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'आज का दिन समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा', उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड - UCC IN UTTARAKHAND

यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना, दो साल में बनकर तैयार हुई यूसीसी की नियमावली. UCC IN UTTARAKHAND

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुआ (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 27, 2025, 12:44 PM IST

Updated : Jan 27, 2025, 4:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी लागू हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सोमवार 27 जनवरी 2025 को यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च कर दिया है. ऐसे में अब उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रभावी हो गया है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां यूसीसी लागू हो गया है. ऐसे में यूसीसी नियमावली में दिए गए प्रावधान के अनुरूप ही विवाह रजिस्ट्रेशन, तलाक पंजीकरण, वसीयत, समेत तमाम प्रक्रियाएं की जाएंगी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने ये घोषणा की है कि आज का दिन राज्य में समान नागरिक संहिता के रूप में मनाया जाएगा.

सबसे पहला रजिस्ट्रेशन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने करवाया: UCC पोर्टल पर सबसे पहला रजिस्ट्रेशन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने करवाया है. मुख्य सचिव ने सीएम को पहला प्रमाण पत्र भी सौंपा है. इसके अलावा 5 नायक/नायिकाओं को भी प्रमाण पत्र दिए गए हैं. जिनके नाम- निकिता नेगी रावत, मनोज रावत, अंजना रावत, मीनाक्षी और अंजलि हैं.

यूसीसी लागू करने के लिए देहरादून में आयोजित हुआ कार्यक्रम (VIDEO- ETV Bharat)

उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी: आज सोमवार 27 जनवरी को यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया. ऐसे में यूसीसी नियमावली लागू होने के साथ ही अब उत्तराखंड राज्य में विवाह रजिस्ट्रेशन और लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य हो गया है.

सभी पर्सनल लॉ को सुपरसीड करेगा यूसीसी: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद अब यूसीसी का एक्ट सभी पर्सनल लॉ को सुपरसीड करेगा. यानी यूसीसी एक्ट में अगर कोई व्यवस्था दी गई है, तो उस सीमा तक जो पर्सनल लॉ या फिर कोई अन्य लॉ हैं, वो निष्प्रभावी हो गए हैं. उनकी जगह पर यूसीसी लागू हो गया है. दरअसल, जो रूल्स बनाए गए हैं, वो एक्ट के अनुसार ही बनाए गए हैं. ऐसे में एक्ट के किसी भी प्रोविजन को डाइल्यूट कर दे ये पावर रूल मेकिंग प्रोसेस में नहीं होती है, यानी एक्ट हमेशा सुपरसीड करेगा.

यूसीसी नियमावली तैयार करने के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि-

नियमावली बनाने के लिए तमाम अध्ययन किए गए. जिसके तहत लॉ कमीशन की रिपोर्ट समेत तमाम रिपोर्ट को पढ़कर जानकारी हासिल की गई. कमेटी के तीन सदस्यों ने पूरे राज्य का दौरा किया था. लोगों से बात कर सुझाव भी लिए. साथ ही नियमावली में ये प्रावधान किए गये हैं कि टाइम बॉन्ड तरीके से कार्रवाई हो. एक्ट लागू होने से पहले जिन लोगों ने बहु विवाह किया है, उनको भी विवाह रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है. यूजर फ्रेंडली प्रक्रियाएं बनाने पर जोर दिया गया है. यूसीसी पोर्टल को अन्य विभागों के साथ लिंक किया गया है, ताकि डाटा बेस बनाया जा सके. यूसीसी पोर्टल को अन्य विभागों के साथ लिंक किया गया, ताकि डेटा बेस बनाया जा सके. लोगों की सुविधा के लिए रियल टाइम डेटाबेस तैयार करने के साथ ही जानकारी को समय-समय पर अपडेट करने की भी सुविधा दी गई है.
-शत्रुघ्न सिंह, यूसीसी कमेटी के अध्यक्ष-

यूसीसी नियमावली हाइलाइट

दायरा– अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू

प्राधिकार– यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. जबकि नगर पंचायत, नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे

नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे. छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे.

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी पोर्टल लॉन्च करते सीएम धामी (PHOTO- ETV BHARAT)

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य

यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं, तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा. इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे.

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी लागू (PHOTO- ETV BHARAT)

रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना. लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे.

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना

समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना

विवाह पंजीकरण

26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा

संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा

आवेदकों के अधिकार

यदि सब रजिस्ट्रार - रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है

सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है

रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है

अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या एप के माध्यम से दायर हो सकेंगी

लिव इन

संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिव इन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुआ (PHOTO- ETV BHARAT)

लिव इन समाप्ति

एक या दोनों साथी ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त कर सकते हैं. यदि एक ही साथी आवेदन करता है, तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा

यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है, तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी. बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा

विवाह विच्छेद

तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी पेश करनी होगी

वसीयत आधारित उत्तराधिकार

वसीयत तीन तरह से हो सकेगी. पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए


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देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी लागू हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सोमवार 27 जनवरी 2025 को यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च कर दिया है. ऐसे में अब उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रभावी हो गया है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां यूसीसी लागू हो गया है. ऐसे में यूसीसी नियमावली में दिए गए प्रावधान के अनुरूप ही विवाह रजिस्ट्रेशन, तलाक पंजीकरण, वसीयत, समेत तमाम प्रक्रियाएं की जाएंगी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने ये घोषणा की है कि आज का दिन राज्य में समान नागरिक संहिता के रूप में मनाया जाएगा.

सबसे पहला रजिस्ट्रेशन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने करवाया: UCC पोर्टल पर सबसे पहला रजिस्ट्रेशन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने करवाया है. मुख्य सचिव ने सीएम को पहला प्रमाण पत्र भी सौंपा है. इसके अलावा 5 नायक/नायिकाओं को भी प्रमाण पत्र दिए गए हैं. जिनके नाम- निकिता नेगी रावत, मनोज रावत, अंजना रावत, मीनाक्षी और अंजलि हैं.

यूसीसी लागू करने के लिए देहरादून में आयोजित हुआ कार्यक्रम (VIDEO- ETV Bharat)

उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी: आज सोमवार 27 जनवरी को यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया. ऐसे में यूसीसी नियमावली लागू होने के साथ ही अब उत्तराखंड राज्य में विवाह रजिस्ट्रेशन और लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य हो गया है.

सभी पर्सनल लॉ को सुपरसीड करेगा यूसीसी: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद अब यूसीसी का एक्ट सभी पर्सनल लॉ को सुपरसीड करेगा. यानी यूसीसी एक्ट में अगर कोई व्यवस्था दी गई है, तो उस सीमा तक जो पर्सनल लॉ या फिर कोई अन्य लॉ हैं, वो निष्प्रभावी हो गए हैं. उनकी जगह पर यूसीसी लागू हो गया है. दरअसल, जो रूल्स बनाए गए हैं, वो एक्ट के अनुसार ही बनाए गए हैं. ऐसे में एक्ट के किसी भी प्रोविजन को डाइल्यूट कर दे ये पावर रूल मेकिंग प्रोसेस में नहीं होती है, यानी एक्ट हमेशा सुपरसीड करेगा.

यूसीसी नियमावली तैयार करने के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि-

नियमावली बनाने के लिए तमाम अध्ययन किए गए. जिसके तहत लॉ कमीशन की रिपोर्ट समेत तमाम रिपोर्ट को पढ़कर जानकारी हासिल की गई. कमेटी के तीन सदस्यों ने पूरे राज्य का दौरा किया था. लोगों से बात कर सुझाव भी लिए. साथ ही नियमावली में ये प्रावधान किए गये हैं कि टाइम बॉन्ड तरीके से कार्रवाई हो. एक्ट लागू होने से पहले जिन लोगों ने बहु विवाह किया है, उनको भी विवाह रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है. यूजर फ्रेंडली प्रक्रियाएं बनाने पर जोर दिया गया है. यूसीसी पोर्टल को अन्य विभागों के साथ लिंक किया गया है, ताकि डाटा बेस बनाया जा सके. यूसीसी पोर्टल को अन्य विभागों के साथ लिंक किया गया, ताकि डेटा बेस बनाया जा सके. लोगों की सुविधा के लिए रियल टाइम डेटाबेस तैयार करने के साथ ही जानकारी को समय-समय पर अपडेट करने की भी सुविधा दी गई है.
-शत्रुघ्न सिंह, यूसीसी कमेटी के अध्यक्ष-

यूसीसी नियमावली हाइलाइट

दायरा– अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू

प्राधिकार– यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. जबकि नगर पंचायत, नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे

नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे. छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे.

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी पोर्टल लॉन्च करते सीएम धामी (PHOTO- ETV BHARAT)

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य

यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं, तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा. इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे.

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी लागू (PHOTO- ETV BHARAT)

रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना. लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे.

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना

समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना

विवाह पंजीकरण

26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा

संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा

आवेदकों के अधिकार

यदि सब रजिस्ट्रार - रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है

सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है

रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है

अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या एप के माध्यम से दायर हो सकेंगी

लिव इन

संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिव इन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा

UCC IMPLEMENTED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुआ (PHOTO- ETV BHARAT)

लिव इन समाप्ति

एक या दोनों साथी ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त कर सकते हैं. यदि एक ही साथी आवेदन करता है, तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा

यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है, तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी. बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा

विवाह विच्छेद

तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी पेश करनी होगी

वसीयत आधारित उत्तराधिकार

वसीयत तीन तरह से हो सकेगी. पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए


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Last Updated : Jan 27, 2025, 4:26 PM IST
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