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शहरी इलाकों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में वोटिंग प्रतिशत अधिक, जानें क्या कहते हैं आंकड़े?

Lok Sabha Election 2024 बिहार में शहरी इलाकों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा है. ऐसे में वोट प्रतिशत बढ़ाई को लेकर चुनाव आयोग को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. इसके पीछे कई वजह निकलकर सामने आ रही है. वोटिंग प्रतिशत और लोकसभा-विधानसभा के मतदान प्रतिशत पर नजर डालें तो ये अंतर आसानी से समझा जा सकता है.

मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बड़ी चुनौती
मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बड़ी चुनौती
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 21, 2024, 6:03 AM IST

Updated : Feb 21, 2024, 7:51 AM IST

मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बड़ी चुनौती

पटना : बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हलचल बढ़ने लगी है. चुनाव आयोग की तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है, तो दूसरी तरफ पार्टियों की ओर से भी अपनी तैयारी चल रही है. जहां, बीजेपी बूथ फतह करने पर जोर दे रही हैं. जदयू ने भी अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाने के लिए कह दिया है. तेजस्वी यादव तो चुनावी घोषणा से पहले ही मैदान में उतर चुके हैं. लेकिन पिछले कुछ चुनाव की वोटिंग पैटर्न को देखें तो बिहार के शहरी इलाकों से अधिक, ग्रामीण इलाकों में वोटिंग हुई है और चुनाव आयोग के लिए यह बड़ी चुनौती है.

बिहार की सबसे बड़ी पार्टी : 40 लोकसभा सीटों को साधने के लिए सभी पार्टी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगी हैं. बिहार में बीजेपी सदस्यों के मामले में सबसे बड़ी पार्टी है. बीजेपी के पास 1 करोड़ 24 लाख सदस्य बिहार में हैं. आरजेडी दूसरी बड़ी पार्टी है, जिसके सदस्यों की संख्या 98 लाख 64203 है. वहीं, जदयू की ओर से जो सदस्यता अभियान चलाया गया उसमें 70 लाख से अधिक सदस्य बनने का दावा किया गया, जो 2019 के मुकाबले 30 लाख अधिक है. 2022 में सभी दलों की ओर से सदस्यता अभियान चलाया गया था. कांग्रेस की ओर से भी 25 लाख से अधिक सदस्य बनाए जाने की बात कही जा रही है तो, वहीं लोजपा की ओर से भी दोनों गुट मिला दें तो 50 लाख सदस्य बनाने का दावा किया जा रहा है. हम और वामपंथी दल भी लाखों की संख्या में सदस्य बनाने की बात कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX.
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बिहार में शहरी और ग्रामीण वोट प्रतिशत : सभी पार्टियां सदस्यता अभियान चलाती हैं और प्रचार भी करती हैं. जनता को रिझाने की पूरी कोशिश करते हैं. चुनाव आयोग की तरफ से भी जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लेकिन उसके बावजूद बिहार में 2019 और 2020 के चुनाव पर नजर डालें तो ग्रामीण इलाकों में जहां वोट प्रतिशत बढ़ रहा है. वहीं शहरी इलाकों में वोट प्रतिशत घट रहा है. पटना जिला के सभी विधानसभा क्षेत्र को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा चुनाव आयोग के आंकड़े के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव में 51% वोट डाले गए थे. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में 51.12% लोगों ने वोट डाला था. कई शहरी इलाकों में 35% तो कहीं 36% तक वोट पड़े थे.

शहरों में वोटिंग प्रतिशत में उदासीनता : यह आंकड़ा पटना जिले का है, लेकिन अन्य शहरी इलाकों की स्थिति भी कमोबेश यही है. शहरी इलाकों में वोटिंग के प्रति उदासीनता पिछले चुनाव में साफ़ देखने को मिला है. राजनीतिक विशेषज्ञ प्रेम रंजन भारती का कहना है कि ''इसका एकमात्र कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वोटिंग के प्रति लोगों में उत्साह रहता है. लेकिन शहर जहां पढ़े हुए लोग अधिक हैं, वोटिंग के प्रति उत्साह नहीं रहता है.''

''शहरी इलाकों में लोग वोटिंग करने से बचते हैं. वोट टालने की कोशिश करते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे अपना अधिकार समझ रहे हैं और उन्हें अधिक वोट करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है.''- महबूब आलम, विधायक, माले

ईटीवी भारत GFX.
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वोटिंग में महिलाएं पुरुषों से अव्वल : 2015 से 2020 तक हुए बिहार में चुनाव के वोट प्रतिशत को देखें तो 60% से कम है ही, साथ ही पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोटिंग किया है. 2020 में 243 सीटों पर कुल वोटिंग 57.05 फीसदी हुई थी जिसमें पुरुषों ने जहां 54.68 फीसद मतदान किया. वहीं, आधी आबादी ने 59.69 फीसद भागीदारी सुनिश्चित की. 2019 के लोकसभा चुनाव में 57.46 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जिसमें महिलाओं ने 59.92 तो पुरुषों ने 55.26% वोट डाला था. 2015 के चुनाव से तुलना करें तो 56.66 फीसद मतदान हुआ था. इसमें महिलाओं ने 60.48 फीसद मतदान किया था वहीं, लोकतंत्र के महापर्व में पुरुषों की 53.32 फीसदी भागीदारी रही थी.बिहार में 60 फीसदी वोट : बिहार में लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव, वोटिंग प्रतिशत 60% से नीचे ही है. ग्रामीण इलाकों से शहरी इलाकों की स्थिति वोटिंग के मामले में और खराब है. पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव का ट्रेंड ग्रामीण और शहरी इलाकों की तब है जब शहरी इलाकों में बीजेपी का प्रभाव माना जाता है.

शहरी क्षेत्र में वोट प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती : बिहार की अधिकांश लोकसभा सीट जो शहरी इलाके में है उस पर बीजेपी का ही कब्जा है. विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी ही बढ़त बनाई हुई है. लेकिन इसके बाद भी शहरी इलाकों का वोट प्रतिशत लगातार चुनाव आयोग के लिए भी चुनौती बना हुआ है. ऐसे में चुनाव आयोग की तरफ से लगातार जागरूकता के अभियान चलाए जा रहे हैं. वोटर लिस्ट में युवाओं को जोड़ने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है. इस बार बिहार में 7 करोड़ 64 लाख वोटर हो गए हैं, जिसमें 12 लाख से अधिक नए वोटर जुड़े हैं. अब देखना है इस बार लोकसभा चुनाव में शहरी इलाकों का वोट प्रतिशत मैं सुधार होता है या नहीं.

मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बड़ी चुनौती

पटना : बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हलचल बढ़ने लगी है. चुनाव आयोग की तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है, तो दूसरी तरफ पार्टियों की ओर से भी अपनी तैयारी चल रही है. जहां, बीजेपी बूथ फतह करने पर जोर दे रही हैं. जदयू ने भी अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाने के लिए कह दिया है. तेजस्वी यादव तो चुनावी घोषणा से पहले ही मैदान में उतर चुके हैं. लेकिन पिछले कुछ चुनाव की वोटिंग पैटर्न को देखें तो बिहार के शहरी इलाकों से अधिक, ग्रामीण इलाकों में वोटिंग हुई है और चुनाव आयोग के लिए यह बड़ी चुनौती है.

बिहार की सबसे बड़ी पार्टी : 40 लोकसभा सीटों को साधने के लिए सभी पार्टी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगी हैं. बिहार में बीजेपी सदस्यों के मामले में सबसे बड़ी पार्टी है. बीजेपी के पास 1 करोड़ 24 लाख सदस्य बिहार में हैं. आरजेडी दूसरी बड़ी पार्टी है, जिसके सदस्यों की संख्या 98 लाख 64203 है. वहीं, जदयू की ओर से जो सदस्यता अभियान चलाया गया उसमें 70 लाख से अधिक सदस्य बनने का दावा किया गया, जो 2019 के मुकाबले 30 लाख अधिक है. 2022 में सभी दलों की ओर से सदस्यता अभियान चलाया गया था. कांग्रेस की ओर से भी 25 लाख से अधिक सदस्य बनाए जाने की बात कही जा रही है तो, वहीं लोजपा की ओर से भी दोनों गुट मिला दें तो 50 लाख सदस्य बनाने का दावा किया जा रहा है. हम और वामपंथी दल भी लाखों की संख्या में सदस्य बनाने की बात कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX.
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बिहार में शहरी और ग्रामीण वोट प्रतिशत : सभी पार्टियां सदस्यता अभियान चलाती हैं और प्रचार भी करती हैं. जनता को रिझाने की पूरी कोशिश करते हैं. चुनाव आयोग की तरफ से भी जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लेकिन उसके बावजूद बिहार में 2019 और 2020 के चुनाव पर नजर डालें तो ग्रामीण इलाकों में जहां वोट प्रतिशत बढ़ रहा है. वहीं शहरी इलाकों में वोट प्रतिशत घट रहा है. पटना जिला के सभी विधानसभा क्षेत्र को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा चुनाव आयोग के आंकड़े के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव में 51% वोट डाले गए थे. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में 51.12% लोगों ने वोट डाला था. कई शहरी इलाकों में 35% तो कहीं 36% तक वोट पड़े थे.

शहरों में वोटिंग प्रतिशत में उदासीनता : यह आंकड़ा पटना जिले का है, लेकिन अन्य शहरी इलाकों की स्थिति भी कमोबेश यही है. शहरी इलाकों में वोटिंग के प्रति उदासीनता पिछले चुनाव में साफ़ देखने को मिला है. राजनीतिक विशेषज्ञ प्रेम रंजन भारती का कहना है कि ''इसका एकमात्र कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वोटिंग के प्रति लोगों में उत्साह रहता है. लेकिन शहर जहां पढ़े हुए लोग अधिक हैं, वोटिंग के प्रति उत्साह नहीं रहता है.''

''शहरी इलाकों में लोग वोटिंग करने से बचते हैं. वोट टालने की कोशिश करते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे अपना अधिकार समझ रहे हैं और उन्हें अधिक वोट करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है.''- महबूब आलम, विधायक, माले

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वोटिंग में महिलाएं पुरुषों से अव्वल : 2015 से 2020 तक हुए बिहार में चुनाव के वोट प्रतिशत को देखें तो 60% से कम है ही, साथ ही पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोटिंग किया है. 2020 में 243 सीटों पर कुल वोटिंग 57.05 फीसदी हुई थी जिसमें पुरुषों ने जहां 54.68 फीसद मतदान किया. वहीं, आधी आबादी ने 59.69 फीसद भागीदारी सुनिश्चित की. 2019 के लोकसभा चुनाव में 57.46 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जिसमें महिलाओं ने 59.92 तो पुरुषों ने 55.26% वोट डाला था. 2015 के चुनाव से तुलना करें तो 56.66 फीसद मतदान हुआ था. इसमें महिलाओं ने 60.48 फीसद मतदान किया था वहीं, लोकतंत्र के महापर्व में पुरुषों की 53.32 फीसदी भागीदारी रही थी.बिहार में 60 फीसदी वोट : बिहार में लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव, वोटिंग प्रतिशत 60% से नीचे ही है. ग्रामीण इलाकों से शहरी इलाकों की स्थिति वोटिंग के मामले में और खराब है. पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव का ट्रेंड ग्रामीण और शहरी इलाकों की तब है जब शहरी इलाकों में बीजेपी का प्रभाव माना जाता है.

शहरी क्षेत्र में वोट प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती : बिहार की अधिकांश लोकसभा सीट जो शहरी इलाके में है उस पर बीजेपी का ही कब्जा है. विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी ही बढ़त बनाई हुई है. लेकिन इसके बाद भी शहरी इलाकों का वोट प्रतिशत लगातार चुनाव आयोग के लिए भी चुनौती बना हुआ है. ऐसे में चुनाव आयोग की तरफ से लगातार जागरूकता के अभियान चलाए जा रहे हैं. वोटर लिस्ट में युवाओं को जोड़ने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है. इस बार बिहार में 7 करोड़ 64 लाख वोटर हो गए हैं, जिसमें 12 लाख से अधिक नए वोटर जुड़े हैं. अब देखना है इस बार लोकसभा चुनाव में शहरी इलाकों का वोट प्रतिशत मैं सुधार होता है या नहीं.

Last Updated : Feb 21, 2024, 7:51 AM IST
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