ETV Bharat / bharat

Kota Coaching Industry : छात्र घटे तो डगमगाई कोटा की अर्थव्यवस्था, लोगों का रोजगार छीना, ये आंकड़े चौंका देंगे - Students in Kota

कोचिंग नगरी कोटा की अर्थव्यवस्था में अहम रोल निभाने वाले छात्रों की संख्या में इस बार भारी गिरावट देखी गई है. कोटा में साल 2024 में अब तक कोचिंग के लिए करीब 1.20 लाख छात्र ही पहुंचे हैं, जो पिछले सालों के मुकाबले लगभग आधे हैं. इसका असर कोचिंग संस्थान, हॉस्टल से लेकर किराना दुकानदारों तक देखा जा रहा है. संस्थानों में स्टाफ कम कर दिए गए और सैलरी में भी कटौती की गई है.

कोटा में छात्रों की कमी
कोटा में छात्रों की कमी (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 15, 2024, 7:37 PM IST

कम छात्रों की संख्या से कोटा की अर्थव्यवस्था पर पड़ा असर (ETV Bharat Kota)

कोटा. कोचिंग सिटी के नाम से पहचाने जाने वाले शहर कोटा में इस बार हालात ठीक नहीं हैं. कोचिंग संस्थानों में बच्चे कम आने का नुकसान अब साफ तौर पर नजर आने लगे हैं. लोगों के रोजगार पर इसका सीधा असर देखा जा रहा है. कई दुकानों में ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. कई लोगों ने कोचिंग एरिया से अपने बिजनेस को बंद कर दिया. कोचिंग संस्थानों में स्टाफ की सैलरी में कटौती की गई है. कुछ कोचिंग संस्थानों ने अपने कुछ स्टाफ को घर तक भेज दिया है. पहले जहां कोचिंग सिटी के बाजार छात्रों की चहल-पहल से पूरे दिन गुलजार रहते थे, लेकिन आज हालात इसके उलट हैं. बच्चे कम होने के चलते दुकानों पर भीड़ खत्म हो गई है. कई दुकानों पर ताले लटके हुए हैं.

कोचिंग संस्थानों ने स्टाफ को भेजा घर : कुछ कोचिंग संस्थानों में तो स्टाफ को घर भेज दिया गया है. इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक कोचिंग संस्थान में करीब 250 के आसपास लोगों की छुट्टी कर दी गई है. इसमें बैक स्टाफ से लेकर हाउसकीपिंग और मेंटेनेंस का स्टाफ शामिल है. साथ ही कुछ फैकेल्टी को भी घर भेजा गया है. एक अन्य कोचिंग संस्थान में 10 से 30 फीसदी तक सैलरी कम कर दी गई है. इसके अलावा वेरिएबल के तौर पर भी कुछ तनख्वाह के हिस्से को कम कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ें- कोचिंग सिटी कोटा में इस बार घटी छात्रों की संख्या, बने कोरोना जैसे हालात... हॉस्टल्स में लगे ताले - Less Students in Kota Coaching

कई मैस हो गए बंद : महावीर नगर फर्स्ट में मैस चलाने वाले सुनील जैन का कहना है कि उनके आसपास की कई मैस बंद हो गई. उनकी मैस में 250 स्टूडेंट की स्ट्रैंथ है. साल 2022 में स्टूडेंट बढ़ने पर उन्होंने कैपेसिटी बढ़ा दी थी, लेकिन इस साल केवल 60 से 70 बच्चे उनकी मैस में खाना खाने पहुंच रहे हैं. इसके चलते स्टाफ को भी हटाना पड़ा है. मैस संचालक बलबीर सिंह का कहना है कि उनके अलग-अलग आउटलेट पर 2800 स्टूडेंट खाना खाते थे, लेकिन अब यह संख्या आधी हो गई है. इसी के चलते उन्होंने स्टाफ को भी हटाया है.

Students in Kota
Facts File (ETV Bharat GFX)

किराया ज्यादा होने से दुकानें खाली : लैंडमार्क सिटी और अन्य कोचिंग एरिया में स्टूडेंट्स के ज्यादा रहने की वजह से दुकानों का किराया भी काफी ज्यादा था. इस एरिया के दुकानदारों को अच्छा टर्नओवर भी मिल रहा था. इसलिए उन्हें ज्यादा किराया देने में कोई नहीं थी, लेकिन अब कम छात्रों की वजह से उनकी दुकानदारी पर असर पड़ा है. अब कई दुकानदारों के लिए किराया निकाल पाना भारी पड़ रहा है. लैंडमार्क इलाके में दुकानों का किराया 25,000 रुपये महीने तक है. इसलिए कई दुकानदार दुकान खाली करके चले गए हैं.

हर बिजनेस पर नजर आ रहा असर : मैस संचालक बलबीर सिंह का कहना है कि कोचिंग एरिया में चलने वाले रेस्टोरेंट, रोड साइड फूडकोर्ट, जूस सेंटर, टी स्टॉल, मोची, टेलर, ड्राईक्लीनिंग, फुटकर सब्जी व फ्रूट विक्रेता, डेयरी, खोमचे, फास्टफूड, हेयर सैलून, ऑटो, टैक्सी, रेस्टोरेंट, साइकल, बाइक रेंट, फोटो स्टूडियो, फोटोकॉपी, किराना, जनरल स्टोर, मोबाइल रिपेयरिंग, स्टेशनरी, प्रिंटिंग व डेली यूज शॉप का व्यापार बड़े स्तर पर चल रहा था, लेकिन अब व्यापार 50 फीसदी से कम चल रहा है. अधिकांश लोग अपने बिजनेस को दूसरी जगह शिफ्ट करने का प्रयास कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Special: कोटा में स्टूडेंट का टोटा, कोचिंग सेंटर्स ने की फीस में की भारी कटौती - coaching institutes reduce fees

अब पहले से आधा रिवेन्यू : कोटा में कोचिंग करने आने वाला छात्र हर साल कोचिंग फीस, हॉस्टल व पीजी के किराए के अलावा जरूरी आवश्यक सामानों और खाने-पीने की चीजों पर करीब एक लाख औसत खर्च कर देता है. कोटा में साल 2022 में 2 लाख से ज्यादा विद्यार्थी थे. पिछले साल छात्रों की संख्या 1.80 लाख थी. हर साल करीब 1800 से 2000 करोड़ रुपये कोटा में छात्र जरूरत के सामानों पर खर्च कर रहे थे. कोचिंग एरिया की दुकानों पर ही यह खर्च होता था. अब छात्र आधे रह जाने पर यह खर्चा भी करीब 1000 करोड़ से कम रहेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि कोटा की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी.

छोटे कामगारों की मुश्किल : दूसरी तरफ हॉस्टल में भी कई हाउसकीपिंग स्टाफ की छुट्टी कर दी गई है. हॉस्टल्स में बच्चे नहीं होने पर सफाई और बर्तन साफ करने वाली बाई, सिक्योरिटी गॉर्ड, वार्डन, कुक और हेल्पर बेरोजगार हो गए हैं. हास्टल एरिया में काम करने वाले धोबी, एसी-कूलर मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन और प्लम्बर के पास पहले ज्यादा काम होता था, लेकिन अब ये लोग भी काम को तरश रहे हैं. यहां तक कि ऑटो और ई रिक्शा वालों की भी कमाई पर भारी असर पड़ा है.

कम छात्रों की संख्या से कोटा की अर्थव्यवस्था पर पड़ा असर (ETV Bharat Kota)

कोटा. कोचिंग सिटी के नाम से पहचाने जाने वाले शहर कोटा में इस बार हालात ठीक नहीं हैं. कोचिंग संस्थानों में बच्चे कम आने का नुकसान अब साफ तौर पर नजर आने लगे हैं. लोगों के रोजगार पर इसका सीधा असर देखा जा रहा है. कई दुकानों में ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. कई लोगों ने कोचिंग एरिया से अपने बिजनेस को बंद कर दिया. कोचिंग संस्थानों में स्टाफ की सैलरी में कटौती की गई है. कुछ कोचिंग संस्थानों ने अपने कुछ स्टाफ को घर तक भेज दिया है. पहले जहां कोचिंग सिटी के बाजार छात्रों की चहल-पहल से पूरे दिन गुलजार रहते थे, लेकिन आज हालात इसके उलट हैं. बच्चे कम होने के चलते दुकानों पर भीड़ खत्म हो गई है. कई दुकानों पर ताले लटके हुए हैं.

कोचिंग संस्थानों ने स्टाफ को भेजा घर : कुछ कोचिंग संस्थानों में तो स्टाफ को घर भेज दिया गया है. इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक कोचिंग संस्थान में करीब 250 के आसपास लोगों की छुट्टी कर दी गई है. इसमें बैक स्टाफ से लेकर हाउसकीपिंग और मेंटेनेंस का स्टाफ शामिल है. साथ ही कुछ फैकेल्टी को भी घर भेजा गया है. एक अन्य कोचिंग संस्थान में 10 से 30 फीसदी तक सैलरी कम कर दी गई है. इसके अलावा वेरिएबल के तौर पर भी कुछ तनख्वाह के हिस्से को कम कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ें- कोचिंग सिटी कोटा में इस बार घटी छात्रों की संख्या, बने कोरोना जैसे हालात... हॉस्टल्स में लगे ताले - Less Students in Kota Coaching

कई मैस हो गए बंद : महावीर नगर फर्स्ट में मैस चलाने वाले सुनील जैन का कहना है कि उनके आसपास की कई मैस बंद हो गई. उनकी मैस में 250 स्टूडेंट की स्ट्रैंथ है. साल 2022 में स्टूडेंट बढ़ने पर उन्होंने कैपेसिटी बढ़ा दी थी, लेकिन इस साल केवल 60 से 70 बच्चे उनकी मैस में खाना खाने पहुंच रहे हैं. इसके चलते स्टाफ को भी हटाना पड़ा है. मैस संचालक बलबीर सिंह का कहना है कि उनके अलग-अलग आउटलेट पर 2800 स्टूडेंट खाना खाते थे, लेकिन अब यह संख्या आधी हो गई है. इसी के चलते उन्होंने स्टाफ को भी हटाया है.

Students in Kota
Facts File (ETV Bharat GFX)

किराया ज्यादा होने से दुकानें खाली : लैंडमार्क सिटी और अन्य कोचिंग एरिया में स्टूडेंट्स के ज्यादा रहने की वजह से दुकानों का किराया भी काफी ज्यादा था. इस एरिया के दुकानदारों को अच्छा टर्नओवर भी मिल रहा था. इसलिए उन्हें ज्यादा किराया देने में कोई नहीं थी, लेकिन अब कम छात्रों की वजह से उनकी दुकानदारी पर असर पड़ा है. अब कई दुकानदारों के लिए किराया निकाल पाना भारी पड़ रहा है. लैंडमार्क इलाके में दुकानों का किराया 25,000 रुपये महीने तक है. इसलिए कई दुकानदार दुकान खाली करके चले गए हैं.

हर बिजनेस पर नजर आ रहा असर : मैस संचालक बलबीर सिंह का कहना है कि कोचिंग एरिया में चलने वाले रेस्टोरेंट, रोड साइड फूडकोर्ट, जूस सेंटर, टी स्टॉल, मोची, टेलर, ड्राईक्लीनिंग, फुटकर सब्जी व फ्रूट विक्रेता, डेयरी, खोमचे, फास्टफूड, हेयर सैलून, ऑटो, टैक्सी, रेस्टोरेंट, साइकल, बाइक रेंट, फोटो स्टूडियो, फोटोकॉपी, किराना, जनरल स्टोर, मोबाइल रिपेयरिंग, स्टेशनरी, प्रिंटिंग व डेली यूज शॉप का व्यापार बड़े स्तर पर चल रहा था, लेकिन अब व्यापार 50 फीसदी से कम चल रहा है. अधिकांश लोग अपने बिजनेस को दूसरी जगह शिफ्ट करने का प्रयास कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Special: कोटा में स्टूडेंट का टोटा, कोचिंग सेंटर्स ने की फीस में की भारी कटौती - coaching institutes reduce fees

अब पहले से आधा रिवेन्यू : कोटा में कोचिंग करने आने वाला छात्र हर साल कोचिंग फीस, हॉस्टल व पीजी के किराए के अलावा जरूरी आवश्यक सामानों और खाने-पीने की चीजों पर करीब एक लाख औसत खर्च कर देता है. कोटा में साल 2022 में 2 लाख से ज्यादा विद्यार्थी थे. पिछले साल छात्रों की संख्या 1.80 लाख थी. हर साल करीब 1800 से 2000 करोड़ रुपये कोटा में छात्र जरूरत के सामानों पर खर्च कर रहे थे. कोचिंग एरिया की दुकानों पर ही यह खर्च होता था. अब छात्र आधे रह जाने पर यह खर्चा भी करीब 1000 करोड़ से कम रहेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि कोटा की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी.

छोटे कामगारों की मुश्किल : दूसरी तरफ हॉस्टल में भी कई हाउसकीपिंग स्टाफ की छुट्टी कर दी गई है. हॉस्टल्स में बच्चे नहीं होने पर सफाई और बर्तन साफ करने वाली बाई, सिक्योरिटी गॉर्ड, वार्डन, कुक और हेल्पर बेरोजगार हो गए हैं. हास्टल एरिया में काम करने वाले धोबी, एसी-कूलर मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन और प्लम्बर के पास पहले ज्यादा काम होता था, लेकिन अब ये लोग भी काम को तरश रहे हैं. यहां तक कि ऑटो और ई रिक्शा वालों की भी कमाई पर भारी असर पड़ा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.