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बांग्लादेश में नहीं थम रही हिंसा, अल्पसंख्यक हिंदुओं के बाद निशाने पर बौद्ध समुदाय, चार की मौत - Violence In Bangladesh - VIOLENCE IN BANGLADESH

Ethnic Minorities: खगराछारी और रंगमती में कई परिवार जलते हुए घरों और कारोबार को छोड़कर भाग गए हैं. हिंसा के बाद यहां भारी सेना, पुलिस और बॉर्डर गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. इसके बावजूद लोग चिंतित हैं.

बांग्लादेश हिंसा
बांग्लादेश हिंसा (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 22, 2024, 7:36 PM IST

ढाका: बांग्लादेश के दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र में जातीय अल्पसंख्यकों के बीच हुई झड़पों के बाद डर का माहौल है. इन झड़पों में चार लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए थे. पुलिस और चश्मदीद ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि बुधवार को एक बंगाली व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने से सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. इस दौरान म्यांमार और पूर्वोत्तर भारत की सीमा से लगे चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (CHT) में घरों और व्यवसायों में आग लगा दिए जाने के बाद कई जातीय परिवारों को विस्थापित कर दिया है.

छात्र-नेतृत्व वाले जातीय समूहों द्वारा सीएचटी के तीन पहाड़ी जिलों खगराछारी, रंगमती और बंदरबन में 72 घंटे की सड़क और जलमार्ग नाकाबंदी की जा रही है. इन इलाकों में कई स्वदेशी आदिवासी समूह रहते हैं. प्रदर्शनकारी अशांति फैलाने वाले लोगों को दंडित करने की मांग कर रहे हैं.

जलते हुए घरों को छोड़कर भागे लोग
खगराछारी और रंगमती में कई परिवार जलते हुए घरों और कारोबार को छोड़कर भाग गए हैं. हिंसा के बाद यहां भारी सेना, पुलिस और बॉर्डर गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. इसके बावजूद लोग चिंतित हैं. चटगांव रेंज पुलिस के उप महानिरीक्षक अहसान हबीब ने कहा, "स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है...पुलिस और सुरक्षा बल संयुक्त रूप से गश्त कर रहे हैं, उम्मीद है कि जल्द ही शांति बहाल हो जाएगी." अधिकारियों ने कहा कि बंगाली व्यक्ति की हत्या के बाद जातीय अल्पसंख्यक समुदायों पर जवाबी हमले शुरू हुए.

बौद्ध मंदिरों को निशाना बनाया
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा दर्जनों घरों और व्यवसायों को आग लगा दी गई या उन पर हमला किया गया, जो मुख्य रूप से बौद्ध अल्पसंख्यकों के थे. बौद्ध मंदिरों को निशाना बनाया गया और स्थानीय मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल बंगाली भीड़ को भड़काने के लिए किया गया. स्थानीय अधिकारियों ने खगराछारी और रंगमती में धारा 144 लागू कर दी है.

मोहम्मद यूनुस खेद जताया
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार, जिसने पिछले महीने प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ करने वाले घातक विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता संभाली थी. उन्होंने हिंसा पर गहरा खेद व्यक्त किया है. उन्होंने सुरक्षा बलों को संयम बरतने और सभी निवासियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने को कहा है.

स्थानीय राजनीतिक नेताओं और विभिन्न संगठनों के साथ बैठक के बाद गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि हिंसा की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी.

बता दें कि 1980 के दशक में, सरकार ने हजारों भूमिहीन बंगाली परिवारों को 5,500 वर्ग मील (14,200 वर्ग किमी) सीएचटी में बसाया, जिससे नए बसने वालों और स्वदेशी समूहों के बीच तनाव बढ़ गया. 1997 में तत्कालीन प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार ने शांति बाहिनी, एक आदिवासी गुरिल्ला समूह के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे 25 साल से चल रहा विद्रोह समाप्त हो गया, जो इस क्षेत्र के लिए राजनीतिक स्वायत्तता की मांग कर रहा था.

यह भी पढ़ें- इजराइल की लेबनान पर जोरदार एयरस्ट्राइक, 40 घर नष्ट, 3 की मौत

ढाका: बांग्लादेश के दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र में जातीय अल्पसंख्यकों के बीच हुई झड़पों के बाद डर का माहौल है. इन झड़पों में चार लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए थे. पुलिस और चश्मदीद ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि बुधवार को एक बंगाली व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने से सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. इस दौरान म्यांमार और पूर्वोत्तर भारत की सीमा से लगे चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (CHT) में घरों और व्यवसायों में आग लगा दिए जाने के बाद कई जातीय परिवारों को विस्थापित कर दिया है.

छात्र-नेतृत्व वाले जातीय समूहों द्वारा सीएचटी के तीन पहाड़ी जिलों खगराछारी, रंगमती और बंदरबन में 72 घंटे की सड़क और जलमार्ग नाकाबंदी की जा रही है. इन इलाकों में कई स्वदेशी आदिवासी समूह रहते हैं. प्रदर्शनकारी अशांति फैलाने वाले लोगों को दंडित करने की मांग कर रहे हैं.

जलते हुए घरों को छोड़कर भागे लोग
खगराछारी और रंगमती में कई परिवार जलते हुए घरों और कारोबार को छोड़कर भाग गए हैं. हिंसा के बाद यहां भारी सेना, पुलिस और बॉर्डर गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. इसके बावजूद लोग चिंतित हैं. चटगांव रेंज पुलिस के उप महानिरीक्षक अहसान हबीब ने कहा, "स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है...पुलिस और सुरक्षा बल संयुक्त रूप से गश्त कर रहे हैं, उम्मीद है कि जल्द ही शांति बहाल हो जाएगी." अधिकारियों ने कहा कि बंगाली व्यक्ति की हत्या के बाद जातीय अल्पसंख्यक समुदायों पर जवाबी हमले शुरू हुए.

बौद्ध मंदिरों को निशाना बनाया
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा दर्जनों घरों और व्यवसायों को आग लगा दी गई या उन पर हमला किया गया, जो मुख्य रूप से बौद्ध अल्पसंख्यकों के थे. बौद्ध मंदिरों को निशाना बनाया गया और स्थानीय मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल बंगाली भीड़ को भड़काने के लिए किया गया. स्थानीय अधिकारियों ने खगराछारी और रंगमती में धारा 144 लागू कर दी है.

मोहम्मद यूनुस खेद जताया
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार, जिसने पिछले महीने प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ करने वाले घातक विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता संभाली थी. उन्होंने हिंसा पर गहरा खेद व्यक्त किया है. उन्होंने सुरक्षा बलों को संयम बरतने और सभी निवासियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने को कहा है.

स्थानीय राजनीतिक नेताओं और विभिन्न संगठनों के साथ बैठक के बाद गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि हिंसा की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी.

बता दें कि 1980 के दशक में, सरकार ने हजारों भूमिहीन बंगाली परिवारों को 5,500 वर्ग मील (14,200 वर्ग किमी) सीएचटी में बसाया, जिससे नए बसने वालों और स्वदेशी समूहों के बीच तनाव बढ़ गया. 1997 में तत्कालीन प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार ने शांति बाहिनी, एक आदिवासी गुरिल्ला समूह के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे 25 साल से चल रहा विद्रोह समाप्त हो गया, जो इस क्षेत्र के लिए राजनीतिक स्वायत्तता की मांग कर रहा था.

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