शिमला: मंगलवार 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर जो संकट के बादल मंडराए वो बुधवार को और भी गहरे हो गए. बुधवार सुबह सुखविंदर सिंह सुक्खू कैबिनेट के एक मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद हिमाचल में कांग्रेस के कुनबे में शिमला से लेकर दिल्ली तक हलचल मच गई. आइये जानते हैं कि कौन हैं विक्रमादित्य सिंह और उनके नाम की चर्चा क्यों हो रही है.
राजा भी और मंत्री भी
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में विक्रमादित्य सिंह एक जाना माना नाम है. उनके पिता वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश की बुशहर रियासत के राजा हैं. राजघराने से ताल्लुक रखने वाले विक्रमादित्य सिंह को राजनीति विरासत में मिली है. उनकी माता प्रतिभा सिंह मंडी से लोकसभा सांसद और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं. विक्रमादित्य की पॉलिटिकल सफर की बात करें तो वह वर्तमान में शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक हैं. वो साल 2017 में पहली बार विधायक चुने गए थे, तब उनकी उम्र महज 28 साल थी. 2022 विधानसभा चुनाव में दूसरी बार विधानसभा पहुंचने के बाद उन्हें कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनाया गया था. मौजूदा समय में वो पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. वो हिमाचल के खेल मंत्री भी रहे हैं लेकिन 2 महीने पहले हुए मंत्रीमंडल विस्तार के बाद उनसे ये विभाग वापस ले लिया गया था. विधायक बनने से पहले वो हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे.
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में हुए थे शामिल
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विक्रमादित्य सिंह ने भी शिरकत की थी. निमंत्रण के लिए वो लगातार पीएम मोदी का शुक्रिया भी करते रहे हैं. राम मंदिर निर्माण को लेकर विक्रमादित्य सिंह और प्रतिभा सिंह पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं. कांग्रेस आलाकमान ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था लेकिन विक्रमादित्य सिंह उस समारोह में शामिल हुए थे. उन्होंने अयोध्या राम मंदिर से अपनी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर भी किया था, जिसने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोंरी. उस समय उन्होंने कहा कि धर्म उनके लिए राजनीति से ऊपर हैं और उनके पिता वीरभद्र सिंह भी राम मंदिर के बड़े समर्थक थे. उनके पिता ने राम मंदिर के लिए अपनी निजी कोष से दान भी दिया था.
सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप
विक्रमादित्य सिंह पहले भी अपनी सरकार के खिलाफ बोलकर सुर्खियों में रहे हैं. बुधवार को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने अपनी सरकार पर विधायकों की अनदेखी का आरोप लगाया. साथ ही शिमला के रिज मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा ना लगाए जाने को लेकर भी निशाना साधा. उन्होंने अपनी सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए साथ ही कहा कि मैं दबने वाला नहीं हूं और गलत का समर्थन कभी नहीं करूंगा.
वीरभद्र सिंह परिवार का कद
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की सियासत में अपने माता-पिता की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं. हिमाचल में राजनीति का जिक्र वीरभद्र सिंह के बिना अधूरा है. वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहने के अलावा सांसद, केंद्रीय मंत्री, नेता विपक्ष, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. साल 2021 में वीरभद्र सिंह का निधन हो गया. वीरभद्र सिंह के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2021 में जब मंडी लोकसभा चुनाव पर उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को टिकट दिया था. प्रतिभा सिंह ने इस चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके अलावा कांग्रेस आलाकमान ने प्रतिभा सिंह को ही हिमाचल कांग्रेस की जिम्मेदारी भी दी थी. वैसे प्रतिभा सिंह इससे पहले साल 2004 लोकसभा चुनाव और 2013 लोकसभा उपचुनाव के दौरान मंडी लोकसभा सीट से ही चुनकर लोकसभा पहुंच चुकी हैं. साल 2022 में हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की जीत हुई थी तो उस वक्त भी मुख्यमंत्री बनने की रेस में प्रतिभा सिंह का नाम शामिल था.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में कांग्रेस को 'ऑपरेशन लोटस' का डर, दिल्ली से शिमला तक कांग्रेसी कुनबे में हलचल