जयपुर. पक्षियों के संरक्षण के लिए जन जागृति बढ़ाने के लिए राजधानी जयपुर स्थित मानसागर झील की पाल पर 27वां भारतीय पक्षी मेले का आयोजन किया जा रहा है. साथ ही स्थानीय व प्रवासी पक्षियों को मानसागर झील की पाल पर गिना जा रहा है. इस बार मेले का उद्देश्य रिवाइल्डिंग यानी प्रकृति को वापस अपने घर मे लाना है. दो दिवसीय इंडियन बर्डिंग फेयर को देखने के लिए भारी संख्या में स्कूली बच्चे पहुंच रहे हैं, जिन्हें दूरबीन व टेलीस्कोप के जरिए प्रवासी पक्षियों को दिखाया गया. वहीं, यहां पहुंचे लोगों ने साइबेरिया, रशिया, यूरोप और मंगोलिया से आए प्रवासी पक्षियों को निहारा.
वन विभाग और टीडब्ल्यूएसआई की ओर से 9 फरवरी से 10 फरवरी तक दो दिवसीय पक्षी मेले का आयोजन किया जा रहा है. प्रदेश भर के कई पक्षी अभ्यारणों से पक्षी विशेषज्ञ मानसागर झील की पाल पर पक्षी मेले में पहुंचे. मेले में स्कूली बच्चों को अलग-अलग प्रजातियों के पक्षियों को दिखाकर उनके बारे में जानकारी दी गई. साथ ही यहां बच्चों के लिए पेंटिंग और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
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ये है मेले के आयोजन का मुख्य उद्देश्य : एक्सपर्ट डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि चिड़ियों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार लोग नागरिक हैं. स्कूलों के स्टूडेंट और टीचर्स पक्षी मेले को सफल बना रहे हैं. इस बार मेले का उद्देश्य रिवाइल्डिंग यानी प्रकृति को वापस घर लाना है. हमारा घर और हमारा शहर अब प्राकृतिक होता जा रहा है. यही संदेश हम पक्षी मेले के जरिए दे रहे हैं. यहां पर आने वाले स्टूडेंट व लोग ज्ञान लेकर जा रहे हैं, जो स्कूल, कॉलेज, मंदिर, घर और बाजार में नहीं मिलता है. हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो वातावरण संरक्षण में अपना योगदान दे.
मानसागर झील के प्रदूषित होने से घटी पक्षियों की संख्या : डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मानसागर झील दिनों दिन प्रदूषित होती जा रही है. विदेश से आने वाले माइग्रेटिव बर्ड्स की संख्या एक चौथाई रह गई है. यहां पर प्रजनन करने वाली देसी चिड़ियों की संख्या भी आधी रह गई है. साथ ही झील का पानी भी अब बदबूदार होता जा रहा है. इसके लिए जयपुर म्युनिसिपैलिटी, जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी और राजस्थान गवर्नमेंट जिम्मेदार है. टीडब्ल्यूएसआई के प्रेसिडेंट आनंद मिश्रा ने बताया कि 27वें पक्षी मेले का आयोजन किया गया है. इस बार रिवाइल्ड थीम पर पक्षी मेले का आयोजन किया गया है. यहां बच्चों को पक्षियों और उनकी विभिन्न प्रजातियों के बारे में जानकारियां दी गई.
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नाहरगढ़ वन, वन्यजीव सुरक्षा व सेवा समिति के प्रेसिडेंट राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि इस बार विदेशी पक्षी बहुत कम संख्या में देखने को मिले हैं. इसका एक कारण मानसागर झील का प्रदूषित होना है. साथ ही झील पर सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दूसरा कारण कंजर्वेशन की कमी है. इसकी वजह से भी पक्षियों का आगमन काम हुआ है. दूषित पानी से पक्षियों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. बर्ड फेयर से पहले झील में ट्रीटमेंट प्लांट लगना चाहिए था. झील के पानी को साफ रखना चाहिए. नगर निगम ने मानसागर झील में सीवरेज लाइन कनेक्शन डाल रखा है. ऐसे में पक्षी भला कैसे स्वस्थ रहेंगे?
इको रेस्क्यूअर्स फाउंडेशन के सेक्रेटरी डॉ. गौरव ने बताया कि बर्ड फेयर बहुत अच्छा रहा है. काफी संख्या में बच्चे बर्ड फेयर में शामिल हुए. पेंटिंग प्रतियोगिता में बच्चों ने काफी उत्साह से भाग लिया. झील में विदेशी मेहमान भी देखने को मिले हैं. पक्षियों के संरक्षण को लेकर जागरूकता संबंधी जानकारियां बच्चों को दी गई है. उन्होंने आगे कहा कि हम पूरे साल पक्षियों के संरक्षण को लेकर कार्य करते हैं. लोगों को भी जागरूक करते हैं. जनवरी में पतंगबाजी के समय पक्षियों को घायल होने से बचने का प्रयास किया जाता है और घायल पक्षियों का इलाज कराते हैं. वहीं, गर्मी के समय पक्षियों के लिए घर और पिंजरे वितरित करते हैं. इसके बाद जून-जुलाई में पक्षियों के लिए पेड़ पौधे लगाने का काम किया जाता है.