पटना : बिहार में आधी आबादी वोट देने के मामले में पुरुषों से जरूर आगे है. 2019 में भी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया था. इसके बावजूद दलों की ओर से आधी आबादी को टिकट देने में कंजूसी की जाती है. हालांकि इस बार राजद की ओर से सबसे अधिक 6 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. राजद ने 2004 में लोकसभा में एक 2009 में दो, 2014 में पांच और 2019 में 3 सीटों पर महिलाओं को उतारा था, लेकिन 2024 में 6 महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है.
लालू ने दो बेटियों को दिया टिकट : लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती वैसे तो तीसरी बार पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ रही हैं. दो बार चुनाव हार चुकी हैं. इस बार भी उनका मुकाबला बीजेपी के रामकृपाल यादव से ही होना है. लड़ाई कांटे की है. लालू यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य लंबे समय से विदेश में हैं, लेकिन कई करणों से चर्चा में बनी रहती हैं. कभी ट्वीट को लेकर तो कभी अपने पिता को किडनी देने के कारण चर्चा में रही हैं. पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं. उन्हें सारण से उम्मीदवार बनाया गया है. रोहिणी आचार्य के साथ सिंपैथी वोट है. उनका मुकाबला लगातार चुनाव जीत रहे भाजपा के राजीव प्रताप रूडी से हो रहा है.
अनीता देवी और रितु जायसवाल देंगी टक्कर : मुंगेर से राजद की उम्मीदवार अनीता देवी इसलिए चर्चा में हैं, क्योंकि बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं. चुनाव लड़ने के लिए ही अशोक महतो ने 60 साल की उम्र में अनीता से शादी की है. अनीता का मुकाबला जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष है ललन सिंह से होगा. रितु जायसवाल मुखिया रहते काम के बदौलत रूप में चर्चा में रही हैं. शिवहर से इस बार लवली आनंद से मुकाबला है. लवली आनंद को जदयू ने टिकट दिया है. लवली आनंद बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी हैं. ऐसे में दोनों का मुकाबला दिलचस्प है.
''बीजेपी सिर्फ बोलती है, लेकिन असल में महिला विरोधी है. राजद ने महिलाओं को पर्याप्त हिस्सेदारी दी है.''- चितरंजन गगन, आरजेडी प्रवक्ता
पूर्णिया में बीमा भरती ठोंक रही ताल : राजद ने बीमा भारती को पूर्णिया से टिकट दिया है. बीमा भारती जदयू की विधायक रही हैं, लेकिन पाला बदलकर आरजेडी में शामिल हो गईं और राजद ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया. पूर्णिया में पप्पू यादव के उतरने के कारण लड़ाई दिलचस्प हो गई है. वैसे जदयू का यह सिटिंग सीट है. संतोष कुमार यहां से सांसद हैं, यहां त्रिकोणीय मुकाबला होना तय है.
चिराग ने दो महिलाओं को मैदान में उतारा : अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को लोजपा (रामविलास) ने समस्तीपुर से टिकट दिया है. शांभवी सबसे कम उम्र की महिला उम्मीदवार हैं. लोजपा (रामविलास) की ओर से वीणा देवी को वैशाली से टिकट दिया गया है, वह पहले से सांसद रही हैं.
विजय लक्ष्मी को टिकट : जदयू की ओर से सिवान से इस बार विजय लक्ष्मी को टिकट दिया गया है. विजय लक्ष्मी रमेश कुशवाहा की पत्नी हैं, जो उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. लेकिन टिकट के लिए उन्होंने पाला बदलकर जदयू का दामन थाम लिया. सिवान में हिना शहाब भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की हैं. हिना शहाब बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हैं. ऐसे में सिवान में लड़ाई जबरदस्त होने वाली है.
''महिला के लिए बात नहीं है, काम भी नीतीश कुमार ही करते रहे हैं. महिला सशक्तिकरण का मतलब नीतीश कुमार होता है. पंचायत में 50% आरक्षण, पुलिस में 35% आरक्षण और नौकरी में 35% आरक्षण यह सब उदाहरण है. साइकिल योजना, पोशाक योजना और भी कई योजनाएं नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए ही लागू किया था. कई राज्यों में नीतीश कुमार के लिए गए फैसले लागू किये जा रहे हैं. यही नहीं महिलाओं के कहने पर ही नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू किया है. इसलिए बिहार में महिला सशक्तिकरण के लिए जितना नीतीश कुमार ने काम किया है उतना किसी ने नहीं.''- परिमल कुमार, जदयू प्रवक्ता
बीजेपी-कांग्रेस ने महिलाओं को नहीं दिया टिकट : सबसे बड़ी बात यह है कि देश की दो सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने महिलाओं पर इसबार भरोसा नहीं जताया है. हालांकि कांग्रेस अभी 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है. वैसे 2 निर्दलीय महिला प्रत्याशी भी मैदान में है.
''महिलाओं का मतलब आरजेडी में लालू परिवार होता है, जबकि बीजेपी ने अभी हाल ही में राज्यसभा में महिला को ही भेजा है. विधान परिषद में भी बीजेपी महिलाओं को जगह देती रही है. आने वाला समय महिलाओं का ही होने वाला है, क्योंकि बीजेपी ने महिलाओं के लिए आरक्षण पास करवाया है.''- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता
'टिकट देना और काम करना दो अलग मुद्दे' : वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है आधी आबादी को टिकट देने में नारी वंदन शक्ति की बात करने वाली बीजेपी जरूर फेल रही है. राजद का स्ट्राइक रेट अच्छा रहा है, लेकिन केवल टिकट देने से नहीं होगा. महिलाओं के लिए कौन काम करता है यह भी देखना होगा. बीजेपी ने महिलाओं के लिए कई काम भी किया है, इसलिए आधी आबादी का वोट बीजेपी को मिलता है.
महिला सांसदों को लेकर बिहार का इतिहास : बिहार में 10 महिलाओं को एक से अधिक बार सांसद बनने का मौका मिला है. बाढ़ से कांग्रेस की तारकेश्वर सिन्हा 1952, 1957 1962 और 1967 में सांसद रहीं. वहीं रमादेवी मोतिहारी से राजद से 1998 में तथा 2009, 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट से शिवहर से चुनाव जीती. बेगूसराय से कांग्रेस की कृष्णा शाही 1980, 1984 और 1991 में सांसद बनीं.
मीरा कुमार ने बढ़ाया मान : सासाराम से कांग्रेस की मीरा कुमार 2004, 2009 में चुनाव जीतीं. मीरा कुमार दिल्ली के करोल बाग से दो बार और यूपी के बिजनौर से एक बार सांसद भी रही हैं. वह लोकसभा अध्यक्ष भी रही हैं. जहानाबाद से सत्यभामा देवी 1957, 1962 में कांग्रेस से जीतीं. बांका से शकुंतला देवी 1957 और 1962 में कांग्रेस से जीती. मनोरमा देवी 1984 और 1986 में कांग्रेस की टिकट से बांका से चुनाव जीतीं. वैशाली से किशोरी सिन्हा 1980 में जनता पार्टी से 1984 में कांग्रेस से चुनाव जीतीं. माधुरी सिंह 1980 और 1984 में पूर्णिया से चुनाव जीतीं.
अब तक 25 महिलाएं पहुंचीं संसद : लोकसभा चुनाव 2024 में 12 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. उसमें से कई पर सब की नजर है. लालू प्रसाद यादव की दोनों पुत्री मीसा भारती और रोहिणी आचार्य के साथ अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी भी लड़ाई में हैं. इसके अलावा सिवान में हिना शहाब और शिवहर में लवली आनंद पर भी सबकी नजर रहेगी. बता दें कि अभी तक बिहार की 25 महिलाओं ने ही लोकसभा का मुंह देखा है. 2009 में चार महिला सांसद बिहार से चुनी गईं थीं, लेकिन 2014 और 2019 में घटकर तीन हो गयी. अब इस बार देखना है महिलाओं का स्ट्राइक रेट क्या होता है.
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