ETV Bharat / state

गणतंत्र दिवस 2024 : आजादी से पहले 26 जनवरी को मनाते थे पूर्ण स्वराज दिवस, जयपुर का महाराजा कॉलेज हुआ करता था केंद्र

Republic Day 2024, 26 जनवरी 1930 जब हिंदुस्तान के हर कोने में उत्सव सा माहौल था. खादी पहने और हाथों में भारत का तत्कालीन ध्वज लिए युवा, स्त्री-पुरुष, बूढ़े- बच्चे सब पूर्ण स्वराज का उत्सव मनाने के लिए जुटे थे, क्योंकि 26 जनवरी को पूरे देश में स्वाधीनता दिवस मनाने का फैसला लिया गया था. 17 साल इसे मनाया गया. विस्तार से जानिए इस रिपोर्ट में, क्यों खास है 26 जनवरी...

republic day 2024
26 जनवरी को मनाते थे पूर्ण स्वराज दिवस
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 26, 2024, 8:04 AM IST

Updated : Jan 26, 2024, 9:59 AM IST

26 जनवरी को मनाते थे पूर्ण स्वराज दिवस

जयपुर. 26 जनवरी जिसे आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन ये वो तारीख थी जिसे आजादी से पहले पूर्ण स्वराज दिवस घोषित किया गया था. 1931 से लेकर 1947 तक 26 जनवरी को देश के विभिन्न कोनों में आजादी के महोत्सव के रूप में मनाया गया. जयपुर के युवा भी इसमें पीछे नहीं रहे. उनका केंद्र था महाराजा कॉलेज, जहां प्रजामंडल के सदस्यों के साथ युवा जुटकर मनाते थे पूर्ण स्वराज दिवस.

26 जनवरी 1930 जब हिंदुस्तान के हर कोने में उत्सव सा माहौल था. खादी पहने और हाथों में भारत का तत्कालीन ध्वज लिए युवा, स्त्री-पुरुष, बूढ़े- बच्चे सब पूर्ण स्वराज का उत्सव मनाने के लिए जुटे थे. गांव-गांव, शहर-शहर में वंदे मातरम् के उद्घोष लगाते हुए जगह-जगह इकट्ठा हुए और आजादी की इमारत में एक और ईंट लगाई गई थी. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार कांग्रेस के दिसंबर 1929 लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में पहली बार देश ने अंग्रेजी हुकूमत को तोड़ते हुए देश की आजादी की घोषणा कर दी थी. इसे पूर्ण स्वराज कहा गया.

republic day 2024
आजादी से पहले भी 26 जनवरी का था खास महत्व

26 जनवरी को इस तरह बनाया गया यादगार : पूर्ण स्वराज के इस संकल्प को हर घर, हर जन तक पहुंचाने के लिए 6 जनवरी 1930 को इलाहाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. वहां 26 जनवरी को पूरे देश में स्वाधीनता दिवस मनाने का फैसला लिया गया. सभी देशवासियों से आह्वान किया गया कि अगली 26 जनवरी को भारतीय ध्वज फहराकर पूर्ण स्वराज का जयघोष किया जाए. तब से लेकर 1947 तक 26 जनवरी आजादी के महोत्सव के रूप में मनाए जाने लगी. इसके बाद 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ. संविधान सभा बनाई गई और 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया, लेकिन लोगों के मन में था कि 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज मनाते आए हैं, तो इस तारीख को भी महत्व दिया जाना चाहिए. इसी वजह से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में और 26 जनवरी को रिपब्लिक स्टेट के रूप में डिक्लेयर करते हुए गणतंत्र दिवस मनाना शुरू किया गया.

इसे भी पढ़ें- हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा गणतंत्र दिवस, प्रदेश में 23 मंत्री फहराएंगे तिरंगा, देखें पूरी लिस्ट

महाराजा कॉलेज में मनाया गया पूर्ण स्वराज दिवस : उन्होंने बताया कि जयपुर के युवाओं का भी आजादी के साथ बहुत गहरा लगाव रहा है. खास करके महाराजा कॉलेज के युवाओं का, जिन्होंने 1931 में महाराजा कॉलेज की वर्तमान बिल्डिंग में पूर्ण स्वराज दिवस मनाना शुरू कर दिया था. यहां हर साल 26 जनवरी को कुछ प्रजामंडल के लोग और महाराजा कॉलेज का यूथ इकट्ठा होकर एक-दूसरे को आजादी के लिए अलख जगाते हुए अभिवादन करते थे. करीब 17 वर्ष तक ये दौर चला. 1947 में भारत आजाद हुआ और 1949 में राजस्थान का भी गठन हो चुका था. तब 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया. बड़ी चौपड़ पर राजस्थान के राज प्रमुख की ओर से लड्डू प्रसाद बंटवाया गया. जयपुर के युवाओं ने गली-गली जाकर संविधान का प्रचार भी किया और बड़ी चौपड़ पर इकट्ठा होकर सभी ने संकल्प लिया कि जिस वजह से आजादी मिली है, उसे संजोए रखना है.

इसे भी पढ़ें- दरगाह क्षेत्र में निकाली तिरंगा यात्रा, 'भारत मेरी शान है, तिरंगा मेरी जान' है का दिया नारा

बड़ी चौपड़ आजादी का केंद्र : उन्होंने बताया कि उस दौर में जयपुर की बड़ी चौपड़ आजादी का केंद्र रहा. बड़ी चौपड़ ही वो स्थान रहा जहां राजस्थान के बड़े नेताओं ने आंदोलन किए हैं. जब सवाई मानसिंह टाउन हॉल में विधानसभा संचालित हुआ करती थी, तब बड़ी चौपड़ पर ही आंदोलन हुआ करते थे. यही पहली बार टीकाराम पालीवाल ने प्रजामंडल के साथ तिरंगा ध्वज फहराया था और बाबा हरिश्चंद्र के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया था. आज भी बड़ी चौपड़ सत्ता का केंद्र बिंदु है, जहां सत्ता पक्ष पूर्व मुखी होकर और विपक्ष दक्षिणी मुखी होकर ध्वजारोहण करता है.

26 जनवरी को मनाते थे पूर्ण स्वराज दिवस

जयपुर. 26 जनवरी जिसे आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन ये वो तारीख थी जिसे आजादी से पहले पूर्ण स्वराज दिवस घोषित किया गया था. 1931 से लेकर 1947 तक 26 जनवरी को देश के विभिन्न कोनों में आजादी के महोत्सव के रूप में मनाया गया. जयपुर के युवा भी इसमें पीछे नहीं रहे. उनका केंद्र था महाराजा कॉलेज, जहां प्रजामंडल के सदस्यों के साथ युवा जुटकर मनाते थे पूर्ण स्वराज दिवस.

26 जनवरी 1930 जब हिंदुस्तान के हर कोने में उत्सव सा माहौल था. खादी पहने और हाथों में भारत का तत्कालीन ध्वज लिए युवा, स्त्री-पुरुष, बूढ़े- बच्चे सब पूर्ण स्वराज का उत्सव मनाने के लिए जुटे थे. गांव-गांव, शहर-शहर में वंदे मातरम् के उद्घोष लगाते हुए जगह-जगह इकट्ठा हुए और आजादी की इमारत में एक और ईंट लगाई गई थी. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार कांग्रेस के दिसंबर 1929 लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में पहली बार देश ने अंग्रेजी हुकूमत को तोड़ते हुए देश की आजादी की घोषणा कर दी थी. इसे पूर्ण स्वराज कहा गया.

republic day 2024
आजादी से पहले भी 26 जनवरी का था खास महत्व

26 जनवरी को इस तरह बनाया गया यादगार : पूर्ण स्वराज के इस संकल्प को हर घर, हर जन तक पहुंचाने के लिए 6 जनवरी 1930 को इलाहाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. वहां 26 जनवरी को पूरे देश में स्वाधीनता दिवस मनाने का फैसला लिया गया. सभी देशवासियों से आह्वान किया गया कि अगली 26 जनवरी को भारतीय ध्वज फहराकर पूर्ण स्वराज का जयघोष किया जाए. तब से लेकर 1947 तक 26 जनवरी आजादी के महोत्सव के रूप में मनाए जाने लगी. इसके बाद 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ. संविधान सभा बनाई गई और 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया, लेकिन लोगों के मन में था कि 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज मनाते आए हैं, तो इस तारीख को भी महत्व दिया जाना चाहिए. इसी वजह से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में और 26 जनवरी को रिपब्लिक स्टेट के रूप में डिक्लेयर करते हुए गणतंत्र दिवस मनाना शुरू किया गया.

इसे भी पढ़ें- हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा गणतंत्र दिवस, प्रदेश में 23 मंत्री फहराएंगे तिरंगा, देखें पूरी लिस्ट

महाराजा कॉलेज में मनाया गया पूर्ण स्वराज दिवस : उन्होंने बताया कि जयपुर के युवाओं का भी आजादी के साथ बहुत गहरा लगाव रहा है. खास करके महाराजा कॉलेज के युवाओं का, जिन्होंने 1931 में महाराजा कॉलेज की वर्तमान बिल्डिंग में पूर्ण स्वराज दिवस मनाना शुरू कर दिया था. यहां हर साल 26 जनवरी को कुछ प्रजामंडल के लोग और महाराजा कॉलेज का यूथ इकट्ठा होकर एक-दूसरे को आजादी के लिए अलख जगाते हुए अभिवादन करते थे. करीब 17 वर्ष तक ये दौर चला. 1947 में भारत आजाद हुआ और 1949 में राजस्थान का भी गठन हो चुका था. तब 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया. बड़ी चौपड़ पर राजस्थान के राज प्रमुख की ओर से लड्डू प्रसाद बंटवाया गया. जयपुर के युवाओं ने गली-गली जाकर संविधान का प्रचार भी किया और बड़ी चौपड़ पर इकट्ठा होकर सभी ने संकल्प लिया कि जिस वजह से आजादी मिली है, उसे संजोए रखना है.

इसे भी पढ़ें- दरगाह क्षेत्र में निकाली तिरंगा यात्रा, 'भारत मेरी शान है, तिरंगा मेरी जान' है का दिया नारा

बड़ी चौपड़ आजादी का केंद्र : उन्होंने बताया कि उस दौर में जयपुर की बड़ी चौपड़ आजादी का केंद्र रहा. बड़ी चौपड़ ही वो स्थान रहा जहां राजस्थान के बड़े नेताओं ने आंदोलन किए हैं. जब सवाई मानसिंह टाउन हॉल में विधानसभा संचालित हुआ करती थी, तब बड़ी चौपड़ पर ही आंदोलन हुआ करते थे. यही पहली बार टीकाराम पालीवाल ने प्रजामंडल के साथ तिरंगा ध्वज फहराया था और बाबा हरिश्चंद्र के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया था. आज भी बड़ी चौपड़ सत्ता का केंद्र बिंदु है, जहां सत्ता पक्ष पूर्व मुखी होकर और विपक्ष दक्षिणी मुखी होकर ध्वजारोहण करता है.

Last Updated : Jan 26, 2024, 9:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.