नई दिल्ली: सेबी जांच के लिए एआई का उपयोग कर रहा है. इसके पूर्णकालिक सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने शनिवार को कहा और इस बात पर जोर दिया कि संस्थाओं को तकनीकी विकास पर नजर रखनी चाहिए. शेयर बाजार में हेराफेरी की घटनाओं की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि संदेश यह है कि कानून का पालन करना अधिक फायदेमंद होगा और उल्लंघन से समस्याएं पैदा होंगी.
मीडिया के इस सवाल के जवाब में कि क्या सेबी एआई का उपयोग कर रहा है. इस पर वार्ष्णेय ने कहा कि हम जांच के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं. और कई चीजों के लिए भी उपयोग कर रहे हैं. वह राष्ट्रीय राजधानी में एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के 13वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि जब तक बाजार पारदर्शी है और कोई हेरफेर नहीं हो रहा है, नियामक के लिए यह ठीक है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ पारदर्शिता बढ़ाने और गलत कामों पर अंकुश लगाने के उपाय भी कर रहा है.
सेबी के बारे में
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से 12 अप्रैल, 1988 को एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में गठित किया गया था. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को वर्ष 1992 में एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था. इसके प्रावधान भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) 30 जनवरी 1992 को लागू हुआ.