नई दिल्ली: गंभीर बीमारियों में से एक लंग कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ल्ड लंग कैंसर डे हरेक साल एक अगस्त को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य फेफड़े के कैंसर की रोकथाम और शुरुआती पहचान के बारे में लोगों को जागरूक करना और शिक्षित करना है. यह दिन फेफड़ों के कैंसर के व्यक्तियों और उनके परिवारों पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव और इस बीमारी से निपटने की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है.
फेफड़ों का कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिनमें फेफड़ों में कोशिकाएं तेजी से ट्यूमर के रूप में बढ़ने लगती हैं. एक अध्ययन के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित लोगों की संख्या 72,510 है और पुरुष इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हैं.
जानलेवा बीमारी कैंसर का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कैंसर कई प्रकार का होता है जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, थायराइड कैंसर, स्किन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, ब्लड कैंसर आदि. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर सबसे बड़ा कारण होता है. अगर फेफड़े के कैंसर के कारणों की बात करें तो धूम्रपान, पर्यावरण प्रदूषण, फैक्ट्रियों और घरों से निकलने वाला धुआं इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा एस्बेस्टस और पत्थरों की कटाई से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ भी फेफड़े के कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं.
इतिहास और महत्व
वर्ष 2012 में फोरम ऑफ इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज (FIRS) और इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर (IASLC) के बीच सहयोग से पहली बार विश्व लंग कैंसर दिवस मनाया गया था. तब से, हर साल 1 अगस्त को लंग कैंसर दिवस मनाया जाता है. यह फेफड़ों के कैंसर के प्रसार और प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने की शुरुआत थी. यह दिन बीमारी और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की आदतों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है जिन्हें हमें सुरक्षित रहने के लिए बदलना चाहिए.
इस दिवस का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत अनेक संगठनों, स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्ताओं और अधिवक्ताओं के प्रयासों को एकजुट करना है, ताकि जागरूकता बढ़ाई जा सके, फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित लोगों का शीघ्र पता लगाने और उन्हें सहायता प्रदान की जा सके.
फेफड़े के कैंसर दिवस 2024 के लिए थीम
विश्व फेफड़े के कैंसर 2024 का विषय है 'देखभाल की कमी को पूरा करें: हर किसी को कैंसर देखभाल तक पहुंच का अधिकार है', जिसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी, इसके जोखिमों और रोकथाम के बारे में शिक्षित करना है.
फेफड़े का कैंसर क्या है और इसके कारण क्या हैं?
फेफड़े का कैंसर सबसे आम कैंसर है और दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है, हर साल लगभग 1.6 मिलियन लोग इससे मरते हैं. फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण तम्बाकू का सेवन है, लेकिन यह उन लोगों में भी हो सकता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है. गौरतलब है कि शोध का दावा है कि फेफड़े के कैंसर के 15 प्रतिशत रोगियों का तंबाकू सेवन का कोई इतिहास नहीं होता है.
फेफड़ों के कैंसर के कुछ अन्य कारणों में रेडॉन एक्सपोजर (रेडियोधर्मी गैस), एस्बेस्टस और अन्य कार्सिनोजेन्स, आनुवंशिकी और वायु प्रदूषण शामिल हैं. प्रदूषित हवा के संपर्क में लंबे समय तक रहने वाले लोगों को फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.
फेफड़ों के कैंसर के प्रकार
फेफड़े के कैंसर के विभिन्न प्रकार हैं. फेफड़े के कैंसर को आम तौर पर दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है जिसमें नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) और स्मॉल-सेल लंग कैंसर (SCLC) शामिल हैं. हालांकि, जिन लोगों में ट्यूमर विकसित होता है, उनमें NSCLC और SCLC दोनों कोशिकाएं हो सकती हैं.
अधिकांश लोगों में नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर विकसित होता है, जिसमें स्क्वैमस सेल लंग कार्सिनोमा, एडेनोकार्सिनोमा, एडेनोस्क्वैमस कार्सिनोमा, लार्ज सेल कार्सिनोमा आदि शामिल हैं.
हालांकि, स्मॉल-सेल लंग कैंसर NSCLC की तुलना में कैंसर का एक दुर्लभ रूप है. कीमोथेरेपी के अलावा, इस प्रकार के कैंसर का कोई अन्य उपचार नहीं है.
फेफड़ों के कैंसर का उपचार
गौरतलब है कि उपचार रोगी के प्रकार, अवस्था और समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. फेफड़े के कैंसर के लिए सबसे आम उपचार में सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, कीमोथेरेपी, उपशामक देखभाल, लक्षित चिकित्सा और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं.
फेफड़े के कैंसर की स्थिति और भारत
द लैंसेट के अनुसार, भारत में फेफड़े के कैंसर के सालाना 72,510 मामले सामने आते हैं और 66,279 मौतें होती हैं. कई अध्ययनों में बताया गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में फेफड़े के कैंसर से पीड़ित लोगों का एक बड़ा हिस्सा कभी धूम्रपान नहीं करने वाला है, भारत के अध्ययनों में यह 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच है, और दक्षिण एशियाई महिलाओं में यह 83 प्रतिशत है.
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