अल्मोड़ा: उत्तराखंड में कांग्रेस के नेता अपनी बयानबाजी को लेकर काफी चर्चा में रहते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं. आज फिर उन्होंने बेबाकी से एक बयान क्या दिया कि वह चर्चा में आ गए. कुंजवाल के इस बयान से उत्तराखंड की राजनीति के साथ कांग्रेस में बवंडर मचना तय है.
लोकसभा चुनाव लड़ने को चाहिए 14 करोड़: जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल से पूछा गया कि क्या आगामी लोकसभा चुनाव में वह नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे. तो इस पर उन्होंने कहा की उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं. नैनीताल सीट में चुनाव लड़ने के लिए करीब 14 करोड़ रुपये चाहिए. उनको पार्टी भी टिकट नहीं देगी. वहीं यह बयान चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़ा कर रहा है.
कुंजवाल बोले चुनाव में बहुत पैसा लगता है: यहां अल्मोड़ा में कांग्रेस की लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर हुई बैठक में पहुंचे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद सिंह कुंजवाल से जब उनके नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के कयास को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के बहुत छोटे कार्यकर्ता हैं. जितना भी समय उनको मिला, उन्होंने बहुत ईमानदारी के साथ काम किया. चुनाव में आजकल पैसा बहुत लगता है. इसलिए उन्होंने कहा मेरे पास पैसा नहीं है. ना मैं दावेदारी कर सकता हूं और ना चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर सकता हूं. पार्टी मुझे टिकट देगी भी नहीं. पार्टी को भी पैसे वाले चाहिए.
ईमानदार आदमी हूं, चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है: गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि नैनीताल लोकसभा सीट में 14 विधानसभा सीट हैं. एक विधानसभा सीट में एक करोड़ भी खर्च करोगे तो 14 करोड़ रुपये चाहिए. कम भी खर्च करेंगे तो 7 करोड़ तब भी चाहिए. ये क्षमता मेरी नहीं है. मैंने खुद को ईमानदारी के साथ सीमित रखा है. आज के दिन भी उनके पास सिर्फ एक खाता है. उसमें ही उनकी पेंशन आती है. उससे ही वह अपना गुजारा कर रहे हैं. कुंजवाल का यह बयान चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहा है. हालांकि चुनाव आयोग हर चुनाव में चुनाव लड़ने वाले प्रत्यशियों के खर्च के लिए एक रकम तय करता है. लेकिन प्रत्याशी उससे कई गुना अधिक रकम खर्च करते हैं.
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चुनाव आयोग द्वारा तय चुनावी खर्च की सीमा: चुनाव आयोग ने 2022 में उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाई थी. लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा पहले 70 लाख रुपए थी. इसे बढ़ाकर 95 लाख रुपए किया गया था. विधानसभा चुनाव के लिए यह सीमा 28 लाख रुपए थी. इसे बढ़ाकर 40 लाख रुपए किया गया था. निर्वाचन आयोग ने बड़े राज्यों में लोकसभा चुनाव खर्च की सीमा 95 लाख रुपए की थी, वहीं छोटे राज्यों के लिए इसे 75 लाख रुपए किया गया था. इसी तरह विधानसभा चुनाव के लिए बड़े राज्यों में उम्मीदवारों की खर्च सीमा 28 लाख रुपए से बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दी थी. छोटे राज्यों में उम्मीदवारों के लिए 20 लाख रुपये के स्थान पर अधिकतम 28 लाख रुपये खर्च करने की सीमा तय की थी.
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