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जमीन का भी बनेगा 'आधार कार्ड', न अपनों से रहगा झगड़ा, न पड़ोसियों से होगा विवाद - Bhu Aadhar

Unique Land Parcel Identification Number: सरकार ने भूमि सुधार के लिए भू-आधार का प्रस्ताव रखा है. भू-आधार के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की सभी जमीनों को 14 अंकों का यूनीक आइडेंटिटी नंबर मिलेगा. इससे जमीन से जुड़े विवाद खत्म होंंगे.

BHU Aadhar
भू-आधार (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 1:40 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2024 के आम बजट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधार के लिए कई अहम कदम उठाएं हैं. इसमें ग्रामीण इलाकों में भूमि के लिए यूनीक आइडेंटिटी नंबर या ‘भू-आधार’ और शहरी भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव शामिल है.

इतना ही नहीं सरकार अगले तीन साल में इन भूमि सुधारों को पूरा करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता भी देगी. केंद्र सरकार के इन कदम से भूमि से जुड़े विवाद खत्म होंगे और भू-आधार से जमीन का मालिकाना हक होगा.

जानें क्या है भू-आधार?
भू-आधार के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की सभी जमीनों को 14 अंकों का यूनीक आइडेंटिटी नंबर मिलेगा, जिसे भू-आधार (ULPIN) के नाम से कहा जाता है. भू-आधार में जमीन की आइडेंटिटी नंबर के साथ सर्वे, मैप, स्‍वामित्‍व और किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. इससे कृषि ऋण मिलने में आसानी होगी और किसानों को अन्य कृषि सेवाएं मिलने में भी सुविधा होगी.

बता दें कि सरकार ने यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने और एक इंटिग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम प्रदान करने के लिए 2008 में शुरू की थी.

शहरों क्षेत्रों की GIS मैपिंग
वहीं, अगर बात करें शहरी क्षेत्रों की तो यहां, लैंड रिकॉर्ज को जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटल किया जाएगा. साथ ही संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अपडेशन और टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक आईटी बेस्ड सिस्टम भी बनाया जाएगा. इससे शहरों की लॉकल बॉडीद की फाइनेंशियल स्थिति में सुधार होगा.

कैसे काम करता है भू-आधार?
भू-आधार में सबसे पहले भूखंड को जीपीएस तकनीक की ममदद से जियोटैग किया जाता है ताकि इसकी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान हो सके. इसके बार सर्वे करके भूखंड की सीमाओं का फिजिकल वेरिफिकेशन और माप किया जाता है.

इस दौरान भूमि मालिक का नाम, क्षेत्र आदि जैसी डिटेल इकठ्ठा की जाती है. फिर इस डिटेल को लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम में दर्ज किया जाता है. इसके बाद सिस्टम ऑटोमैटिकली भूखंड के लिए 14 अंक का भू-आधार संख्या तैयार करता है. यह संख्या डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ी होती है.

भू-आधार में जानकारी होती है मौजूद
आधार कार्ड की ही तरह भू-आधार में स्टेट कोड, डिस्ट्रिक्ट कोड, उप-जिला कोड, गांव कोड, भूखंड की यूनीक आईडी नंबर होते हैं. भू-आधार संख्या को डिजिटल और फिजिकली दस्तावेज पर अंकित किया जाता है. चाहे भूमि हस्तांतरित हो, कई हिस्सों में विभाजित हो या फिर उसमें कोई बदलाव हुआ हो, भू-आधार संख्या भूखंड की भौगोलिक सीमा के लिए समान रहेगी और उसमें कोई बदलाव नहीं होगा.

क्या हैं भू-आधार के फायदे?
भू-आधार भूमि-लेवल मैप और माप के माध्यम से सटीक भूमि रिकॉर्ड सुनिश्चित करता है. इससे भूखंड की पहचान करने में आसानी होती है, जिससे भूमि को लेकर अक्सर होने वाले विवादों से छुटकारा मिलेगा. आधार से लिंक होने पर भूमि रिकॉर्ड तक ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकेगा. इतना ही नहीं इससे भूखंड से संबंधित संपूर्ण इतिहास और उसके मालिकों की डिटेल को ट्रैक किया जा सकता है. साथ ही इससे नीति निर्माण के लिए सरकार को सटीक भूमि डेटा मिलेगा.

यह भी पढ़ें- पिछले पांच सालों में भारत में 628 बाघों की मौत हुई, 349 लोग बने टाइगर्स के शिकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2024 के आम बजट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि सुधार के लिए कई अहम कदम उठाएं हैं. इसमें ग्रामीण इलाकों में भूमि के लिए यूनीक आइडेंटिटी नंबर या ‘भू-आधार’ और शहरी भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव शामिल है.

इतना ही नहीं सरकार अगले तीन साल में इन भूमि सुधारों को पूरा करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता भी देगी. केंद्र सरकार के इन कदम से भूमि से जुड़े विवाद खत्म होंगे और भू-आधार से जमीन का मालिकाना हक होगा.

जानें क्या है भू-आधार?
भू-आधार के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की सभी जमीनों को 14 अंकों का यूनीक आइडेंटिटी नंबर मिलेगा, जिसे भू-आधार (ULPIN) के नाम से कहा जाता है. भू-आधार में जमीन की आइडेंटिटी नंबर के साथ सर्वे, मैप, स्‍वामित्‍व और किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. इससे कृषि ऋण मिलने में आसानी होगी और किसानों को अन्य कृषि सेवाएं मिलने में भी सुविधा होगी.

बता दें कि सरकार ने यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने और एक इंटिग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम प्रदान करने के लिए 2008 में शुरू की थी.

शहरों क्षेत्रों की GIS मैपिंग
वहीं, अगर बात करें शहरी क्षेत्रों की तो यहां, लैंड रिकॉर्ज को जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटल किया जाएगा. साथ ही संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अपडेशन और टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक आईटी बेस्ड सिस्टम भी बनाया जाएगा. इससे शहरों की लॉकल बॉडीद की फाइनेंशियल स्थिति में सुधार होगा.

कैसे काम करता है भू-आधार?
भू-आधार में सबसे पहले भूखंड को जीपीएस तकनीक की ममदद से जियोटैग किया जाता है ताकि इसकी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान हो सके. इसके बार सर्वे करके भूखंड की सीमाओं का फिजिकल वेरिफिकेशन और माप किया जाता है.

इस दौरान भूमि मालिक का नाम, क्षेत्र आदि जैसी डिटेल इकठ्ठा की जाती है. फिर इस डिटेल को लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम में दर्ज किया जाता है. इसके बाद सिस्टम ऑटोमैटिकली भूखंड के लिए 14 अंक का भू-आधार संख्या तैयार करता है. यह संख्या डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ी होती है.

भू-आधार में जानकारी होती है मौजूद
आधार कार्ड की ही तरह भू-आधार में स्टेट कोड, डिस्ट्रिक्ट कोड, उप-जिला कोड, गांव कोड, भूखंड की यूनीक आईडी नंबर होते हैं. भू-आधार संख्या को डिजिटल और फिजिकली दस्तावेज पर अंकित किया जाता है. चाहे भूमि हस्तांतरित हो, कई हिस्सों में विभाजित हो या फिर उसमें कोई बदलाव हुआ हो, भू-आधार संख्या भूखंड की भौगोलिक सीमा के लिए समान रहेगी और उसमें कोई बदलाव नहीं होगा.

क्या हैं भू-आधार के फायदे?
भू-आधार भूमि-लेवल मैप और माप के माध्यम से सटीक भूमि रिकॉर्ड सुनिश्चित करता है. इससे भूखंड की पहचान करने में आसानी होती है, जिससे भूमि को लेकर अक्सर होने वाले विवादों से छुटकारा मिलेगा. आधार से लिंक होने पर भूमि रिकॉर्ड तक ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकेगा. इतना ही नहीं इससे भूखंड से संबंधित संपूर्ण इतिहास और उसके मालिकों की डिटेल को ट्रैक किया जा सकता है. साथ ही इससे नीति निर्माण के लिए सरकार को सटीक भूमि डेटा मिलेगा.

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