ETV Bharat / health

कंघी से डैंड्रफ खत्म होने का दावा, मंडला के आदिवासी इलाकों में बनाई जाती हैं ऐसी कंघियां

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 9:27 PM IST

Neem Comb Eliminated Dandruff: प्लास्टिक के बढ़ते चलन ने लकड़ी से बनने वाले सामानों को लगभग खत्म कर दिया है.अब एक बार फिर लोग प्रकृति की ओर लौट रहे हैं.ऐसे में नीम के पेड़ से बनी कंघी आपके बालों का डैंड्रफ खत्म कर सकती है.जानिए आखिर यह प्राकृतिक कंघिया कैसी होती हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
कंघी से डैंड्रफ खत्म होने का दावा

जबलपुर। कंघी से कभी डैंड्रफ खत्म हो सकता है सुनने में कुछ अटपटा जरूर लगता है लेकिन जबलपुर पहुंचे एक कंघी विक्रेता का दावा है कि यह संभव है.नीम की लकड़ी में यह चमत्कारिक गुण होता है वह आपके सिर में हुए डैंड्रफ को खत्म कर देता है.इसकी लकड़ी से बनी कंघी के रोजाना इस्तेमाल करने से आपके बालों में नई जान आती है साथ ही यह सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है. जबलपुर के आसपास के आदिवासी इलाकों में ऐसी कंघियां बनाई जाती हैं.

कंघी से खत्म होगा डैंड्रफ

कंघी से आपका डैंड्रफ खत्म हो सकता है यह दावा कुछ अटपटा जरूर लगता है लेकिन इस दावे के पीछे एक औषधीय पेड़ है. जिसे हम नीम के नाम से जानते हैं. मंडला के आदिवासी इलाकों में नीम के पेड़ से कंघियां बनाई जाती हैं और आदिवासी इस कला में माहिर हैं. उनकी बनाई कंघी प्लास्टिक की कंघी से कहीं बेहतर होती है. इसमें नुकीले शिरे नहीं होते इसकी वजह से यह सिर की त्वचा को खराब नहीं करती. मंडला के आदिवासी इलाकों में पुराने नीम के पेड़ हैं इन्हीं पेड़ों की लकड़ी से इन कंघियों को बनाया जाता है.

कंघी विक्रेता का है यह दावा

मंडला के रहने वाले राकेश शुक्ला इन कंघियों को बेचते हैं. राकेश शुक्ला का कहना है कि "सबसे पहले उन्होंने खुद इस कंघी का इस्तेमाल करना शुरू किया था. इसके इस्तेमाल से ना केवल उनके बालों में उन्हें कुछ बढ़ोतरी नजर आई बल्कि उनका डैंड्रफ भी कम हुआ है." राकेश का कहना है कि सदियों पहले जब प्लास्टिक की कंघियां नहीं आती थीं तब लकड़ी की ही कंघियों से लोग अपने बालों को संवारा करते थे. प्लास्टिक की कंघियां आने के बाद लकड़ी की कंघियां कहीं गुम हो गई. राकेश का कहना है कि यह एक बेहतर विकल्प है और इसके अच्छे नतीजे आते हैं.

आबनूस की लकड़ी से बनी कंघी

राकेश के पास कुछ नायाब और कलात्मक कंघियां भी हैं. इनमें से एक आबनूस लकड़ी से बनी एक काले कलर की कंघी भी राकेश ने दिखाई. राकेश का कहना है कि यह कंघी उस पेड़ से बनाई जाती है जिसकी उम्र लगभग 50 साल हो गई हो. यह पेड़ खुद ब खुद सूख गया हो इसके अंदर की पकी हुई लकड़ी काली हो जाती है. कुछ ही ऐसे पेड़ होते हैं जिनमें ऐसी लकड़ी पाई जाती है इस पकी हुई लकड़ी पर कलाकारी करना सरल होता है. यदि सुरक्षित तरीके से इसे रखी जाए तो सालों तक खराब नहीं होती. इसलिए इसे लोग पसंद करते हैं लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है. राकेश का कहना है कि यह लकड़ी कम पाई जाती है और यह कंघी ₹2000 तक में बिकती है.

ये भी पढ़ें:

प्राकृतिक सामानों का करें इस्तेमाल

राकेश जो कंघियां बेच रहे हैं वे नायाब हैं. अच्छी बात यह है कि वह हमारे प्रकृति से जुड़ी हुई हैं. प्लास्टिक के समान कहीं ना कहीं एक कचरा पैदा करते हैं लेकिन लकड़ी का सामान बायोडिग्रेडेबल होता है और इससे प्रकृति को भी नुकसान नहीं होता. लोगों को भी इसलिए जहां तक हो सके प्राकृतिक सामानों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

कंघी से डैंड्रफ खत्म होने का दावा

जबलपुर। कंघी से कभी डैंड्रफ खत्म हो सकता है सुनने में कुछ अटपटा जरूर लगता है लेकिन जबलपुर पहुंचे एक कंघी विक्रेता का दावा है कि यह संभव है.नीम की लकड़ी में यह चमत्कारिक गुण होता है वह आपके सिर में हुए डैंड्रफ को खत्म कर देता है.इसकी लकड़ी से बनी कंघी के रोजाना इस्तेमाल करने से आपके बालों में नई जान आती है साथ ही यह सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है. जबलपुर के आसपास के आदिवासी इलाकों में ऐसी कंघियां बनाई जाती हैं.

कंघी से खत्म होगा डैंड्रफ

कंघी से आपका डैंड्रफ खत्म हो सकता है यह दावा कुछ अटपटा जरूर लगता है लेकिन इस दावे के पीछे एक औषधीय पेड़ है. जिसे हम नीम के नाम से जानते हैं. मंडला के आदिवासी इलाकों में नीम के पेड़ से कंघियां बनाई जाती हैं और आदिवासी इस कला में माहिर हैं. उनकी बनाई कंघी प्लास्टिक की कंघी से कहीं बेहतर होती है. इसमें नुकीले शिरे नहीं होते इसकी वजह से यह सिर की त्वचा को खराब नहीं करती. मंडला के आदिवासी इलाकों में पुराने नीम के पेड़ हैं इन्हीं पेड़ों की लकड़ी से इन कंघियों को बनाया जाता है.

कंघी विक्रेता का है यह दावा

मंडला के रहने वाले राकेश शुक्ला इन कंघियों को बेचते हैं. राकेश शुक्ला का कहना है कि "सबसे पहले उन्होंने खुद इस कंघी का इस्तेमाल करना शुरू किया था. इसके इस्तेमाल से ना केवल उनके बालों में उन्हें कुछ बढ़ोतरी नजर आई बल्कि उनका डैंड्रफ भी कम हुआ है." राकेश का कहना है कि सदियों पहले जब प्लास्टिक की कंघियां नहीं आती थीं तब लकड़ी की ही कंघियों से लोग अपने बालों को संवारा करते थे. प्लास्टिक की कंघियां आने के बाद लकड़ी की कंघियां कहीं गुम हो गई. राकेश का कहना है कि यह एक बेहतर विकल्प है और इसके अच्छे नतीजे आते हैं.

आबनूस की लकड़ी से बनी कंघी

राकेश के पास कुछ नायाब और कलात्मक कंघियां भी हैं. इनमें से एक आबनूस लकड़ी से बनी एक काले कलर की कंघी भी राकेश ने दिखाई. राकेश का कहना है कि यह कंघी उस पेड़ से बनाई जाती है जिसकी उम्र लगभग 50 साल हो गई हो. यह पेड़ खुद ब खुद सूख गया हो इसके अंदर की पकी हुई लकड़ी काली हो जाती है. कुछ ही ऐसे पेड़ होते हैं जिनमें ऐसी लकड़ी पाई जाती है इस पकी हुई लकड़ी पर कलाकारी करना सरल होता है. यदि सुरक्षित तरीके से इसे रखी जाए तो सालों तक खराब नहीं होती. इसलिए इसे लोग पसंद करते हैं लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है. राकेश का कहना है कि यह लकड़ी कम पाई जाती है और यह कंघी ₹2000 तक में बिकती है.

ये भी पढ़ें:

प्राकृतिक सामानों का करें इस्तेमाल

राकेश जो कंघियां बेच रहे हैं वे नायाब हैं. अच्छी बात यह है कि वह हमारे प्रकृति से जुड़ी हुई हैं. प्लास्टिक के समान कहीं ना कहीं एक कचरा पैदा करते हैं लेकिन लकड़ी का सामान बायोडिग्रेडेबल होता है और इससे प्रकृति को भी नुकसान नहीं होता. लोगों को भी इसलिए जहां तक हो सके प्राकृतिक सामानों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.