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आपदा की रात केदारघाटी में कितने थे यात्री? आपदा प्रबंधन को नहीं पता, पर्यटन विभाग ने साधी चुप्पी - Kedarnath Disaster

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 5, 2024, 7:48 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 9:11 PM IST

Kedarnath Disaster उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले पर्यटन विभाग ने यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन को लेकर बड़े दावे किए थे. मकसद था कि अगर कोई अनहोनी होती है तो फंसे लोगों की पूरी जानकारी एक क्लिक में सरकार के पास होगी. लेकिन आज जब केदारघाटी आपदा के जद में है तो आपदा प्रबंधन विभाग को पर्यटन विभाग से किसी तरह का कोई डाटा नहीं मिला है.

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पर्यटन विभाग ने आपदा प्रबंधन को नहीं दिया डेटा (VIDEO- ETV Bharat)

देहरादूनः केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग में 31 जुलाई की रात को आई आपदा से उत्तराखंड सरकार के साथ-साथ पूरा प्रदेश जूझ रहा है. लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा किए गए दावों के अनुसार चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के रजिस्ट्रेशन और उनके वेरिफिकेशन का डाटा धरा का धरा रह गया है. खुद आपदा प्रबंधन के अपर सचिव आनंद स्वरूप ने इस बात की पुष्टि की है.

आनंद स्वरूप का कहना है कि, 'पर्यटन विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग को केदारनाथ धाम पर आने वाले तीर्थ यात्रियों के संबंध में किसी तरह का कोई डेटा साझा नहीं किया है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ मार्ग पर फंसे यात्रियों को केवल प्रत्यक्षदर्शियों और मौके पर मौजूद हालातों के आधार पर ही चिन्हित किया जा रहा है. केदारनाथ धाम की तरफ सोनप्रयाग से गए यात्रियों के संबंध में पर्यटन विभाग द्वारा किए गए दावे के अनुसार किसी भी तरह की कोई जानकारी आपदा प्रबंधन के साथ साझा नहीं की गई है'.

2013 आपदा के बाद पंजीकरण और वेरिफिकेशन अनिवार्य: बता दें कि साल 2021 में उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों के रियल टाइम मॉनिटरिंग और परिस्थितियों में यात्रियों की स्थिति जानने के लिए पंजीकरण और उनके वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसके लिए 2013 की केदारनाथ आपदा का हवाला दिया गया था. उस दौरान केदारनाथ में कितने यात्री मौजूद थे, इसकी जानकारी किसी विभाग के पास नहीं थी. ऐसे में दोबारा ऐसी स्थिति ना बने, इसके लिए चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों का रजिस्ट्रेशन और उनके वेरिफिकेशन की कवायद की गई थी. लेकिन पिछले दो सालों से यह प्रक्रिया लगातार सवालों के घेरे में रही है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल: वहीं, विपक्ष की ओर से भी इस पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि सरकार को इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है कि 31 जुलाई की रात जब केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटा तो उस समय केदार घाटी में कितने लोग मौजूद थे? कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि यात्रा शुरू होने से पहले सरकार द्वारा तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. यात्रियों की सुरक्षा के लिए पंजीकरण और उनका सत्यापन किए जाने का दावा किया जाता है. लेकिन आज जब आपदा की नौबत आई है तो यह दावे पूरी तरह से खोखले नजर आए हैं.

पर्यटन विभाग ने नहीं दिया रिस्पांस: इस पूरे विषय पर ईटीवी भारत ने पर्यटन विभाग से भी जानकारी लेनी चाही. लेकिन पर्यटन विभाग के किसी भी अधिकारी ने रिस्पांस नहीं दिया. छुट्टी पर चल रहे पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे सोमवार को ऑफिस ज्वाइन कर चुके हैं. उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन उन्होंने रिस्पांस नहीं दिया. चारधाम यात्रा के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए डिप्टी डायरेक्टर योगेंद्र गंगवार ने भी कोई रिस्पांस नहीं दिया. हालांकि, रुद्रप्रयाग जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यात्रियों का पूरा डाटा निदेशालय में ही संकलित किया जाता है. उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

सत्ता पक्ष का गोल-मोल जवाब: सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा का कहना है कि सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन में अपनी पूरी ताकत झोंकी है. लगातार केदारघाटी में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. पर्यटन विभाग के रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के डेटा पर भाजपा की तरफ से भी कोई वाजिब जवाब नहीं मिला.

ये भी पढ़ेंः 2013 के बाद उत्तराखंड की केदारघाटी में सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन, अब तक 10 हजार से अधिक तीर्थ यात्री सुरक्षित निकाले गए

ये भी पढ़ेंः केदारनाथ में पांचवें दिन एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू जारी, तलाशी में स्निफर डॉग की भी ली जा रही मदद

पर्यटन विभाग ने आपदा प्रबंधन को नहीं दिया डेटा (VIDEO- ETV Bharat)

देहरादूनः केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग में 31 जुलाई की रात को आई आपदा से उत्तराखंड सरकार के साथ-साथ पूरा प्रदेश जूझ रहा है. लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा किए गए दावों के अनुसार चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के रजिस्ट्रेशन और उनके वेरिफिकेशन का डाटा धरा का धरा रह गया है. खुद आपदा प्रबंधन के अपर सचिव आनंद स्वरूप ने इस बात की पुष्टि की है.

आनंद स्वरूप का कहना है कि, 'पर्यटन विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग को केदारनाथ धाम पर आने वाले तीर्थ यात्रियों के संबंध में किसी तरह का कोई डेटा साझा नहीं किया है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ मार्ग पर फंसे यात्रियों को केवल प्रत्यक्षदर्शियों और मौके पर मौजूद हालातों के आधार पर ही चिन्हित किया जा रहा है. केदारनाथ धाम की तरफ सोनप्रयाग से गए यात्रियों के संबंध में पर्यटन विभाग द्वारा किए गए दावे के अनुसार किसी भी तरह की कोई जानकारी आपदा प्रबंधन के साथ साझा नहीं की गई है'.

2013 आपदा के बाद पंजीकरण और वेरिफिकेशन अनिवार्य: बता दें कि साल 2021 में उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों के रियल टाइम मॉनिटरिंग और परिस्थितियों में यात्रियों की स्थिति जानने के लिए पंजीकरण और उनके वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसके लिए 2013 की केदारनाथ आपदा का हवाला दिया गया था. उस दौरान केदारनाथ में कितने यात्री मौजूद थे, इसकी जानकारी किसी विभाग के पास नहीं थी. ऐसे में दोबारा ऐसी स्थिति ना बने, इसके लिए चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों का रजिस्ट्रेशन और उनके वेरिफिकेशन की कवायद की गई थी. लेकिन पिछले दो सालों से यह प्रक्रिया लगातार सवालों के घेरे में रही है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल: वहीं, विपक्ष की ओर से भी इस पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि सरकार को इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है कि 31 जुलाई की रात जब केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटा तो उस समय केदार घाटी में कितने लोग मौजूद थे? कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि यात्रा शुरू होने से पहले सरकार द्वारा तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. यात्रियों की सुरक्षा के लिए पंजीकरण और उनका सत्यापन किए जाने का दावा किया जाता है. लेकिन आज जब आपदा की नौबत आई है तो यह दावे पूरी तरह से खोखले नजर आए हैं.

पर्यटन विभाग ने नहीं दिया रिस्पांस: इस पूरे विषय पर ईटीवी भारत ने पर्यटन विभाग से भी जानकारी लेनी चाही. लेकिन पर्यटन विभाग के किसी भी अधिकारी ने रिस्पांस नहीं दिया. छुट्टी पर चल रहे पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे सोमवार को ऑफिस ज्वाइन कर चुके हैं. उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन उन्होंने रिस्पांस नहीं दिया. चारधाम यात्रा के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए डिप्टी डायरेक्टर योगेंद्र गंगवार ने भी कोई रिस्पांस नहीं दिया. हालांकि, रुद्रप्रयाग जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यात्रियों का पूरा डाटा निदेशालय में ही संकलित किया जाता है. उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

सत्ता पक्ष का गोल-मोल जवाब: सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा का कहना है कि सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन में अपनी पूरी ताकत झोंकी है. लगातार केदारघाटी में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. पर्यटन विभाग के रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के डेटा पर भाजपा की तरफ से भी कोई वाजिब जवाब नहीं मिला.

ये भी पढ़ेंः 2013 के बाद उत्तराखंड की केदारघाटी में सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन, अब तक 10 हजार से अधिक तीर्थ यात्री सुरक्षित निकाले गए

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Last Updated : Aug 5, 2024, 9:11 PM IST
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