ETV Bharat / bharat

डिंडौरी की बाई का ऑस्ट्रेलिया में स्वैग, टैटू नहीं मंगला की 'गोदना' का दीवाना हुआ पूरा सिडनी - Mangalabai visit Sydney University

डिंडौरी जिले की मंगला बाई ने ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में गुदना (गोदना) कला का प्रदर्शन किया है. मंगला हाल ही में डेढ़ महीने तक ऑस्ट्रेलिया में रुकने के बाद अपने घर वापस लौटी हैं. लालपुर की रहने वाली मंगला बाई के वापस लौटने पर गांव में खुशी का माहौल है.

MANGALABAI VISIT SYDNEY UNIVERSITY
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के म्यूजियम में मंगला. (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 21, 2024, 12:41 PM IST

Updated : May 21, 2024, 2:28 PM IST

डिंडौरी। मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले की मंगला बाई का स्वैग सिडनी वाले देखते रह गए. जब सिडनी वालों ने मंगला बाई की गुदना कला देखी तो मॉर्डन टैटू भूल गए. अपनी गुदना कला की वजह से मंगला ने न सिर्फ देश में बल्कि दूसरे देशों में भी अपना परचम लहराया है. लालपुर गांव की रहने वाली मंगला बाई को इसी कला की वजह से ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करने का मौका मिला. यहां प्रदर्शन करने के बाद मंगला बाई हाल ही में अपने घर लौटी हैं.

सिडनी यूनिवर्सिटी हुई गुदना की दीवानी

लालपुर गांव की निवासी मंगला बाई गुदना कला में इतनी पारंगत हो चुकी हैं कि उनसे गुदना यानी देसी टैटू बनवाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. इनमें केवल आसपास के ही लोग नहीं होते हैं बल्कि दूसरे देशों के लोग भी शामिल होते हैं. बीते जनवरी महीने में मंगला बाई ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में गुदना कला का प्रदर्शन करने गई थीं. करीब डेढ़ महीने तक सिडनी यूनिवर्सिटी के चाउ चक म्यूजियम में केनवास पर गुदने की आकर्षक पेंटिंग उकेरकर मंगला ने अपना लोहा मनवाया है. अब मंगला के ऑस्ट्रेलिया से वापस लालपुर लौटने पर गांव में खुशी का माहौल है.

मां भी बनाती थीं गुदना

मंगला ने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया में मिले इस सुनहरे मौके के बाद बहुत खुश हूं और अपनी इस सफलता का श्रेय दिवंगत मां शांति बाई को देती हूं. मेरी मां गांव-गांव जाकर बैगा जनजाति की महिलाओं के शरीर पर गुदना बनाने का काम करती थीं और महज सात साल की उम्र में मैं भी मां के साथ गुदना बनाने के काम में जुट गई.'' आपको जानकर हैरानी होगी कि मंगला बाई अनपढ़ हैं. मंगला को अलग-अलग देशों के लोगों के शरीर में गुदना बनाने में महारत हासिल है.

ये भी पढ़ें:

कभी देखा है ऐसा कूलर, कबाड़ में पड़ी चीजों से बने कूलर को देखने दूर-दूर से आते हैं लोग

अनोखी परंपरा! बैगा महिलाओं के संघर्ष की कहानी, देह बन जाती है कैनवास

मंगला बाई विरासत में मिले गुदना की इस कला को संरक्षित रखना चाहती हैं ताकि ये कला विलुप्त न होने पाए. कलेक्टर विकास मिश्रा ने मंगला बाई को लेकर कहा, ''मंगला बाई जैसी अनेकों प्रतिभाएं हैं जिन्हें उचित प्लेटफार्म देकर निखारने की जरूरत है. हमारी स्थानीय कला 'गुदना' को अब पूरी दुनिया में टैटू के नाम से जाना जाता है. बड़े-बड़े फिल्म स्टार और अभिनेता टैटू बनवाते हैं. हमारा लक्ष्य है कि ये जो कला है, ये संरक्षित रहे और हमारी जो नई पीढ़ी है उसे यह काम आता रहे.''

डिंडौरी। मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले की मंगला बाई का स्वैग सिडनी वाले देखते रह गए. जब सिडनी वालों ने मंगला बाई की गुदना कला देखी तो मॉर्डन टैटू भूल गए. अपनी गुदना कला की वजह से मंगला ने न सिर्फ देश में बल्कि दूसरे देशों में भी अपना परचम लहराया है. लालपुर गांव की रहने वाली मंगला बाई को इसी कला की वजह से ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करने का मौका मिला. यहां प्रदर्शन करने के बाद मंगला बाई हाल ही में अपने घर लौटी हैं.

सिडनी यूनिवर्सिटी हुई गुदना की दीवानी

लालपुर गांव की निवासी मंगला बाई गुदना कला में इतनी पारंगत हो चुकी हैं कि उनसे गुदना यानी देसी टैटू बनवाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. इनमें केवल आसपास के ही लोग नहीं होते हैं बल्कि दूसरे देशों के लोग भी शामिल होते हैं. बीते जनवरी महीने में मंगला बाई ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में गुदना कला का प्रदर्शन करने गई थीं. करीब डेढ़ महीने तक सिडनी यूनिवर्सिटी के चाउ चक म्यूजियम में केनवास पर गुदने की आकर्षक पेंटिंग उकेरकर मंगला ने अपना लोहा मनवाया है. अब मंगला के ऑस्ट्रेलिया से वापस लालपुर लौटने पर गांव में खुशी का माहौल है.

मां भी बनाती थीं गुदना

मंगला ने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया में मिले इस सुनहरे मौके के बाद बहुत खुश हूं और अपनी इस सफलता का श्रेय दिवंगत मां शांति बाई को देती हूं. मेरी मां गांव-गांव जाकर बैगा जनजाति की महिलाओं के शरीर पर गुदना बनाने का काम करती थीं और महज सात साल की उम्र में मैं भी मां के साथ गुदना बनाने के काम में जुट गई.'' आपको जानकर हैरानी होगी कि मंगला बाई अनपढ़ हैं. मंगला को अलग-अलग देशों के लोगों के शरीर में गुदना बनाने में महारत हासिल है.

ये भी पढ़ें:

कभी देखा है ऐसा कूलर, कबाड़ में पड़ी चीजों से बने कूलर को देखने दूर-दूर से आते हैं लोग

अनोखी परंपरा! बैगा महिलाओं के संघर्ष की कहानी, देह बन जाती है कैनवास

मंगला बाई विरासत में मिले गुदना की इस कला को संरक्षित रखना चाहती हैं ताकि ये कला विलुप्त न होने पाए. कलेक्टर विकास मिश्रा ने मंगला बाई को लेकर कहा, ''मंगला बाई जैसी अनेकों प्रतिभाएं हैं जिन्हें उचित प्लेटफार्म देकर निखारने की जरूरत है. हमारी स्थानीय कला 'गुदना' को अब पूरी दुनिया में टैटू के नाम से जाना जाता है. बड़े-बड़े फिल्म स्टार और अभिनेता टैटू बनवाते हैं. हमारा लक्ष्य है कि ये जो कला है, ये संरक्षित रहे और हमारी जो नई पीढ़ी है उसे यह काम आता रहे.''

Last Updated : May 21, 2024, 2:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.