देहरादून: प्रदेश भर के 400 से ज्यादा प्राकृतिक जल स्रोतों पर संकट मंडरा रहा है. इन प्राकृतिक स्रोतों में धीरे धीरे पानी कम हो रहा है. गर्मियों में ये परेशानी और भी ज्यादा बढ़ गई है. देहरादून का शिखर फॉल भी ऐसे ही जल स्रोतों में से एक है. शिखर फॉल देहरादून के कई इलाकों की प्यास बुझाता है. बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी के कारण शिखर फॉल में पानी की कमी होने लगी है. क्या हैं इसके कारण? इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम शिखर फॉल पहुंची.
शिखर फॉल का कम हो रहा वाटर लेबल: शिखर फॉल देहरादून शहर के करीब 13 किलोमीटर है. शिखर फॉल रिस्पना नदी को पानी देने का काम करता है. इस झरने तक पहुंचने के लिए करीब 2 किलोमीटर की पैदल ट्रैकिंग करनी पड़ती है. यह क्षेत्र लंबे समय से पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. बड़ी संख्या में यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. अब धीरे धीरे शिखर फॉल में पानी की उपलब्धता कम हो रही है. फिलहाल इसकी बड़ी वजह लंबे समय से बारिश का न होना बताया जा रहा है. यहां ना केवल झरने से गिरने वाला पानी कम हो रहा है बल्कि इसके आगे पत्थरों के बीच से कभी लबालब होकर गुजरने वाला पानी भी अब गायब सा होता दिख रहा है. लोगों की मानें तो धीरे-धीरे स्रोत सूख रहे हैं. इसका कारण यह भी है कि पहले चाल खाल तैयार किए जाते थे. जिससे अंडरग्राउंड वॉटर रिचार्ज होता रहता था. अब जंगलों में आग लगने जैसी घटनाएं हो रही हैं, इस पर लोगों ने भी काम करना बंद कर दिया है. साथ ही तमाम विकास कार्यों में भी प्राकृतिक स्त्रोतों को नुकसान हो रहा है.
उत्तराखंड में 460 जलस्रोतों पर मंडरा रहा संकट: शिखर फॉल तो केवल एक उदाहरण है, प्रदेश में ऐसे करीब 460 जल स्रोत हैं जो सूख रहे हैं. किसी जल स्रोत में पानी की मात्रा 50% तक कम हो गई है तो किसी में 80% तक भी पानी कम हुआ है. अधिकारी शिखर फॉल को लेकर भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि इससे मिलने वाला 15 एमएलडी पानी अब केवल 10 एमएलडी तक ही सीमित रह गया है. यह स्थिति अब देहरादून के कई इलाकों में पेयजल की परेशानी को बढ़ा रही है.
सारा करेगी संकटग्रस्त जलस्रोतों का अध्यन: सूखते जल स्रोतों को जीवित रखने के लिए सरकार की तरफ से विशेषज्ञों की मौजूदगी वाली स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजूवेनेशन एजेंसी (सारा) का गठन किया गया. इसकी तरफ से सरकार को अध्ययन के आधार पर सुझाव भी दिए जा रहे हैं, इसके बाद भी प्रदेश में जल स्रोत सूख रहे हैं. जल संस्थान की तरफ से भी जल स्रोतों में सूख रहे पानी की भी स्थिति के आंकड़े एजेंसी को दिये गये हैं. जिन 460 जल स्रोतों में पानी कम होने की बात की जा रही है उनका भी एजेंसी के माध्यम से अध्ययन किया जा रहा है. जल्द ही अध्ययन के आधार पर सुझाव भी प्रस्तुत किए जाएंगे.
संकटग्रस्त जलस्रोतों का जिलेवार आंकड़ा: ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इस बार मौसम में काफी बदलाव देखा जा रहा है. काफी वक्त से बारिश नहीं होने के कारण भीषण गर्मी से भी लोगों को जूझना पड़ रहा है. इसके लिए अंधाधुन पेड़ों का कटान और पहाड़ों पर बेतरतीब बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य को भी वजह माना जा रहा है. मौजूद आंकड़ों के अनुसार पौड़ी में 72, चमोली में 69, टिहरी में 37, उत्तरकाशी में 36, देहरादून में 31, रुद्रप्रयाग में 18, बागेश्वर में 21, चंपावत में 19, पिथौरागढ़ में 47, अल्मोड़ा में 92, और नैनीताल में 35 जल स्रोतों का पानी कम हुआ है. उधर दूसरी तरफ प्रदेश में 400 से ज्यादा बस्तियां ऐसी हैं जहां पानी का संकट खड़ा हो गया है.
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