rudraksha pahanne ke benefits श्रावण मास में जितना महत्व भगवान शिव की भक्ति का है, उतना ही महत्व शिव पुराण में उल्लेखित फल रुद्राक्ष का भी है. दरअसल उत्तरी नेपाल में पाया जाने वाला यह रुद्राक्ष न केवल धार्मिक रूप से प्रभावशाली माना गया है, बल्कि प्राचीन काल से ही इसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता रहा है. यही वजह है कि रुद्राक्ष को लोग अपनी विभिन्न मनोकामनाओं की सिद्धि और भगवान शिव की कृपा व साधना के लिए धारण करते रहे हैं. आईए जानते हैं इस आध्यात्मिक एवं प्राचीन रुद्राक्ष फल की क्या महिमा है. धार्मिक आस्था के अनुसार कितना उपयोगी है.
रुद्राक्ष मस्तिष्क पर होता है सकारात्मक प्रभाव
रुद्राक्ष पेड़ पर लगने वाला प्रकृति का अनमोल उपहार है. जो सुख शांति, समृद्धि और हर मनोकामना को पूर्ण करने का साधन माना जाता है. यही वजह है कि प्राचीन काल से लोग तरह-तरह के रुद्राक्ष को अलग-अलग रूप में धारण करते रहे हैं. मान्यता है कि रुद्राक्ष की माला अथवा रुद्राक्ष को धारण करने से मस्तिष्क पर यह साइको टचथेरेपी के तहत सकारात्मक प्रभाव डालता है. जिससे कि सकारात्मक परिणाम नजर आते हैं.
जन्मांक व मूलांक के अनुसार धारण करना चाहिए रुद्राक्ष
रुद्राक्ष का किसी भी व्यक्ति की जन्म दिनांक और मूलांक के आधार पर अलग-अलग प्रभाव होता है. इतना ही नहीं एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 21 मुखी रुद्राक्ष तक इसके स्वरूपों की अलग-अलग महिमा और मान्यता है. इसके अलावा हर एक पृथक विभिन्न मुखी रुद्राक्ष में शिव पुराण के अनुसार अलग-अलग देवों का वास होता है. यही वजह है कि धार्मिक रूप से रुद्राक्ष को अपनी राशि अथवा जन्म अंक के अनुसार धारण करने की सलाह रुद्राक्ष विशेषज्ञ और ज्योतिषविद द्वारा दी जाती है.
रोगों की थेरेपी में रुद्राक्ष से मिलता है लाभ
रुद्राक्ष विशेषज्ञ अरविंद बंकर बताते हैं कि "रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा प्राचीन काल से है, लेकिन वर्तमान आधुनिक दौर में लोग रुद्राक्ष के महत्व को लेकर जागरूक नहीं है. रुद्राक्ष मानव मस्तिष्क पर पॉजिटिव प्रभाव डालता है. इसके अलावा रुद्राक्ष से विभिन्न रोगों की थेरेपी भी की जाती है." बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉक्टर सुहास राय ने 1950 में ही रुद्राक्ष पर की गई पीएचडी उपाधि में सिद्ध किया है कि रुद्राक्ष के चिकित्सकीय प्रमाण सटीक और प्रमाणित है. अब जबकि लोग रुद्राक्ष को लेकर जागरूक हो रहे हैं, तो भारत ही नहीं बल्कि इसकी मांग विभिन्न देशों में लगातार बढ़ रही है.''
अपरिपक्व रुद्राक्ष का नहीं होता है कोई प्रभाव
रुद्राक्ष उत्तरी नेपाल में माउंट एवरेस्ट पर्वत माला की तलहटी में मकालू पर्वत पर करीब 82 किलोमीटर के क्षेत्र में पाया जाता है. यहां मौजूद रुद्राक्ष के प्राचीन वृक्षों से इस फल की प्राप्ति होती है, लेकिन रुद्राक्ष में भी खास बात यह है कि संबंधित आकार और पूरी तरह से पके हुए फल का ही प्रभाव पॉजिटिव है. अन्यथा कच्चे तोड़ लिए जाने वाले फल अथवा अपरिपक्व रुद्राक्ष के फल का कोई प्रभाव नहीं होता है.
रुद्राक्ष के होते हैं कई प्रकार
शिव पुराण व हिंदू ग्रंथों सहित वेदों में उल्लेखित जानकारी के मुताबिक, रुद्राक्ष विभिन्न प्रकार के होते हैं. इसमें एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव का प्रतीक माना गया है. वहीं इस रुद्राक्ष का शासक ग्रह सूर्य है. इसे धारण करने से दिल की बीमारी ब्लड प्रेशर आंखों की बीमारी में लाभ होता है. एक मुखी रुद्राक्ष दो प्रकार का होता है. जिसमें नेपाली गोल रुद्राक्ष और दक्षिण भारत में पाए जाने वाला अर्द्ध चंद्राकार रुद्राक्ष होता है, जो आमतौर पर कीमती माना जाता है. वहीं दो मुखी रुद्राक्ष का शासक चंद्र ग्रह है, ज्योतिषी के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से परिवार में सुख शांति आने के साथ यह मस्तिष्क को संतुलित रखने और मन को एकाग्र रखने में सहायक माना गया है.
अग्नि देव की कृपा के लिए धारण करें तीन मुखी रुद्राक्ष
वहीं, तीन मुखी रुद्राक्ष का स्वामी मंगल है, जो अग्नि देव की कृपा के लिए धारण किया जाता है. चिकित्सीय मान्यता के अनुसार, इस रुद्राक्ष से आत्मज्ञानी मानसिक तनाव, रक्त रोग और यौन रोग से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप है, इसका शासक ग्रह बुध है. इसके अलावा पांच मुखी रुद्राक्ष का ग्रह स्वामी बृहस्पति है. इस रुद्राक्ष के प्रभाव से मानसिक तनाव मधुमेह पेट संबंधी बीमारियों में लाभ होता है.
कोर्ट कचहरी पेसे वाले लोग धारण करें 8 मुखी रुद्राक्ष
6 मुखी रुद्राक्ष स्वामी कार्तिकेय का स्वरूप है, यह रुद्राक्ष विद्या बुद्धि ज्ञान प्रदान करने के लिए उपयुक्त माना जाता है. सात मुखी रुद्राक्ष का गृह स्वामी शनि है, जो माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्रदान करता है. इस रुद्राक्ष से विपत्तियों का निदान होने की मान्यता है. इसी प्रकार आठ मुखी रुद्राक्ष गणेश जी का प्रतीक है, जिसका शासक ग्रह राहु है. इस रुद्राक्ष को कोर्ट कचहरी और वकालत जैसे पेशे में रहने वाले लोगों के लिए उपयुक्त माना गया है.
9 मुखी रुद्राक्ष को देवी दुर्गा का स्वरूप होता है
9 मुखी रुद्राक्ष भैरव रुद्राक्ष कहा जाता है, इसका शासक ग्रह केतु है. यह रुद्राक्ष देवी दुर्गा का स्वरूप माना गया है. महिलाओं के लिए यह रुद्राक्ष लाभकारी बताया गया है. 10 मुखी रुद्राक्ष विष्णु स्वरूप है. यह अनिद्रा और तंत्र-मंत्र के कारण नींद ना आना नजर दोष आदि में उपयुक्त है. वहीं 11 मुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र का प्रतीक है. इसे हनुमान जी का प्रतीक भी माना गया है. शिव पुराण के अनुसार यह रुद्राक्ष अचानक होने वाली दुर्घटना से बचाव करता है.
14 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से शनि देव की कृपा होगी
12 मुखी रुद्राक्ष सूर्य का रूप है, जो उच्च पद पर आसीन रहने वाले लोगों के लिए लाभकारी है. इससे आंखों की बीमारी हृदय रोग मधुमेह मोटापा रक्त विकार से मुक्ति मिलती है. जबकि 13 मुखी रुद्राक्ष कामदेव का प्रतीक है, जो शारीरिक व्याधियों के लिए उपयुक्त है. वहीं 14 मुखी शनिदेव का स्वरूप है, जो कुंडली में शनि के स्थान को उच्च बनाता है. 15 मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ कहलाता है. यह दुर्लभ होने के साथ योग साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ है.
व्यापार करने वालों के लिए शुभ होता है 19 मुखी रुद्राक्ष
16 मुखी रुद्राक्ष साक्षात महाकाल स्वरूप है इसे धारण करने से काल का भय नहीं रहता. कोर्ट कचहरी के मामले में भी यह सफलता दिलाता है, 17 मुखी रुद्राक्ष विश्वकर्मा का स्वरूप है. यह सौभाग्य का प्रतीक है. 18 मुखी रुद्राक्ष धरती मां का स्वरूप है, यह किसान कॉन्टेक्टर तथा भूमि संबंधी लोगों को अत्यंत लाभ प्रदान करता है. जबकि 19 मुखी रुद्राक्ष नारायण का स्वरूप है. यह व्यापार में वृद्धि आर्थिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है.
आपस में जुड़े दो रुद्राक्ष बहुत शुभ होते हैं
20 मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरूप माना जाता है यह दुर्लभ रुद्राक्ष है, जो असीम शांति प्रदान करता है. लेखन वाद विवाद भाषण और न्याय के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह उपयोगी है. 21 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ एवं प्रभावशाली माना जाता है. यह रुद्राक्ष साक्षात कुबेर का स्वरूप है, इस रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्या वृद्धि प्राप्त होती है. इसके अलावा दो रुद्राक्ष यदि आपस में जुड़े हो तो उसे गौरी शंकर रुद्राक्ष कहते हैं, जो पार्वती का स्वरूप है.
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गणेश भक्तों के लिए ये रुद्राक्ष श्रेष्ठ
इसी प्रकार यदि किसी रुद्राक्ष में सूंड जैसा उभर हो तो यह गणेश स्वरूप रुद्राक्ष माना जाता है, जो गणेश भक्तों के लिए श्रेष्ठ है. एक रुद्राक्ष छोटा और एक बड़ा यदि दोनों जुड़े हो तो इसे गर्भ गौरी रुद्राक्ष कहते हैं, जो माता पार्वती की कृपा का प्रतीक है. जबकि एक साथ जुड़े हुए तीन रुद्राक्ष को त्रिज्योति रुद्राक्ष कहा जाता है. यह ब्रह्मा, विष्णु, महेश के प्रतीक हैं, जो नेतृत्व करने वाले लोगों के लिए सफलता प्रदान करने में सहायक माना जाता है.