नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को पूरे साल पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए अपने फैसले रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया.यह निर्देश न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने जारी किया.
दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि उसने जनवरी तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है. सरकार पूरे साल प्रतिबंध लागू करने पर विचार कर रही है और जल्द ही इसे अधिसूचित किया जाएगा. पीठ ने एनसीआर राज्यों को पूरे साल पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए अपने फैसले रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया. पीठ ने जोर देकर कहा कि प्रतिबंध न केवल वायु प्रदूषण बल्कि ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए भी आवश्यक है, और यह स्पष्ट किया कि पटाखों पर प्रतिबंध में पटाखों की बिक्री, निर्माण, भंडारण और उपयोग शामिल होंगे.
पीठ ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण रोधी GRAP-4 प्रतिबंधों को चरण 2 तक शिथिल करने का निर्देश अगले आदेश तक जारी रहेगा. पीठ ने केंद्र सरकार से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) में नियुक्ति के लिए पर्यावरण और अन्य संबंधित क्षेत्रों के शीर्ष विशेषज्ञों की पहचान करने पर विचार करने को कहा. पीठ ने कहा कि विशेषज्ञों को सलाहकार क्षमता में शामिल किया जा सकता है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चाहती है कि विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष विशेषज्ञ आयोग में हों, और वह किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए उत्सुक नहीं है. पीठ ने कहा कि केंद्र और अन्य पक्ष अगली सुनवाई की तारीख तक कुछ नाम सुझा सकते हैं. पीठ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की जांच के लिए प्रतिबंधों के कार्यान्वयन के लिए निर्देश मांगने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
इसके आलावा, पीठ ने दिल्ली-एनसीआर राज्यों को निर्माण श्रमिकों को निर्वाह भत्ता का भुगतान सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि 90,000 श्रमिकों को 8,000 रुपये प्रति व्यक्ति का भुगतान किया गया था और एक अतिरिक्त पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें अब तक 20,000 से अधिक निर्माण श्रमिक आगे आए हैं.
पीठ ने दिल्ली-एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया कि वे निर्माण श्रमिकों की सही संख्या रिकॉर्ड में लाएँ, जो प्रदूषण प्रतिबंधों के कारण अपनी आय से वंचित हो गए. पीठ ने राज्यों से 3 जनवरी, 2025 तक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा. पीठ ने कहा कि 19 दिसंबर को वह विभिन्न मुद्दों पर सुनवाई के लिए समय-सीमा और कार्यक्रम तय करने पर विचार करेगी.
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