जयपुर: शहर की कच्ची बस्तियों में रह रहे घुमंतू, अर्द्ध घुमंतू और विमुक्त जाति के लोगों ने अब उन्हीं कच्ची बस्तियों में पट्टा देने की सरकार से मांग की है. मानवाधिकार दिवस के मौके पर जयपुर में रह रही 18 घुमंतू जातियों के 50000 परिवारों ने एक सुर में स्थाई पट्टा देने की मांग की.
सपेरा, सांसी, बागड़ी, कठपुतली, गाड़िया-लोहार जैसी घुमंतू जातियों ने राज्य सरकार से शहर की कच्ची बस्तियों का पीटी सर्वे कराकर स्थाई पट्टे देने की मांग उठाई है. मंगलवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर जयपुर की यूथ हॉस्टल में विभिन्न घुमंतू जातियों के प्रतिनिधि जुटे. इस दौरान गुर्जर की थड़ी के नजदीक बाबा रामदेव नगर विकास समिति के अध्यक्ष प्रेम ने बताया कि जयपुर शहर में गुर्जर की थड़ी, महापुरा, मानसरोवर, कठपुतली नगर, भोजपुर, आंगनवाड़ी, लूणियावास जैसी कच्ची बस्तियां हैं. जहां कहीं 250, तो कहीं 500 परिवार सालों से रह रहे हैं. लेकिन उनकी सुध नहीं ली गई. अब सरकार से उम्मीद है कि वो गरीबों की पुकार सुनेगी और उन्हें उसी जगह का पट्टा देगी, जहां वो रह रहे हैं.
वहीं गोनेर रोड गुलाब नगर स्थित सपेरों की बस्ती में रहने वाले अंतरनाथ सपेरा ने बताया कि उनकी बस्ती करीब 50 साल पहले बसी थी. यहां पट्टों को लेकर सालों से मांग की जा रही है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. अब भू माफिया और प्रॉपर्टी डीलर नकली पट्टे लाकर इन परिवारों को परेशान कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा. ऐसे में अब भजनलाल सरकार से यही मांग है कि उन्हें स्थाई पट्टा दिया जाए ताकि घुमंतू समाज को बराबरी का हक मिल सके.
वहीं भारत जोड़ो मिशन सोसाइटी के अध्यक्ष अनीष कुमार ने बताया कि जयपुर जिला कलेक्टर ने जयपुर शहर की कच्ची बस्तियों को लेकर जो आदेश दिया है, उसमें सर्वे का जिक्र तो है, लेकिन जो कच्ची बस्तियां 50 सालों से एक ही जमीन (सरकारी या निजी खातेदारी) पर बसी हुई है, उसे वहीं पट्टे देने की योजना को शामिल नहीं किया गया है. मानवाधिकार दिवस पर अब घुमंतू समाज के लोगों की यही मांग कर रहे हैं कि जो लोग जिस जगह पर बसे हुए हैं, उन्हें वहीं पट्टे देने के लिए उनके पीटी सर्वे और नक्शे निर्धारण करने का कार्य भी शुरू किया जाए.