नई दिल्ली: भारत में एयरलाइन के अंदर वाई-फाई उपलब्ध नहीं हो सकता है. लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस यह सुविधा दी जाती है. इस समस्या से पीड़ित कई लोग अक्सर उड़ानों में इंटरनेट की अनुपलब्धता का कारण पूछते हैं. यह एयरलाइन और विमान के बजट पर निर्भर करता है.
एयरलाइन में वाई-फाई सेवा के लिए दो तरीके हैं- एयर-टू-ग्राउंड और सैटेलाइट वाई-फाई.
- एयर-टू-ग्राउंड तरीका आपके फोन पर जमीन पर मौजूद इंटरनेट की तरह है. इस तकनीक के तहत सेल टावर आसमान की ओर वाई-फाई सिग्नल भेजते हैं. ये सिग्नल विमान में लगे रिसीवर द्वारा पकड़े जाते हैं, जो विमान में वाई-फाई सेवा देते है.
- दूसरा तरीका है सैटेलाइट वाई-फाई है. इस तकनीक में विमानों पर एक एंटीना लगाया जाता है, जो सैटेलाइट से सिग्नल प्राप्त करता है और यात्रियों को इंटरनेट सेवा देता है. यह एक नई तकनीक है, लेकिन कई एयरलाइंस इसे तेजी से अपना रही हैं. इन दोनों तरीकों में यात्रियों को उड़ान के दौरान भी इंटरनेट की सुविधा मिलती है, जिससे लंबी यात्रा और भी आरामदायक हो जाती है.
कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस इन-फ्लाइट वाई-फाई सुविधा देती है.
भारत में विस्तारा देती है इंटरनेट सर्विस
भारत में विस्तारा ही एकमात्र कंपनी है, जिसके पास यह सुविधा है, जो अब विस्तारा अब टाटा ग्रुप के साथ मर्ज हो गई है. विस्तारा एयरलाइंस विदेशी रूट्स पर जो वाई-फाई देती है, वह सिर्फ 20 मिनट के लिए ही मुफ्त होता है. इसके बाद यात्री को इंटरनेट खरीदना पड़ता है.
यह सेवा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में दी जाती है. एयर इंडिया की योजना यूनाइटेड किंगडम जाने वाली उड़ानों में यह सुविधा शुरू करने की है. घरेलू उड़ानों में वाई-फाई सेवा शुरू करने को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं है.
भारत में क्यों नहीं मिलती इंटरनेट सर्विस?
भारतीय एयरलाइंस की वाई-फाई सेवा चालू न होने की एक बड़ी वजह यह है कि सरकार ने 2018 में इस पर रोक लगा दी थी. उसी साल इसे अनुमति दी गई थी. इसके बावजूद घरेलू उड़ानों में वाई-फाई की सुविधा नहीं दी गई. इसकी सबसे बड़ी वजह अब बजट है.
फ्लाइट में वाई-फाई देने के लिए पूरा सेटअप तैयार करने में 3-4 करोड़ रुपए का खर्च आता है. एयरलाइंस में एंटीना फिट करने में करीब 12 घंटे का समय लगता है. इसके अलावा घरेलू ग्राहक कंपनी द्वारा उठाए जा रहे खर्च का बोझ उठाने को तैयार नहीं हैं. खुद एयरलाइंस भी यह खर्च उन पर नहीं डालना चाहती हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इस खर्च के चलते वे अपने ग्राहक खो देंगी.
- संभव है कि अगर ग्राहक वाई-फाई का खर्च उठा सकें तो भारत की घरेलू एयरलाइंस भी इन-फ्लाइट वाई-फाई की सुविधा शुरू कर सकती हैं.