रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को हंगामेदार रहा. सदन में विपक्ष ने साय सरकार को हसदेव में पेड़ों की कटाई और कोयला खदान परियोजना को लेकर घेरा. विपक्ष ने साय सरकार पर जंगलों की कटाई का आरोप लगाया. इससे प्रदेश की वनस्पति और जीव जंतु को क्षति पहुंचाने की बात विपक्ष ने कही. उसके बाद विपक्ष का हंगामा होता रहा. हंगामे के बीच एक बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. फिर हंगामा कर रहे कांग्रेस विधायकों को निलंबित किया गया.
विपक्ष करता रहा हसदेव पर चर्चा की मांग: विपक्ष लगातार सदन में कोल परियोजना और हसदेव के मुद्दे पर चर्चा की मांग करता रहा. शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता चरण दास महंत ने स्थगन प्रस्ताव नोटिस पेश किया. जिसका उद्देश्य इस मुद्दे पर सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करना था.
हसदेव में पेड़ों की कटाई के आदेश का महंत ने किया विरोध: महंत ने कहा कि राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था. जिसमें केंद्र से जुलाई 2022 में राज्य के उत्तरी क्षेत्र हसदेव क्षेत्र में सभी कोयला ब्लॉकों को रद्द करने का आग्रह किया गया था.सरकार ने तब इस संबंध में केंद्र को लिखा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. महंत ने दावा किया कि नवनिर्वाचित भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के शपथ ग्रहण समारोह से पहले वन विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया. उन्होंने कहा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने पिछले साल 11 दिसंबर को 91.3 हेक्टेयर वन भूमि पर 15,307 पेड़ों को काटने का आदेश जारी किया था. इसलिए स्थगन प्रस्ताव के तहत इस पर चर्चा की जानी चाहिए.
हसदेव पर चर्चा की मांग को विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज किया: महंत ने कहा कि यदि विधानसभा ने पहले ही हसदेव क्षेत्र में खदानों को रद्द करने का एक प्रस्ताव पारित कर दिया है. तो वन विभाग द्वारा ऐसा आदेश कैसे जारी किया जा सकता है.वनों की कटाई और कोयला खनन से हसदेव की जैव विविधता पर प्रभाव पड़ेगा. इससे यहां बहने वाली हसदेव नदी से होने वाली सिंचाई और बांगो बांध प्रभावित होंगे. इतना ही नहीं इससे हाथी मानव संघर्ष बढ़ेगा. पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने इस मामले को गंभीर बताया और चर्चा की मांग की. लेकिन संसदीय कार्य मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने बजट सत्र का हवाला देते हुए इस मांग को खारिज कर दिया. उसके बाद कांग्रेस के विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी.
हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही पांच मिनट तक स्थगित रही. उसके बाद कांग्रेस के विधायक नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में आ गए. जिसके बाद विधायक स्वत: निलंबित हो गए. फिर बाद में विधायकों का निलंबन रद्द हो गया.