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अंतरिम बजट : 6.2 लाख करोड़ का रक्षा बजट, प्रोद्यौगिकी को किया जाएगा मजबूत

interim budget 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 6.2 लाख करोड़ बजट निर्धारित किया है. सरकार का फोकस अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को मजबूत करना है. वहीं रक्षा बजट पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा कि इसमें प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास के आयात पर बहुत जोर दिया गया है.

defense in the interim budget
अंतरिम बजट में रक्षा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 1, 2024, 1:17 PM IST

Updated : Feb 1, 2024, 3:29 PM IST

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को मजबूत करने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी. उन्होंने रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की. सरकार ने रक्षा पर खर्च के लिए 6.2 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. हालांकि ये पिछले साल के मुकाबले केवल 0.27 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है. सरकार ने पिछले साल रक्षा बजट के लिए 5.93 लाख करोड़ रुपए दिए थे. जबकि वित्त वर्ष 20024-25 के कुल बजट में डिफेंस पर 8 प्रतिशत खर्च हो रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार फसल कटाई के बाद की कृषि गतिविधियों में सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी के अनुप्रयोग का विस्तार किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि तीन प्रमुख रेल गलियारों का निर्माण किया जाएगा और रेलवे की 40,000 सामान्य बोगियों को वंदेभारत मानक में बदला जाएगा. तीन में से एक रेलवे कॉरिडोर सीमेंट के लिए होगा.

बता दें कि पिछले 3 सालों में डिफेंस बजट जीडीपी के 2.4 प्रतिशत से घटकर 1.97 प्रतिशत हो गया है. सरकार रक्षा पर 2020 में जीडीप का 2 प्रतिशत से अधिक हिस्सा खर्च कर रही थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 1.9 प्रतिशत हो गया. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 के अनुसार भारत रिसर्च और डेवलेपमेंट पर कुल जीडीपी का महज 0.7 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर रहा है. हालांकि रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मामले में भारत दुनिया में 53वें स्थान पर है. जबकि चीन ने रिसर्च के लिए 2022 में अपनी जीडीपी का 2.54 प्रतिशत यानी 34 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे. वहीं संसदीय कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक देश को आने वाले सालों में रक्षा क्षेत्र में रिसर्च पर बजट दोगुना करने की जरूरत है. फिलहाल रक्षा रिसर्च का जितना बजट है, वह सिर्फ देश को आत्मनिर्भर बनाने या उसकी रक्षा करने के लिए ही काफी है.

फिलहाल विश्व में दो स्थानों पर युद्ध चल रहा है. एक तरफ गाजा में इजराइल और हमास चार महीने से लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यूरो में रूस और यूक्रेन के बीच लगभग दो साल से जंग छिड़ी हुई है. इससे दुनिया समेत भारत के लिए भी चिंता बढ़ गई है. 2022 में हथियारों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, इसमें करीब 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. हालांकि, इससे पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2022-23 में हथियार खरीदने के बजट में 12 प्रतिशत और उसके पहले 2021-22 में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास के आयात पर बहुत जोर दिया गया : मलिक

रक्षा बजट पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा कि हालांकि यह बहुत बड़ी वृद्धि नहीं है, लेकिन कुल मिलाकर यह एक अच्छी बात है जब तक फोकस है अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी के आयात पर है. उन्होंने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास के आयात पर बहुत जोर दिया गया है. इसलिए, यह एक उत्साहजनक बात है. बजट में वृद्धि हर साल होती है क्योंकि सरकार को मुद्रास्फीति का भी ध्यान रखना होता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या हमारी सीमाओं पर स्थिति को देखते हुए रक्षा बजट में यह बढ़ोतरी उचित है, जनरल मलिक ने कहा कि हमारे सामने दूसरी समस्या यह है कि अगर हम रक्षा बजट में अचानक वृद्धि करते हैं, तो रक्षा मंत्रालय (के अनुसार) मेरा अनुभव) इसे ठीक से खर्च करने में असमर्थ है. एक निश्चित सीमा है कि वे एक वर्ष में कितना खर्च कर सकते हैं और इसीलिए, यदि एमओडी के पास खर्च करने की क्षमता नहीं है तो इसे अचानक नहीं बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि लेकिन जब तक हमारी उत्तरी सीमा पर हमारा बुनियादी ढांचा और जो उपकरण हमें वह सब समय पर मिल रहा है, तब तक सब कुछ ठीक होना चाहिए.

ये भी पढ़ें - इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, जानें क्या है अंतरिम बजट 2024 की मुख्य बातें

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को मजबूत करने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी. उन्होंने रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की. सरकार ने रक्षा पर खर्च के लिए 6.2 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. हालांकि ये पिछले साल के मुकाबले केवल 0.27 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है. सरकार ने पिछले साल रक्षा बजट के लिए 5.93 लाख करोड़ रुपए दिए थे. जबकि वित्त वर्ष 20024-25 के कुल बजट में डिफेंस पर 8 प्रतिशत खर्च हो रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार फसल कटाई के बाद की कृषि गतिविधियों में सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी के अनुप्रयोग का विस्तार किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि तीन प्रमुख रेल गलियारों का निर्माण किया जाएगा और रेलवे की 40,000 सामान्य बोगियों को वंदेभारत मानक में बदला जाएगा. तीन में से एक रेलवे कॉरिडोर सीमेंट के लिए होगा.

बता दें कि पिछले 3 सालों में डिफेंस बजट जीडीपी के 2.4 प्रतिशत से घटकर 1.97 प्रतिशत हो गया है. सरकार रक्षा पर 2020 में जीडीप का 2 प्रतिशत से अधिक हिस्सा खर्च कर रही थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 1.9 प्रतिशत हो गया. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 के अनुसार भारत रिसर्च और डेवलेपमेंट पर कुल जीडीपी का महज 0.7 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर रहा है. हालांकि रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मामले में भारत दुनिया में 53वें स्थान पर है. जबकि चीन ने रिसर्च के लिए 2022 में अपनी जीडीपी का 2.54 प्रतिशत यानी 34 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे. वहीं संसदीय कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक देश को आने वाले सालों में रक्षा क्षेत्र में रिसर्च पर बजट दोगुना करने की जरूरत है. फिलहाल रक्षा रिसर्च का जितना बजट है, वह सिर्फ देश को आत्मनिर्भर बनाने या उसकी रक्षा करने के लिए ही काफी है.

फिलहाल विश्व में दो स्थानों पर युद्ध चल रहा है. एक तरफ गाजा में इजराइल और हमास चार महीने से लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यूरो में रूस और यूक्रेन के बीच लगभग दो साल से जंग छिड़ी हुई है. इससे दुनिया समेत भारत के लिए भी चिंता बढ़ गई है. 2022 में हथियारों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, इसमें करीब 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. हालांकि, इससे पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2022-23 में हथियार खरीदने के बजट में 12 प्रतिशत और उसके पहले 2021-22 में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास के आयात पर बहुत जोर दिया गया : मलिक

रक्षा बजट पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा कि हालांकि यह बहुत बड़ी वृद्धि नहीं है, लेकिन कुल मिलाकर यह एक अच्छी बात है जब तक फोकस है अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी के आयात पर है. उन्होंने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास के आयात पर बहुत जोर दिया गया है. इसलिए, यह एक उत्साहजनक बात है. बजट में वृद्धि हर साल होती है क्योंकि सरकार को मुद्रास्फीति का भी ध्यान रखना होता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या हमारी सीमाओं पर स्थिति को देखते हुए रक्षा बजट में यह बढ़ोतरी उचित है, जनरल मलिक ने कहा कि हमारे सामने दूसरी समस्या यह है कि अगर हम रक्षा बजट में अचानक वृद्धि करते हैं, तो रक्षा मंत्रालय (के अनुसार) मेरा अनुभव) इसे ठीक से खर्च करने में असमर्थ है. एक निश्चित सीमा है कि वे एक वर्ष में कितना खर्च कर सकते हैं और इसीलिए, यदि एमओडी के पास खर्च करने की क्षमता नहीं है तो इसे अचानक नहीं बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि लेकिन जब तक हमारी उत्तरी सीमा पर हमारा बुनियादी ढांचा और जो उपकरण हमें वह सब समय पर मिल रहा है, तब तक सब कुछ ठीक होना चाहिए.

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Last Updated : Feb 1, 2024, 3:29 PM IST
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