नई दिल्ली: कारोबारी सप्ताह के पहले दिन भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई, कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच सेंसेक्स 700 अंक से अधिक गिर गया और निफ्टी 50 23,250 से नीचे के स्तर पर आ गया. मिडकैप और स्मॉलकैप में बिकवाली अधिक रही और बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में एक-एक फीसदी से अधिक की गिरावट आई.
बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पिछले सत्र के 424 लाख करोड़ रुपये से घटकर लगभग 419 लाख करोड़ रुपये रह गया, जिससे निवेशकों को लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
इन कारणों से गिरा बाजार
- कमजोर वैश्विक संकेत- भारतीय शेयर बाजार ने कमजोर वैश्विक संकेतों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ की घोषणा के बाद सोमवार को प्रमुख एशियाई बाजारों में गिरावट आई, जिससे व्यापक व्यापार युद्ध की चिंता बढ़ गई, जिसका वैश्विक आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है.
- ट्रंप टैरिफ ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर 25 फीसदी शुल्क लगाया है. अमेरिका के सबसे बड़े व्यापार साझेदार चीन से आयात पर भी 10 फीसदी शुल्क लगाया गया है. जवाबी टैरिफ लगाने की प्रक्रिया चल रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति टैरिफ युद्ध को बढ़ावा दे सकती है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार सकती है.
- रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा- सोमवार को भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला, पहली बार 87 डॉलर प्रति डॉलर के पार पहुंचा. ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर व्यापक टैरिफ लगाए जाने के बाद डॉलर में मजबूत बढ़त दर्ज हुई. विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर इंडेक्स में तेजी से एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) और अधिक बिकवाली करेंगे, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ेगा.
- आरबीआई एमपीसी से पहले सावधानी- केंद्रीय बजट खत्म होने के साथ ही सभी की निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों पर टिकी हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खपत बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर के मोर्चे पर बड़े बदलावों की घोषणा की. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आरबीआई दरों में 25 बीपीएस की कटौती करके उपभोक्ताओं को और राहत देगा.
- विदेशी पूंजी का लगातार आउटफ्लो- विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने लगातार बिकवाली अक्टूबर से बाजार में गिरावट का प्रमुख कारण रही है. अक्टूबर 2024 से एफआईआई लगातार भारतीय इक्विटी बेच रहे हैं, जिसका निवेशकों की धारणा पर भारी असर पड़ा है. 1 अक्टूबर,2024 और 1 फरवरी, 2025 के बीच एफआईआई ने लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयरों को बेच दिया है, जिससे बाजार में गिरावट की स्थिति और खराब हो गई है.