शिमला: हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी और उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के यमुना नदी में अवैध खनन मामले में गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों ज्ञानचंद और संजय धीमान को गाजियाबाद स्थित विशेष न्यायालय में पेश किया गया. इन आरोपियों को 18 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. ईडी को औपचारिक शिकायतें और खुफिया सूचनाएं प्राप्त हुई थीं, जिनमें आरोप लगाया गया था कि ज्ञान चंद समेत कई खनन माफियाओं द्वारा ब्यास नदी के तट पर अवैध रेत और खनिज खनन कार्य किया जा रहा है. इन अवैध खनन कार्यों से सैकड़ों करोड़ की आपराधिक आय (पीओसी) अर्जित की गई है.
ऊना और कांगड़ा में 6 FIR दर्ज
ईडी ने अवैध खनन से संबंधित हिमाचल के कांगड़ा और ऊना जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज 6 एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि सरकारी भूमि पर अवैध खनन गतिविधियां हो रही हैं. हिमाचल के ऊना और कांगड़ा जिले में टिप्पर, पोकलेन, जेसीबी और ट्रैक्टर अवैध खनन में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं. ये वाहन अवैध रूप से खनिजों को निकालने में शामिल थे. नतीजतन इन खनिजों को अवैध रूप से ओवरलोड वाहनों में स्टोन क्रेशरों तक पहुंचाया जा रहा था.
सहारनपुर में इन धाराओं के तहत केस दर्ज
ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए ज्ञान चंद और अन्य के खिलाफ बेहट पुलिस स्टेशन, सहारनपुर में 1 नंबर 2024 को एक और एफआईआर भी आईपीसी, 1860, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 और खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1957 (संशोधित) की धाराओं के तहत दर्ज की गई है. इस मामले में यूपी पुलिस की एक और एफआईआर को भी जांच के दायरे में लिया गया है.
खनन माफिया के परिसरों में 12 बार रेड
जांच के दौरान, हिमाचल और सहारनपुर में ज्ञान चंद और उसके सहयोगियों सहित कई खनन माफियाओं के परिसरों पर 12 बार रेड की गई. इस दौरान कई व्यक्तियों के बयान भी दर्ज किए गए. वहीं, जब्त की गई आपत्तिजनक सामग्री की जांच करने पर पता चला कि ज्ञान चंद और उसके सहयोगी ब्यास नदी से लेकर यमुना नदी तक के अवैध खनन कार्यों में शामिल हैं. अवैध खनन से उत्पन्न पीओसी का उपयोग अचल संपत्तियों और खनन मशीनरी जैसे ट्रक, टिपर, जेसीबी, क्रशर आदि खरीदने में किया गया है. आगे की जांच अभी जारी है.