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नोएडा रेव पार्टी में शामिल 5 नाबालिगों को जमानत मिली, पॉक्सो समेत कई धाराएं हटाई गईं - Noida Rave Party Case

नोएडा रेव पार्टी में शामिल 5 नाबालिगों को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बड़ी राहत दे दी. बोर्ड ने जमानत देने के साथ-साथ पॉक्सो समेत कई आरोपों की धाराओं को हटा दिया. पढ़ें पूरी खबर...

सुपरनोवा सोसायटी के फ्लैट में छापेमारी कर नोएडा पुलिस ने 35 स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया था.
सुपरनोवा सोसायटी के फ्लैट में छापेमारी कर नोएडा पुलिस ने 35 स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया था. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 12, 2024, 8:53 PM IST

नोएडा: नोएडा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने सेक्टर 94 स्थित सुपरनोवा सोसायटी के फ्लैट में रेव पार्टी के आयोजन के आरोप में गिरफ्तार पांच नाबालिगों को अंतरिम जमानत दे दी. जेजेबी की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट आकृति और जुडिशियल मेंबर अरुण गुप्ता ने पांचों नाबालिगों को 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. जेजेबी ने नाबालिगों पर नोएडा पुलिस की ओर से लगाई गई कई धाराओं को भी हटाने का आदेश दिया.

नोएडा जेजेबी ने नाबालिगों के किशोर घोषित होने की कार्यवाही और सामाजिक अन्वेषण होने तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. बोर्ड ने नाबालिगों को उनके अभिभावकों को निर्देश दिया कि वे उनकी देखरेख करेंगे. अभिभावक उनकी उचित शिक्षा और सलाह देने के अलावा आपराधिक गतिविधियों से दूर रखेंगे. नोएडा पुलिस ने नाबालिगों को जेजेबी में पेश किया था.

नोएडा पुलिस ने नाबालिगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 292, यूपी आबकारी कानून की धारा 60 और 63, तंबाकू नियंत्रण कानून की धारा 7, 8 और 22, एनडीपीएस एक्ट की धारा 21 और 22, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 77 और 83, पॉक्सो एक्ट की धारा 21(1) और अनैतिक व्यापार रोकथाम कानून की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज किया था.

बोर्ड ने इन धाराओं को हटायाः जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ चिलम मिला था, लेकिन कोई भी मादक पदार्थ की बरामदगी नहीं हुई थी. उसके बाद बोर्ड ने नाबालिगों के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 21 और 22 हटाने का निर्देश दिया. जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ किसी दूसरे बच्चे को मादक पदार्थ देने का कोई साक्ष्य नहीं है. उसके बाद नाबालिगों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस कानून की धारा 77 को हटाने का निर्देश दिया.

जुवेनाइल जस्टिस कानून की धारा 83(2) बालिगों का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किए जाने से संबंधित है. जांच अधिकारी से पूछने पर वो ये नहीं बता सके कि इन बच्चों पर ये धारा कैसे लगी. जेजेबी ने जुवेनाइल जस्टिस कानून की धारा 83 को भी हटाने का आदेश दिया. जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ पुलिस ये नहीं बता पायी कि उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21(1) क्यों लगाई गई? जबकि इस कानून में प्रावधान है कि कोई नाबालिग ये शिकायत करे कि उसके खिलाफ अपराध हुआ है. इस मामले में किसी नाबालिग ने कोई शिकायत नहीं की है.

गलत लगाई गई धाराः जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ अनैतिक व्यापार निरोधक कानून की धारा 3 और 5 भी गलत तरीके से लगाया गया है. पेशी के दौरान जांच अधिकारी वेश्यावृति का कोई सबूत नहीं दे सके. अनैतिक व्यापार निरोधक कानून की धारा 3 और 5 का प्रावधान वेश्यालय के लिए है. जेजेबी ने पाया कि नोएडा पुलिस ने मौके से 17 शराब की बोतलें और एक चिलम बरामद किया था. इसके अलावा तंबाकू का कोई उत्पाद बरामद नहीं किया गया था.

जेजेबी ने कहा कि तंबाकू नियंत्रण कानून की धारा 7, 8 और 22 सिगरेट और तंबाकू उत्पाद पर चेतावनी से जुड़ी होती है. ऐसे में सिगरेट के पैकेट और चिलम की बरामदगी इन आरोपों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. बोर्ड ने कहा कि ये नाबालिग बच्चे कुछ पैसे देकर पार्टी में शामिल हुए थे और शराब पीकर हंगामा कर रहे थे. ऐसे में इन नाबालिगों के खिलाफ केवल भारतीय न्याय संहिता की धारा 292 और यूपी आबकारी कानून की धारा 60 और 63 ही बनता है.

यह भी पढ़ेंः नोएडा: सुपरनोवा बिल्डिंग में चल रही थी रेव पार्टी, पुलिस ने छापा मारकर 35 छात्र-छात्राओं को हिरासत में लिया

यह भी पढ़ेंः नोएडाः स्टूडेंट्स की पार्टी में हो रहा था जमकर हुड़दंग, एंट्री के लिए थी फीस, जानिए- कैसा खुला मामला

नोएडा: नोएडा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने सेक्टर 94 स्थित सुपरनोवा सोसायटी के फ्लैट में रेव पार्टी के आयोजन के आरोप में गिरफ्तार पांच नाबालिगों को अंतरिम जमानत दे दी. जेजेबी की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट आकृति और जुडिशियल मेंबर अरुण गुप्ता ने पांचों नाबालिगों को 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. जेजेबी ने नाबालिगों पर नोएडा पुलिस की ओर से लगाई गई कई धाराओं को भी हटाने का आदेश दिया.

नोएडा जेजेबी ने नाबालिगों के किशोर घोषित होने की कार्यवाही और सामाजिक अन्वेषण होने तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. बोर्ड ने नाबालिगों को उनके अभिभावकों को निर्देश दिया कि वे उनकी देखरेख करेंगे. अभिभावक उनकी उचित शिक्षा और सलाह देने के अलावा आपराधिक गतिविधियों से दूर रखेंगे. नोएडा पुलिस ने नाबालिगों को जेजेबी में पेश किया था.

नोएडा पुलिस ने नाबालिगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 292, यूपी आबकारी कानून की धारा 60 और 63, तंबाकू नियंत्रण कानून की धारा 7, 8 और 22, एनडीपीएस एक्ट की धारा 21 और 22, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 77 और 83, पॉक्सो एक्ट की धारा 21(1) और अनैतिक व्यापार रोकथाम कानून की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज किया था.

बोर्ड ने इन धाराओं को हटायाः जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ चिलम मिला था, लेकिन कोई भी मादक पदार्थ की बरामदगी नहीं हुई थी. उसके बाद बोर्ड ने नाबालिगों के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 21 और 22 हटाने का निर्देश दिया. जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ किसी दूसरे बच्चे को मादक पदार्थ देने का कोई साक्ष्य नहीं है. उसके बाद नाबालिगों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस कानून की धारा 77 को हटाने का निर्देश दिया.

जुवेनाइल जस्टिस कानून की धारा 83(2) बालिगों का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किए जाने से संबंधित है. जांच अधिकारी से पूछने पर वो ये नहीं बता सके कि इन बच्चों पर ये धारा कैसे लगी. जेजेबी ने जुवेनाइल जस्टिस कानून की धारा 83 को भी हटाने का आदेश दिया. जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ पुलिस ये नहीं बता पायी कि उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21(1) क्यों लगाई गई? जबकि इस कानून में प्रावधान है कि कोई नाबालिग ये शिकायत करे कि उसके खिलाफ अपराध हुआ है. इस मामले में किसी नाबालिग ने कोई शिकायत नहीं की है.

गलत लगाई गई धाराः जेजेबी ने पाया कि नाबालिगों के खिलाफ अनैतिक व्यापार निरोधक कानून की धारा 3 और 5 भी गलत तरीके से लगाया गया है. पेशी के दौरान जांच अधिकारी वेश्यावृति का कोई सबूत नहीं दे सके. अनैतिक व्यापार निरोधक कानून की धारा 3 और 5 का प्रावधान वेश्यालय के लिए है. जेजेबी ने पाया कि नोएडा पुलिस ने मौके से 17 शराब की बोतलें और एक चिलम बरामद किया था. इसके अलावा तंबाकू का कोई उत्पाद बरामद नहीं किया गया था.

जेजेबी ने कहा कि तंबाकू नियंत्रण कानून की धारा 7, 8 और 22 सिगरेट और तंबाकू उत्पाद पर चेतावनी से जुड़ी होती है. ऐसे में सिगरेट के पैकेट और चिलम की बरामदगी इन आरोपों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. बोर्ड ने कहा कि ये नाबालिग बच्चे कुछ पैसे देकर पार्टी में शामिल हुए थे और शराब पीकर हंगामा कर रहे थे. ऐसे में इन नाबालिगों के खिलाफ केवल भारतीय न्याय संहिता की धारा 292 और यूपी आबकारी कानून की धारा 60 और 63 ही बनता है.

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