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जंगल में टाइगर को पसंद है सांभर का शिकार, वन विभाग के अध्ययन में सामने आई चौंकाने वाली बातें - tiger food - TIGER FOOD

Tiger's favorite prey is sambar बाघ जंगल की शान होने के साथ ही हमारे देश का राष्ट्रीय पशु है. इसके शिकार करने का स्टाइल रॉयल होता है. उत्तराखंड में वन विभाग की टीम ने बाघ के भोजन और शिकार करने पर शोध किया. इसमें चौंकाने वाली बात पता चली है. शोध के अनुसार बाघ को हिरन या सुअर की जगह सांभर का शिकार करना ज्यादा पसंद है. इसके पीछे क्या वजह है, जानिए इस खास रिपोर्ट में.

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टाइगर को पसंद है सांभर का शिकार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 13, 2024, 11:42 AM IST

Updated : Apr 13, 2024, 4:40 PM IST

बाघ के भोजन और शिकार करने पर किया गया शोध, जानें नतीजे.

देहरादून: जंगल का राजा टाइगर जितना ताकतवर होता है, उतना ही समझदार भी. इसीलिए टाइगर कभी अपनी ताकत और एनर्जी को बेकार नहीं जाने देता. बाघों के खाने को लेकर हुए अध्ययन में कुछ ऐसी ही बातें सामने आई हैं. दरअसल उत्तराखंड में हुए शोध में यह बात पता चली है कि बाघ सांभर का शिकार करना सबसे ज्यादा पसंद करता है. इसके पीछे कुछ खास वजह है. क्या है ये कारण जानिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

पता चल गया बाघ का फेवरेट शिकार: वैसे तो जंगल में बाघ की निगाहें जिस शिकार पर पड़ती हैं, उसे पाने के लिए वो पूरी ताकत लगा देता है. लेकिन रोचक तथ्य यह है कि बाघों को सबसे ज्यादा सांभर का शिकार करना पसंद है. उत्तराखंड में मौजूद बाघों के भोजन को लेकर हुए अध्ययन में कुछ ऐसी ही बातें निकलकर सामने आई हैं. पता चला है कि बाघों को सांभर की दावत उड़ानी पसंद है और जंगल में सबसे ज्यादा बाघों के लिए सांभर का शिकार ही मुफीद भी रहता है.

बाघ को पसंद है सांभर का शिकार: इसके पीछे अध्ययन के दौरान कुछ खास वजह भी मानी गई हैं. बताया गया है कि बाघ सांभर का शिकार करने के बाद कई दिनों तक अपने भोजन की व्यवस्था करने को लेकर चिंता से दूर हो जाता है. बड़ी बात यह है कि टाइगर सांभर का शिकार करने के बाद कई दिनों तक उसे खाता है और शिकार करने में लगने वाली एनर्जी को भी बचा लेता है. इसके उलट जंगली सूअर, हिरण या काकड़ का शिकार करने में उसे उतनी ही ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है और इसके बावजूद उसे भरपेट खाना नहीं मिल पाता. इसके कारण उसे फिर से जंगल में नए शिकार के लिए निकलना पड़ता है.

बाघों की संख्या में तीसरे नंबर पर है उत्तराखंड: टाइगर के संवर्धन को लेकर उत्तराखंड राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर स्थिति में दिखाई देता है. बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है. सबसे बड़ी बात यह है कि घनत्व के लिहाज से सबसे ज्यादा बाघ देश में उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्र में भी बाघों की संख्या लगातार बढ़ी है. इससे यह साफ हुआ है कि यह पूरा क्षेत्र बाघों के लिहाज से सबसे मुफीद है.

देश में 3 हजार से ज्यादा बाघ हैं: बाघों की संख्या पर नजर दौड़ाएं तो देश में बाघों की कुल संख्या 3,167 है. 2018 यानी तब 4 साल पहले इनकी संख्या 2,967 थी. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो बाघों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. अब यदि उत्तराखंड में इसी आंकड़े को देखें तो साल 2022 में सामने आए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 560 बाघ हैं. जबकि इससे पहले 2018 में इनकी संख्या 442 थी. यानी कुल 118 बाघ पिछले 4 सालों में उत्तराखंड में बढ़े हैं.

क्या कहते हैं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन: इस मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा कहते हैं कि बाघों की संख्या बेहतर होने के पीछे केवल बाघों के संरक्षण का काम ही नहीं है, बल्कि बाघों के साथ इसके लिए जंगल में बेहतर माहौल भी इसका कारण है. जंगल में बाघों के बेहतर हालात तभी हो सकते हैं, जब बाकी वन्य जीवों की स्थिति भी जंगल में अच्छी हो. यानी जंगल का स्वास्थ्य बेहतर होगा, तभी बाघों का भी संरक्षण किया जा सकता है. इसलिए उत्तराखंड में सांभर की जंगलों में बेहतर मौजूदगी बाघों के लिए बेहतर माहौल को तैयार करती है. साथ ही बाकी वन्य जीवों का भी अच्छी संख्या में होना बाघों की संख्या को बढ़ाता है.

इन्होंने किया बाघों के भोजन पर शोध: बाघों के खाने को लेकर शोध में वन विभाग के वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकारी शामिल रहे. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों के खाने को लेकर यह शोध किया गया है. लंबे समय तक बाघों की एक्टिविटी और उनकी पसंद के साथ ही पार्क में उनके द्वारा किए गए शिकार की भी मॉनिटरिंग की गई है. और शोध में पाया गया कि सांभर का शिकार करने के बाद बाघ को कई दिनों तक शिकार की जरूरत नहीं पड़ती. इसके बाद इन क्षेत्रों में सांभर के संरक्षण को लेकर भी प्रयास किया जा रहे हैं.
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देहरादून: जंगल का राजा टाइगर जितना ताकतवर होता है, उतना ही समझदार भी. इसीलिए टाइगर कभी अपनी ताकत और एनर्जी को बेकार नहीं जाने देता. बाघों के खाने को लेकर हुए अध्ययन में कुछ ऐसी ही बातें सामने आई हैं. दरअसल उत्तराखंड में हुए शोध में यह बात पता चली है कि बाघ सांभर का शिकार करना सबसे ज्यादा पसंद करता है. इसके पीछे कुछ खास वजह है. क्या है ये कारण जानिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

पता चल गया बाघ का फेवरेट शिकार: वैसे तो जंगल में बाघ की निगाहें जिस शिकार पर पड़ती हैं, उसे पाने के लिए वो पूरी ताकत लगा देता है. लेकिन रोचक तथ्य यह है कि बाघों को सबसे ज्यादा सांभर का शिकार करना पसंद है. उत्तराखंड में मौजूद बाघों के भोजन को लेकर हुए अध्ययन में कुछ ऐसी ही बातें निकलकर सामने आई हैं. पता चला है कि बाघों को सांभर की दावत उड़ानी पसंद है और जंगल में सबसे ज्यादा बाघों के लिए सांभर का शिकार ही मुफीद भी रहता है.

बाघ को पसंद है सांभर का शिकार: इसके पीछे अध्ययन के दौरान कुछ खास वजह भी मानी गई हैं. बताया गया है कि बाघ सांभर का शिकार करने के बाद कई दिनों तक अपने भोजन की व्यवस्था करने को लेकर चिंता से दूर हो जाता है. बड़ी बात यह है कि टाइगर सांभर का शिकार करने के बाद कई दिनों तक उसे खाता है और शिकार करने में लगने वाली एनर्जी को भी बचा लेता है. इसके उलट जंगली सूअर, हिरण या काकड़ का शिकार करने में उसे उतनी ही ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है और इसके बावजूद उसे भरपेट खाना नहीं मिल पाता. इसके कारण उसे फिर से जंगल में नए शिकार के लिए निकलना पड़ता है.

बाघों की संख्या में तीसरे नंबर पर है उत्तराखंड: टाइगर के संवर्धन को लेकर उत्तराखंड राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर स्थिति में दिखाई देता है. बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है. सबसे बड़ी बात यह है कि घनत्व के लिहाज से सबसे ज्यादा बाघ देश में उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्र में भी बाघों की संख्या लगातार बढ़ी है. इससे यह साफ हुआ है कि यह पूरा क्षेत्र बाघों के लिहाज से सबसे मुफीद है.

देश में 3 हजार से ज्यादा बाघ हैं: बाघों की संख्या पर नजर दौड़ाएं तो देश में बाघों की कुल संख्या 3,167 है. 2018 यानी तब 4 साल पहले इनकी संख्या 2,967 थी. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो बाघों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. अब यदि उत्तराखंड में इसी आंकड़े को देखें तो साल 2022 में सामने आए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 560 बाघ हैं. जबकि इससे पहले 2018 में इनकी संख्या 442 थी. यानी कुल 118 बाघ पिछले 4 सालों में उत्तराखंड में बढ़े हैं.

क्या कहते हैं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन: इस मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा कहते हैं कि बाघों की संख्या बेहतर होने के पीछे केवल बाघों के संरक्षण का काम ही नहीं है, बल्कि बाघों के साथ इसके लिए जंगल में बेहतर माहौल भी इसका कारण है. जंगल में बाघों के बेहतर हालात तभी हो सकते हैं, जब बाकी वन्य जीवों की स्थिति भी जंगल में अच्छी हो. यानी जंगल का स्वास्थ्य बेहतर होगा, तभी बाघों का भी संरक्षण किया जा सकता है. इसलिए उत्तराखंड में सांभर की जंगलों में बेहतर मौजूदगी बाघों के लिए बेहतर माहौल को तैयार करती है. साथ ही बाकी वन्य जीवों का भी अच्छी संख्या में होना बाघों की संख्या को बढ़ाता है.

इन्होंने किया बाघों के भोजन पर शोध: बाघों के खाने को लेकर शोध में वन विभाग के वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकारी शामिल रहे. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों के खाने को लेकर यह शोध किया गया है. लंबे समय तक बाघों की एक्टिविटी और उनकी पसंद के साथ ही पार्क में उनके द्वारा किए गए शिकार की भी मॉनिटरिंग की गई है. और शोध में पाया गया कि सांभर का शिकार करने के बाद बाघ को कई दिनों तक शिकार की जरूरत नहीं पड़ती. इसके बाद इन क्षेत्रों में सांभर के संरक्षण को लेकर भी प्रयास किया जा रहे हैं.
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Last Updated : Apr 13, 2024, 4:40 PM IST
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