चैन्नई: कैंसर से जूझने और श्रीलंका में आयुर्वेदिक इलाज कराने के बाद, भवतारिणी का 25 जनवरी को निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को चेन्नई ले जाया गया और श्रद्धांजलि के लिए टी.नगर में इलैयाराजा के आवास पर रखा गया. मणिरत्नम, कार्थी, सिम्बु, विजय एंटनी जैसी फिल्मी हस्तियों और मंत्री उदयनिधि स्टालिन जैसी राजनीतिक हस्तियों ने अपना सम्मान व्यक्त किया.
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27 जनवरी को, भवतारिनी के पार्थिव शरीर को मदुरै और फिर कुदालूर, थेनी के पास लोअर कैंप इलाके में इलैयाराजा के फार्महाउस ले जाया गया. पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, निर्देशक भारतीराजा, आमिर और कई शुभचिंतक उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इक्ट्ठे हुए. भवतारिणी का अंतिम संस्कार इलैयाराजा के परिवार द्वारा किया गया, जिसमें कार्तिक राजा, युवान शंकर राजा और वेंकट प्रभु शामिल थे.
भवतारिणी के अंतिम संस्कार में इलैयाराजा ने संगीत तैयार किया, जहां भवतारिणी का पॉपुलर 'सॉन्ग मायिल पोला पोन्नू ओन्नू' बजाया गया जिसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. भवतारिणी को उसी जगह दफनाया गया जहां इलैयाराजा की दिवंगत पत्नी जीवा और मां जीवा और मां चिन्नाथाई को दफनाया गया था. अपने परिवार की संगीत विरासत में व्यापक योगदान के लिए जानी जाने वाली भवतारिणी ने फिल्म भारती के गीत 'मायिल पोला पोन्नू ओन्नू' के लिए बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल अवॉर्ड जीता. उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री और उनके प्रशंसक शोक जता रहे हैं