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NDA में सीट को लेकर पेंच, 2019 के मुकाबले दलों की संख्या दोगुनी, किसे करना पड़ेगा संतोष?

NDA Seat Sharing: NDA में सीट को लेकर पेंच फंसता जा रहा है. अब तक दलों में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसबार दलों की संख्या अधिक होने से कई पार्टी को कम सीतों पर संतोष करना पड़ेगा लेकिन कोई पार्टी यह मानने के लिए तैयार नहीं है. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 13, 2024, 6:40 PM IST

NDA में सीट को लेकर पेंच

पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी तैयार है. इसबार बिहार में एनडीए 40 का 40 सीट जीत का दावा कर रही है. हालांकि अब तक दलों में सीट का बंटवारा तय नहीं हो पाया है. इसको लेकर कई बैठकें हो चुकी है लेकिन किसे कितनी सीट मिलेगी इसको लेकर अब तक फैसला नहीं हो पाया है.

2019 में एनडीए में तीन दल थेः राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कोई भी दल कम सीट पर मानने को तैयार नहीं है, लेकिन इसबार कई दलों को कम सीटों से संतोष करना पड़ सकता है. इसमें सबसे पहला नाम जदयू का आता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए में 3 दल थे जिसमें भाजपा, जदयू और लोजपा. तीनों के बीच 17-17-06 सीटों का बंटवारा हुआ था.

इसबार 6 दलों में बंटेगी सीटः 2024 में जदयू में 6 दल है. इसमें जदयू, भाजपा, लोजपा(R), रालोजपा, हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा है. अगर मुकेश साहनी से बात बनती है तो एनडीए में कुल 7 दल हो जाएंगे. वर्तमान में 6 दलों के बीच सीट बंटवारा बड़ी चुनौती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इसबार जदयू को 12 से 13 सीट ही मिल सकती है. इसकी भारपाई अन्य राज्यों में हो सकती है.

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इसबार तीन दलों की बढ़ोतरीः राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का मानना है कि 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी. केवल जदयू किशनगंज सीट से हारी थी, लेकिन इस बार एनडीए में भाजपा जदयू और लोजपा के पशुपति पारस और चिराग पासवान गुट के साथ उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी भी है.

BJP ज्यादा सीट पर लड़ सकती है: एक तरफ जहां चिराग पासवान और पशुपति पारस हाजीपुर सीट को लेकर अड़े हुए हैं तो जदयू 16 जीती हुई सीट फिर से पाना चाह रही है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी लोकसभा की सीट की मांग कर रहे हैं. एक बड़ा कारण यह भी हैं कि बीजेपी इस बार अधिक सीटों पर लड़ना चाहती है. इसलिए अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो चुका है.

"इस बार एनडीए में अधिक दल हैं. सभी को कम सीटों से संतोष करना पड़ेगा. बीजेपी बड़ी पार्टी है और इसलिए अपने सभी सहयोगी दलों को मनाने में लगी है. बिहार के दलों को दूसरे राज्यों में सीट दे सकती है. जदयू को इसबार 12 से 13 सीट मिलेगी लेकिन संभवतः नॉर्थ ईस्ट में सीट देकर मना सकती है. जदयू को कुछ सीट अदला बदली भी करना पड़ सकता है." -रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

काराकाट पर उपेंद्र कुशवाहा की नजरः इस बार जीतन राम मांझी की मांझी हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा लोकसभा चुनाव लड़ने के मुड में है. उपेंद्र कुशवाहा की नजर काराकाट पर है जो जदयू के पास है. पिछले चुनाव में लोजपा को 6 सीट मिली थी लेकिन इसबार दो गुट लोजपा रामविलास और रालोजपा हो गया है. दोनों के बीच सीट बंट सकती है. चिराग पासवान 6 सीट की मांग कर रहे हैं.

"सभी दल अधिक सीट चाहते हैं और यह बड़ी समस्या है. लेकिन नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान सबको पता है कि बीजेपी की आज क्या स्थिति है. इसलिए कोई भी बीजेपी को छोड़ना नहीं चाहेंगे. सभी दलों को कम सीट से संतोष करना पड़ेगा. इसबार दलों की संख्या अधिक है." -प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

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चाचा-भतीजा के बीच विवाद भी विलंब का कारणः बिहार एनडीए में पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच हाजीपुर सीट को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है. इस कारण भी सीट शेयरिंग में विलंब हो रही. जदयू को इस बार कम सीट मिलना तय माना जा रहा है. जदयू राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए भी लगातार प्रयास करती रही है. ऐसे में यदि बिहार से बाहर कुछ सीट मिलती है तो उस पर भी समझौता पार्टी की ओर से किया जा सकता है.

जदयू भी खुलकर नहीं कर रही बातः अरुणाचल प्रदेश में तो जदयू ने उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है. महागठबंधन में 16 सीटों सीट पर दावेदारी कर रही थी लेकिन नीतीश कुमार के फिर से NDA में आने के बाद 16 सीटों सीट पर दावेदारी करने से बच रही है. ऐसे में अब देखना है कि NDA में सीटों का फार्मूला क्या होता है? जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है कि बहुत जल्द सीटों का बंटवारा हो जाएगा.

"जदयू ने 2019 में 16 सीट पर जीत हासिल की थी. एनडीए में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है लेकिन दो से तीन दिन में बंटवारा हो जाएगा. सभी तस्वीर सामने आएगी. एनडीए एकजुट है और सभी 40 सीट जीतेगी. महागठबंधन को 30 से अधिक सीटों पर जमानत जब्त करा देगी." -राजीव रंजन, जदयू राष्ट्रीय प्रवक्ता

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NDA में सीट को लेकर पेंच

पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी तैयार है. इसबार बिहार में एनडीए 40 का 40 सीट जीत का दावा कर रही है. हालांकि अब तक दलों में सीट का बंटवारा तय नहीं हो पाया है. इसको लेकर कई बैठकें हो चुकी है लेकिन किसे कितनी सीट मिलेगी इसको लेकर अब तक फैसला नहीं हो पाया है.

2019 में एनडीए में तीन दल थेः राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कोई भी दल कम सीट पर मानने को तैयार नहीं है, लेकिन इसबार कई दलों को कम सीटों से संतोष करना पड़ सकता है. इसमें सबसे पहला नाम जदयू का आता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए में 3 दल थे जिसमें भाजपा, जदयू और लोजपा. तीनों के बीच 17-17-06 सीटों का बंटवारा हुआ था.

इसबार 6 दलों में बंटेगी सीटः 2024 में जदयू में 6 दल है. इसमें जदयू, भाजपा, लोजपा(R), रालोजपा, हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा है. अगर मुकेश साहनी से बात बनती है तो एनडीए में कुल 7 दल हो जाएंगे. वर्तमान में 6 दलों के बीच सीट बंटवारा बड़ी चुनौती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इसबार जदयू को 12 से 13 सीट ही मिल सकती है. इसकी भारपाई अन्य राज्यों में हो सकती है.

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इसबार तीन दलों की बढ़ोतरीः राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का मानना है कि 2019 में एनडीए ने 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी. केवल जदयू किशनगंज सीट से हारी थी, लेकिन इस बार एनडीए में भाजपा जदयू और लोजपा के पशुपति पारस और चिराग पासवान गुट के साथ उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी भी है.

BJP ज्यादा सीट पर लड़ सकती है: एक तरफ जहां चिराग पासवान और पशुपति पारस हाजीपुर सीट को लेकर अड़े हुए हैं तो जदयू 16 जीती हुई सीट फिर से पाना चाह रही है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी लोकसभा की सीट की मांग कर रहे हैं. एक बड़ा कारण यह भी हैं कि बीजेपी इस बार अधिक सीटों पर लड़ना चाहती है. इसलिए अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो चुका है.

"इस बार एनडीए में अधिक दल हैं. सभी को कम सीटों से संतोष करना पड़ेगा. बीजेपी बड़ी पार्टी है और इसलिए अपने सभी सहयोगी दलों को मनाने में लगी है. बिहार के दलों को दूसरे राज्यों में सीट दे सकती है. जदयू को इसबार 12 से 13 सीट मिलेगी लेकिन संभवतः नॉर्थ ईस्ट में सीट देकर मना सकती है. जदयू को कुछ सीट अदला बदली भी करना पड़ सकता है." -रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

काराकाट पर उपेंद्र कुशवाहा की नजरः इस बार जीतन राम मांझी की मांझी हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा लोकसभा चुनाव लड़ने के मुड में है. उपेंद्र कुशवाहा की नजर काराकाट पर है जो जदयू के पास है. पिछले चुनाव में लोजपा को 6 सीट मिली थी लेकिन इसबार दो गुट लोजपा रामविलास और रालोजपा हो गया है. दोनों के बीच सीट बंट सकती है. चिराग पासवान 6 सीट की मांग कर रहे हैं.

"सभी दल अधिक सीट चाहते हैं और यह बड़ी समस्या है. लेकिन नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान सबको पता है कि बीजेपी की आज क्या स्थिति है. इसलिए कोई भी बीजेपी को छोड़ना नहीं चाहेंगे. सभी दलों को कम सीट से संतोष करना पड़ेगा. इसबार दलों की संख्या अधिक है." -प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

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चाचा-भतीजा के बीच विवाद भी विलंब का कारणः बिहार एनडीए में पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच हाजीपुर सीट को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है. इस कारण भी सीट शेयरिंग में विलंब हो रही. जदयू को इस बार कम सीट मिलना तय माना जा रहा है. जदयू राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए भी लगातार प्रयास करती रही है. ऐसे में यदि बिहार से बाहर कुछ सीट मिलती है तो उस पर भी समझौता पार्टी की ओर से किया जा सकता है.

जदयू भी खुलकर नहीं कर रही बातः अरुणाचल प्रदेश में तो जदयू ने उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है. महागठबंधन में 16 सीटों सीट पर दावेदारी कर रही थी लेकिन नीतीश कुमार के फिर से NDA में आने के बाद 16 सीटों सीट पर दावेदारी करने से बच रही है. ऐसे में अब देखना है कि NDA में सीटों का फार्मूला क्या होता है? जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है कि बहुत जल्द सीटों का बंटवारा हो जाएगा.

"जदयू ने 2019 में 16 सीट पर जीत हासिल की थी. एनडीए में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है लेकिन दो से तीन दिन में बंटवारा हो जाएगा. सभी तस्वीर सामने आएगी. एनडीए एकजुट है और सभी 40 सीट जीतेगी. महागठबंधन को 30 से अधिक सीटों पर जमानत जब्त करा देगी." -राजीव रंजन, जदयू राष्ट्रीय प्रवक्ता

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