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सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्म अवकाश का नाम बदला, अब 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' कहा जाएगा

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के नए नियमों के तहत ग्रीष्मकालीन अवकाश का नाम बदल दिया गया है. अब इस 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' कहा जाएगा.

Supreme Court new rules rechristen summer vacations as partial court working days
सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्म अवकाश का नाम बदला, अब 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' कहा जाएगा (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 7, 2024, 9:14 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों को 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' नाम दिया गया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में न्यायिक 'छुट्टियों' के बारे में आलोचना का जवाब देते हुए इस बात पर जोर दिया कि न्यायाधीश अवकाश के दौरान भी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में हर साल गर्मी और सर्दी की छुट्टियां होती हैं. हालांकि, इन छुट्टियों के दौरान सर्वोच्च न्यायालय पूरी तरह से बंद नहीं रहता है. हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट में अवकाश की आलोचना होती रही है.

2025 के सुप्रीम कोर्ट कैलेंडर के अनुसार, आंशिक न्यायालय कार्य दिवस 26 मई, 2025 से शुरू होंगे और 14 जुलाई, 2025 को समाप्त होंगे.

अधिसूचना में कहा गया है, "अदालत के आंशिक कार्य दिवसों की अवधि और अदालत तथा अदालत के कार्यालयों के लिए छुट्टियों की संख्या ऐसी होगी, जिसे मुख्य न्यायाधीश द्वारा निर्धारित किया जाएगा और आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा, ताकि रविवार को छोड़कर यह 95 दिनों से अधिक न हो."

अधिसूचना में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश आंशिक न्यायालय कार्य दिवसों या छुट्टियों के दौरान, नोटिस के बाद सभी नए मामलों, तत्काल प्रकृति के नियमित मामलों या ऐसे अन्य मामलों की सुनवाई के लिए एक या अधिक न्यायाधीशों को नियुक्त कर सकते हैं, जैसा कि मुख्य न्यायाधीश निर्देशित कर सकते हैं.

ग्रीष्म अवकाश के दौरान, सीजेआई महत्वपूर्ण और तत्काल मामलों की सुनवाई के लिए अवकाश पीठों का गठन करते हैं. लेकिन, नए संशोधित नियमों में 'अवकाश न्यायाधीश' शब्द को अब 'जज' से बदल दिया गया है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था, "न्यायाधीश छुट्टियों के दौरान इधर-उधर नहीं घूम रहे हैं या लापरवाही नहीं बरत रहे हैं. वे अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, यहां तक कि सप्ताहांत में भी, अक्सर समारोहों में भाग लेते हैं, उच्च न्यायालयों का दौरा करते हैं, या कानूनी सहायता कार्य में लगे रहते हैं."

1 मई, 2024 को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा था कि जो लोग लंबी छुट्टियों के लिए शीर्ष अदालत की आलोचना करते हैं, उन्हें नहीं पता कि न्यायाधीश पूरे सप्ताह काम भी करते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वे लोग गलत हैं, जो लंबी छुट्टियों के लिए उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की आलोचना करते हैं और उन्हें नहीं पता कि न्यायाधीश कैसे काम करते हैं.

शीर्ष अदालत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआई पर राज्य की पूर्वानुमति प्राप्त किए बिना अपनी जांच को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया था.

जस्टिस गवई ने कहा, "आलोचना करने वाले लोग नहीं जानते कि हमारे पास शनिवार या रविवार को छुट्टी नहीं होती है."

पश्चिम बंगाल सरकार की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस गवई से सहमति जताई. जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायालय के मामलों को संभालने के अलावा न्यायाधीशों को अन्य कार्य, कुछ समारोह और सम्मेलनों में भाग लेना होता है. सिब्बल ने कहा, "यह देश का सबसे कठिन काम है." मेहता ने सिब्बल के मत से सहमति जताई.

सुप्रीम कोर्ट में लंबी गर्मी की छुट्टियां अंग्रेजों के समय से चली आ रही हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान, जो न्यायाधीश गर्मी की तपिश को झेलने में असमर्थ होते थे, वे इंग्लैंड या पहाड़ों पर वापस चले जाते थे, और केवल मानसून के दौरान वापस लौटते थे.

यह भी पढ़ें- DRI को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने और शुल्क वसूलने के अधिकार को बरकरार रखा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों को 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' नाम दिया गया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में न्यायिक 'छुट्टियों' के बारे में आलोचना का जवाब देते हुए इस बात पर जोर दिया कि न्यायाधीश अवकाश के दौरान भी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में हर साल गर्मी और सर्दी की छुट्टियां होती हैं. हालांकि, इन छुट्टियों के दौरान सर्वोच्च न्यायालय पूरी तरह से बंद नहीं रहता है. हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट में अवकाश की आलोचना होती रही है.

2025 के सुप्रीम कोर्ट कैलेंडर के अनुसार, आंशिक न्यायालय कार्य दिवस 26 मई, 2025 से शुरू होंगे और 14 जुलाई, 2025 को समाप्त होंगे.

अधिसूचना में कहा गया है, "अदालत के आंशिक कार्य दिवसों की अवधि और अदालत तथा अदालत के कार्यालयों के लिए छुट्टियों की संख्या ऐसी होगी, जिसे मुख्य न्यायाधीश द्वारा निर्धारित किया जाएगा और आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा, ताकि रविवार को छोड़कर यह 95 दिनों से अधिक न हो."

अधिसूचना में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश आंशिक न्यायालय कार्य दिवसों या छुट्टियों के दौरान, नोटिस के बाद सभी नए मामलों, तत्काल प्रकृति के नियमित मामलों या ऐसे अन्य मामलों की सुनवाई के लिए एक या अधिक न्यायाधीशों को नियुक्त कर सकते हैं, जैसा कि मुख्य न्यायाधीश निर्देशित कर सकते हैं.

ग्रीष्म अवकाश के दौरान, सीजेआई महत्वपूर्ण और तत्काल मामलों की सुनवाई के लिए अवकाश पीठों का गठन करते हैं. लेकिन, नए संशोधित नियमों में 'अवकाश न्यायाधीश' शब्द को अब 'जज' से बदल दिया गया है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था, "न्यायाधीश छुट्टियों के दौरान इधर-उधर नहीं घूम रहे हैं या लापरवाही नहीं बरत रहे हैं. वे अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, यहां तक कि सप्ताहांत में भी, अक्सर समारोहों में भाग लेते हैं, उच्च न्यायालयों का दौरा करते हैं, या कानूनी सहायता कार्य में लगे रहते हैं."

1 मई, 2024 को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा था कि जो लोग लंबी छुट्टियों के लिए शीर्ष अदालत की आलोचना करते हैं, उन्हें नहीं पता कि न्यायाधीश पूरे सप्ताह काम भी करते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वे लोग गलत हैं, जो लंबी छुट्टियों के लिए उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की आलोचना करते हैं और उन्हें नहीं पता कि न्यायाधीश कैसे काम करते हैं.

शीर्ष अदालत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआई पर राज्य की पूर्वानुमति प्राप्त किए बिना अपनी जांच को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया था.

जस्टिस गवई ने कहा, "आलोचना करने वाले लोग नहीं जानते कि हमारे पास शनिवार या रविवार को छुट्टी नहीं होती है."

पश्चिम बंगाल सरकार की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस गवई से सहमति जताई. जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायालय के मामलों को संभालने के अलावा न्यायाधीशों को अन्य कार्य, कुछ समारोह और सम्मेलनों में भाग लेना होता है. सिब्बल ने कहा, "यह देश का सबसे कठिन काम है." मेहता ने सिब्बल के मत से सहमति जताई.

सुप्रीम कोर्ट में लंबी गर्मी की छुट्टियां अंग्रेजों के समय से चली आ रही हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान, जो न्यायाधीश गर्मी की तपिश को झेलने में असमर्थ होते थे, वे इंग्लैंड या पहाड़ों पर वापस चले जाते थे, और केवल मानसून के दौरान वापस लौटते थे.

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