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उत्तराखंड के 250 से ज्यादा आयुष डॉक्टरों के लाइसेंस होंगे रद्द, शासन ने इसलिए दी मंजूरी

उत्तराखंड के 250 वैद्य के लाइसेंस रद्द करने को शासन की मंजूरी, आयुष डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन नहीं पाए गए वैलिड

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand
आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं निदेशालय (फोटो- ETV Bharat)

देहरादून: भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में रजिस्टर्ड करीब 250 वैद्यों का लाइसेंस रद्द किया जाएगा. इस संबंध में शासन ने जीओ (सरकारी आदेश) जारी कर दिया है. परिषद में रजिस्टर्ड इन सभी वैद्य का रजिस्ट्रेशन वैलिड नहीं पाया गया है. क्योंकि, रजिस्टर्ड वैद्य के पास बीएएमएस या बीयूएमएस के बजाए अन्य राज्यों के डिप्लोमा हैं. इस मामले में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद उत्तर प्रदेश के उन सभी वैद्य का भी राज्य की परिषद ने रजिस्ट्रेशन कर लिया था, जो यूपी में पंजीकृत थे.

दरअसल, साल 2019 में उत्तरांचल (संयुक्त प्रांतीय भारतीय चिकित्सा अधिनियम- 1939) अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2002 की धारा 27, 28, 29, 30 के तहत नए डिप्लोमा धारकों को भी भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने रजिस्ट्रेशन देना शुरू कर दिया था. ऐसे में साल 2019 से मार्च 2021 तक करीब 250 से ज्यादा आयुष या यूनानी डिप्लोमा धारकों को परिषद में पंजीकृत किया गया.

अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे का बयान (वीडियो- ETV Bharat)

ऐसे में उत्तराखंड के इस आदेश को सीसीआईएम (Central Council of Indian Medicine) के पत्र और लगातार मिल रहीं शिकायतों के आधार पर शासन ने तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है. इस मामले में कुछ महीने पहले सीसीआईएम ने ये जानकारी दी थी कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के आयुष संस्थानों से ये डिप्लोमा दिए गए हैं. ये सभी संस्थान वैलिड (वैध) नहीं हैं.

हालांकि, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें सीसीआईएम ने स्पष्ट कर दिया था कि उत्तराखंड का यह नियम केंद्रीय नियमों के विपरीत है. जिसके चलते आयुष विभाग के अपर सचिव डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड को ऐसे सभी पंजीकरण रद्द करने के आदेश दिए हैं. ये वो वैद्य हैं, जिनके पास डीआईयूएम, डीआईएएम जैसे डिप्लोमा हैं.

Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand
भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड (फोटो- ETV Bharat)

क्या बोले अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे? वहीं, अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि भारतीय चिकित्सा परिषद के तहत कुछ वैद्य ऐसे थे, जिनको रजिस्ट्रेशन करने की अनुमन्यता नहीं थी. जिनकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने साल 2019 में शुरू की थी, लेकिन साल 2021 में भारतीय चिकित्सा परिषद की हुई बोर्ड बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि उसको निरस्त किया जाएगा.

इन सभी वैद्य का रजिस्ट्रेशन साल 2021 में ही समाप्त कर दिया गया था. ऐसे में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था, जिसके चलते भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने शासन से दिशा निर्देश मांगा था. जिसके क्रम में जो व्यक्ति मानकों और नियमों को पूरा नहीं कर रहे थे, उनके रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने के संबंध में निर्देश जारी किया है.

करीब 200 से 250 वैद्य के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के निर्देश: ऐसे में वही कार्रवाई भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड की ओर से आगे की जाएगी. साथ ही कहा कि करीब 200 से 250 लोग ऐसे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं. ये सभी वैद्य प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं और न ही किसी सेवा में शामिल हैं, जिसकी स्पष्टता के लिए जीओ जारी किया गया है.

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देहरादून: भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में रजिस्टर्ड करीब 250 वैद्यों का लाइसेंस रद्द किया जाएगा. इस संबंध में शासन ने जीओ (सरकारी आदेश) जारी कर दिया है. परिषद में रजिस्टर्ड इन सभी वैद्य का रजिस्ट्रेशन वैलिड नहीं पाया गया है. क्योंकि, रजिस्टर्ड वैद्य के पास बीएएमएस या बीयूएमएस के बजाए अन्य राज्यों के डिप्लोमा हैं. इस मामले में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद उत्तर प्रदेश के उन सभी वैद्य का भी राज्य की परिषद ने रजिस्ट्रेशन कर लिया था, जो यूपी में पंजीकृत थे.

दरअसल, साल 2019 में उत्तरांचल (संयुक्त प्रांतीय भारतीय चिकित्सा अधिनियम- 1939) अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2002 की धारा 27, 28, 29, 30 के तहत नए डिप्लोमा धारकों को भी भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने रजिस्ट्रेशन देना शुरू कर दिया था. ऐसे में साल 2019 से मार्च 2021 तक करीब 250 से ज्यादा आयुष या यूनानी डिप्लोमा धारकों को परिषद में पंजीकृत किया गया.

अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे का बयान (वीडियो- ETV Bharat)

ऐसे में उत्तराखंड के इस आदेश को सीसीआईएम (Central Council of Indian Medicine) के पत्र और लगातार मिल रहीं शिकायतों के आधार पर शासन ने तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है. इस मामले में कुछ महीने पहले सीसीआईएम ने ये जानकारी दी थी कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के आयुष संस्थानों से ये डिप्लोमा दिए गए हैं. ये सभी संस्थान वैलिड (वैध) नहीं हैं.

हालांकि, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें सीसीआईएम ने स्पष्ट कर दिया था कि उत्तराखंड का यह नियम केंद्रीय नियमों के विपरीत है. जिसके चलते आयुष विभाग के अपर सचिव डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड को ऐसे सभी पंजीकरण रद्द करने के आदेश दिए हैं. ये वो वैद्य हैं, जिनके पास डीआईयूएम, डीआईएएम जैसे डिप्लोमा हैं.

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भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड (फोटो- ETV Bharat)

क्या बोले अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे? वहीं, अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि भारतीय चिकित्सा परिषद के तहत कुछ वैद्य ऐसे थे, जिनको रजिस्ट्रेशन करने की अनुमन्यता नहीं थी. जिनकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने साल 2019 में शुरू की थी, लेकिन साल 2021 में भारतीय चिकित्सा परिषद की हुई बोर्ड बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि उसको निरस्त किया जाएगा.

इन सभी वैद्य का रजिस्ट्रेशन साल 2021 में ही समाप्त कर दिया गया था. ऐसे में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था, जिसके चलते भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड ने शासन से दिशा निर्देश मांगा था. जिसके क्रम में जो व्यक्ति मानकों और नियमों को पूरा नहीं कर रहे थे, उनके रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने के संबंध में निर्देश जारी किया है.

करीब 200 से 250 वैद्य के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के निर्देश: ऐसे में वही कार्रवाई भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड की ओर से आगे की जाएगी. साथ ही कहा कि करीब 200 से 250 लोग ऐसे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं. ये सभी वैद्य प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं और न ही किसी सेवा में शामिल हैं, जिसकी स्पष्टता के लिए जीओ जारी किया गया है.

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