अलवर: जिस उम्र में अधिकांश युवा भविष्य के सपनों का ताना-बाना बुनने में लगे रहते हैं, अलवर जिले के बड़ोदामेव की 21 वर्षीय कनिष्का जैन ने मोक्ष की राह पर चलने का निर्णय लिया है. पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं कनिष्का को दीक्षा लेने की प्रेरणा नीट की तैयारी के दौरान महेंद्र मुनि के एक व्याख्यान से मिली. इस व्याख्यान ने कनिष्का को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर वैराग्य का मार्ग अपनाने का निश्चय कर लिया.
कनिष्का के इस फैसले में उनकी मां मधु जैन का भी विशेष योगदान रहा. हालांकि, शुरुआत में उनके परिवार ने इस निर्णय का विरोध किया, लेकिन कनिष्का की दृढ़ इच्छा देखकर उनकी मां ने उनका साथ दिया. अब कनिष्का आगामी 11 दिसंबर को जोधपुर में आचार्य भगवंत हीराचंद महाराज के सानिध्य में दीक्षा लेंगी.
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भरतपुर की मूल निवासी : कनिष्का का परिवार मूल रूप से भरतपुर जिले के कुम्हेर कस्बे का रहने वाला है और वर्तमान में अलवर के बड़ोदामेव में निवास करता है. उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई है, जो बीएससी की पढ़ाई कर रहा है. पिता पवन जैन ने बताया कि कनिष्का ने पढ़ाई के दौरान ही सांसारिक जीवन को त्यागने का मन बना लिया था. कनिष्का ने 10वीं में 75% और 12वीं में साइंस स्ट्रीम से 85% अंक प्राप्त किए थे.
मां बनी प्रेरणा : कनिष्का की मां मधु जैन ने बताया कि उन्होंने पहले अपनी बेटी को दीक्षा लेने से मना किया था, लेकिन कनिष्का की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैराग्य की ओर झुकाव को देखकर उन्हें इस निर्णय में सहमति देनी पड़ी. मधु जैन ने यह भी साझा किया कि वह स्वयं जैन साध्वी बनने की इच्छा रखती थीं, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उनका सपना अधूरा रह गया.
युवा पीढ़ी के लिए संदेश : कनिष्का जैन ने युवा पीढ़ी से अपने धर्म और संस्कृति को बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि युवाओं को भौतिकता की चकाचौंध से दूर रहकर अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "अब मेरे जीवन का उद्देश्य सांसारिक मोह त्यागकर मोक्षगामी मार्ग पर चलना है."
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धूमधाम से निकली वरघोड़ा यात्रा : कम उम्र में जैन साध्वी बनने जा रही कनिष्का जैन के सम्मान में समाज की ओर से कई स्थानों पर वरघोड़ा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. हाल ही में उनके ननिहाल पक्ष की ओर से करौली में बैंड-बाजों के साथ यात्रा निकाली गई. वहीं, रविवार को बड़ोदामेव कस्बे में भी भव्य वरघोड़ा यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग, परिजन और स्थानीय नागरिक शामिल हुए.