारत से इस उपलब्धि के संबंध में बातचीत की. डॉ. अजय सेमल्टी ने बताया कि इस सूची में गढ़वाल विश्वविद्यालय के 6 प्रोफेसर शामिल हैं, जो विश्वविद्यालय के लिए बड़े गर्व का पल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय व प्रोफेसरों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
डॉ. अजय सेमल्टी ने बताया कि वो उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय पौधों पर शोध कर रहे हैं, जो खान-पान से होने वाले मोटापे को कम करने में सहायक हैं. मोटापा कई प्रकार का होता है, लेकिन डॉ. सेमल्टी ने विभिन्न प्रकार के खान-पान से उत्पन्न मोटापे पर विशेष रूप से काम किया है.
साथ ही उन्होंने एलोपेशिया (बाल झड़ने) पर भी शोध किया है. उनके शोध के आधार पर साल 2012, 2019 और 2023 में पेटेंट फाइल किए गए थे. इसके अलावा वो एक और स्टैंडर्ड पेटेंट फाइल करने जा रहे हैं, जो फिलहाल प्रक्रिया में है. सुविधाओं के अभाव के बावजूद वे लगातार अपने काम में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने शोध कार्य को जारी रखता है. साथ ही उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को विश्वविद्यालय की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित किया.
गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर अन्य प्रोफेसरों ने भी खुशी व्यक्त की. भूगर्भ विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट ने भी इस उपलब्धि पर अपनी प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने कहा कि विवि के शोध कार्य में ये उपलब्धि आने वाले युवा अध्यापकों के लिए प्रेरणा स्रोत्र बनेंगे. इससे विवि शोध कार्य में ओर भी आगे बढ़ेगा. इससे देश और प्रदेश दोनों ही विकास के पथ पर आगे बढ़ेंगे.
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