देहरादूनः उत्तराखंड के पौड़ी जिले से आने वाले कर्नल शीशपाल सिंह कैंतुरा ने जम्मू एंड कश्मीर में 11 राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर रहते हुए अपनी ड्यूटी के दौरान किश्तवाड़ गांव की दिव्यांग शीतल को उसके जीवन के लिए ऐसे तयार किया कि आज शीतल की कामयाबी पूरी दुनिया देख रही है. पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 में शीतल देवी ने राकेश कुमार के साथ मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन पैरा-तीरंदाजी स्पर्धा में भारत को कांस्य पदक दिलाया है.
शीतल के जीवन में ऐसे आया टर्निंग प्वाइंट: ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए पौड़ी जिले के खिर्सू ब्लॉक के भटौली गांव के रहने वाले कर्नल शीशपाल कैंतुरा बताते हैं कि 2019 में भारतीय सेना का एक दल जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ गांव के मुगल मैदान क्षेत्र में गश्त लगा रहा था. इस दौरान मुगल मैदान के सरकारी विद्यालय में उनकी नजर शीतल पर गई. शीतल बिना हाथों के दोनों पैरों से अपना स्कूल बैग खोल रही थी. बैग से किताब निकालने के बाद पांव की उंगलियों से लिख रही थी. दिव्यांग शीतल की प्रतिभा को देख अचंभा हुआ. इसके बाद भंडारकोट स्थित सेना की 11 राष्ट्रीय राइफल्स ने शीतल के परिवार से संपर्क किया, जो लोई धार गांव में रहते हैं.
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कर्नल शीशपाल जो अभी हिमाचल के धर्मशाला में पोस्टेट हैं, बताते हैं कि शीतल का गांव ऊंचाई पर था और नजदीकी सड़क से एक घंटे की कठिन चढ़ाई के बाद यहां पहुंचा जा सकता था. इसी रास्ते शीतल रोज नीचे उतरकर मुगल मैदान में विद्यालय जाती और शाम को वापस आती थी. कर्नल ने बताया कि शीतल के माता-पिता गरीब थे. लेकिन उन्होंने शीतल की शारीरिक स्थिति देखकर हार नहीं मानी और शीतल को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजा.
सेना ने शीतल को लिया गोद, कृत्रिम अंगों की व्यवस्था की: कर्नल शीशपाल ने बताया कि सेना ने शीतल को उसकी पढ़ाई-लिखाई के लिए मदद करनी शुरू की. 11 राष्ट्रीय राइफल्स भारतीय सेना के कर्नल शीशपाल सिंह कैंतुरा की कमान में मई 2020 में शीतल को गोद लेकर (Adopted Girl) उसको सद्भावना की विभिन्न गतिविधियों में शामिल करना शुरू किया. शीतल को युवाओं और दिव्यांग बच्चों के माता-पिता के लिए प्रेरणा स्त्रोत के रूप में ख्याति मिलनी शुरू हुई.
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मई 2021 में पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड के रहने वाले 11 राष्ट्रीय राइफल्स के सीओ कर्नल कैंतुरा ने समाजसेवी और वीर माता मेघना गिरीश से संपर्क किया और शीतल के लिए कृत्रिम हाथों के लिए सहायता मांगी. मेघना गिरीश मेजर अक्षय गिरीश की माता हैं और बेंगलुरू में रहकर अपने पति विंग कमांडर गिरीश कुमार के साथ मिलकर मेजर अक्षय गिरीश मेमोरियल ट्रस्ट नामक स्वयं सेवी संगठन चलाती हैं. जिसमें देशभर के वीर परिवारों की सेवा कर रही हैं.
कहानी में अभिनेता अनुपम खेर की एंट्री: मेघना गिरीश ने शीतल के बारे में जानकारी ली और सीओ 11 राष्ट्रीय राइफल्स को आश्वासन दिया. साथ ही मदद के लिए कोशिशें करने लगी. मेघना ने मशहूर अभिनेता अनुपम खेर से संपर्क किया और शीतल के बारे में उन्हें विस्तार से बताया. अनुपम खेर शीतल के जीवन और उसकी प्रतिभा को सुनकर प्रभावित हुए और उन्होंने आश्वासन दिया कि वे शीतल को कृत्रिम हाथ लगाने के लिए मदद करेंगे. इसके बाद फोन पर सीओ 11 राष्ट्रीय राइफल्स, मेघना गिरीश और अनुपम खेर के बीच विचार विमर्श हुआ और शीतल के इलाज का शेड्यूल तय किया गया.
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शीतल के बेंगलुरु में लगाए गए कृत्रिम हाथ: सब कुछ तय होने के बाद शीतल और उसके माता-पिता को एक सैनिक के साथ बेंगलुरु भेजा गया. बेंगलुरु में मेघना गिरीश और स्वयं सेवी संगठन 'द बीइंग यू' की प्रीती राय ने सभी अरेंजमेंट किया और अस्पताल में शीतल के टेस्ट किए गए. टेस्ट के बाद शीतल को वापस किश्तवाड़ भेज दिया गया. इसके बाद दो महीने बाद शीतल अपने माता-पिता के साथ बेंगलुरु फिर बुलाई गई. और विख्यात डॉक्टर श्रीकांत ने लंबे ट्रीटमेंट के बाद शीतल को कृत्रिम हाथ लगाए.
हालांकि, इस दौरान प्रीती राय ने देखा कि शीतल की ताकत उसके पैरों में है. इसके बाद शीतल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के दिव्यांग खिलाड़ियों से मिलाना शुरू किया. शीतल के खेलों की काबिलियत के लिए विभिन्न टेस्ट करवाए गए. सभी ने यह नोटिस किया कि शीतल में वो क्षमता है कि वह पैरा गेम्स खेल सकती हैं.
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My heart is filled with gratitude as I recollect my journey from a small village in Kishtwar district to receiving the 1st Arjuna Award for J&K
Many have been a part of this journey & would like to take this opportunity to thank them for the unconditional support pic.twitter.com/JvU1KxFIpF
शीतल को तीरंदाजी के लिए उपयुक्त पाया गया: शीतल की प्रतिभा और उसके कौशल को देखते हुए प्रीति राय ने सामाजिक संगठनों की मदद से शीतल के लिए नेशनल गेम्स स्टार के प्रोफेशनल कोच कुलदीप बैदवान और अभिलाषा चौधरी से संपर्क किया. इसके शीतल ने दोनों कोच के नेतृत्व में अभ्यास करना शुरू किया. शीतल ने कोचों के मार्गदर्शन में माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड कटरा में तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद शीतल ने धीरे-धीरे कई कीर्तिमान हासिल किए. साल 2023 में चीन के हांगझाऊ में संपन्न हुए एशियाई पैरा खेलों में शीतल देवी ने 2 गोल्ड मेडल समेत 3 पदक जीतकर भारत का परचम बुलंद किया था. इस उपल्ब्धि पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी शीतल को समान्नित किया था.
वहीं, नई बुलंदी हासिल करते हुए अब शीतल 2024 पेरिस पैरालंपिक गेम्स में दो बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए कांस्य पदक जीत चुकी हैं. जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ से पेरिस तक के सफर को लेकर पूरे विश्व में उनके चर्चे हैं. आज शीतल 17 साल की भारत की महिला तीरंदाज हैं.
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