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Shocking Revelation : 'मृत' नौसेना के रिटायर्ड जवान को 20 साल बाद दिल्ली पुलिस ने पकड़ा और फिर... - Dead Man Found alive

Shocking Revelation, 20 साल पहले दोस्त की हत्या कर खुद को बचाने के लिए नौसेना से रिटायर्ड जवान ने खुद की झूठी मौत की साजिश रजी. उसने दो मजदूरों को ट्रक में जिंद जला दिया और खुद भाग गया. परिजनों ने भी एक शव की पहचान कर ली. इसके बाद आरोपी के नाम से नौसेना से पत्नी को पेंशन मिलता रहा. अब इतने सालों बाद आरोपी को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा है, जिसे राजस्थान पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर लाएगी. जानिए पूरा मामला...

Retired Navy Officer Conspired his own death
Retired Navy Officer Conspired his own death
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 17, 2024, 6:05 PM IST

Updated : Mar 17, 2024, 6:18 PM IST

जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के डांगियावास थाना क्षेत्र में 2004 में एक हादसे में मृत घोषित नौसेना का रिटायर्ड जवान करीब 20 साल बाद जीवित पाया गया है. इस दौरान वह अपना नाम बदलकर रह रहा था. फिलहाल, वह दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की हिरासत में है, जिसे डांगियावास थाना पुलिस जल्द प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आएगी. पुलिस ने रविवार को उसपर षड्यंत्र कर दो व्यक्तियों की हत्या करने का मामला भी दर्ज किया है. आरोप है कि उसने खुद को मृत घोषित करने के लिए दो लोगों को ट्रक में जिंदा जलाया था. इसके बाद खुद वहां से भाग गया था.

डांगियावास थाने के सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार के अनुसार 1 मई 2004 को डांगियावास थाना क्षेत्र के पीथावास फांटा के पास एक ट्रक में आग लगने से दो लोगों के जिंदा जलने की सूचना थाने को मिली थी. इस पर तत्कालीन पुलिस ने मर्ग दर्ज किया था. परिजनों ने मृतक की पहचान ट्रक चालक पूर्व सैनिक बालेश कुमार के रूप में की थी, जबकि दूसरा अज्ञात रहा था. इसके बाद बालेश कुमार की पत्नी संतोष ने नौसेना से स्वर्गीय पति के नाम की पेंशन लेना शुरू कर दी.

बालेश कुमार के भाई ने इंश्योरेंस क्लेम से जले हुए ट्रक का मुआवजा भी उठा लिया था, जबकि सच्चाई कुछ और थी. आरोप है कि बालेश कुमार ने ही गत्ते से भरे ट्रक में आग लगाई थी, जिसमें उसके साथ आए बिहार के मजदूर मनोज और मुकेश जल गए थे. पुलिस को दो शव मिले थे, जिसमें से एक की पहचान बालेश कुमार के नाम से हुई थी.

पढ़ें. जिसकी छोड़ दी थी जीवित रहने की उम्मीद, 10 साल बाद मिला जीवित, परिवार में छाई खुशी

अमन सिंह के नाम से रहने लगा : डांगियावास थाना पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर खुद को मृत घोषित करवाने के बाद बालेश कुमार दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में अमन सिंह के रूप में रहने लगा, जबकि वह मूलत हरियाणा के पानीपत का रहने वाला था. इस दौरान उसने अपना ड्राइविंग लाइसेंस सहित सारे दस्तावेज अमन सिंह के नाम से बना लिए. उसकी पत्नी संतोष विधवा के रूप में पेंशन लेती रही. वो दोनों लगातार साथ नहीं रहते थे. समय-समय पर दोनों एक दूसरे से मिलते थे.

वर्ष 2023 के अक्टूबर महीने में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि खुद को मृत घोषित कर एक व्यक्ति दूसरे नाम से वहां रह रहा है. इसके बाद पुलिस ने उसको पकड़ा. पूछताछ में उसने भाई के साथ हत्या करना कबूला. उसके खिलाफ नेवी में चोरी का मामला भी चल रहा है. लगातार पूछताछ में उसने डांगियावास की घटना भी पुलिस को बताई. हाल ही में दिल्ली पुलिस की सूचना पर डांगियावास से पुलिस दिल्ली गई और तिहाड़ जेल में बंद बालेश कुमार से पूछताछ करके आई है.

दोस्त की हत्या कर भागा था बालेश : 1996 में नौसेना से सेवानिवृत होने के बाद बालेश कुमार अपने भाई सुंदरलाल के साथ मिलकर ट्रांसपोर्ट का काम करने लगा था. वह ट्रक भी चलाता था. इस दौरान उसकी मित्रता राजेश उर्फ खुशीराम से हुई. उसकी पत्नी से उसके संबंध बन गए. इसको लेकर एक दिन शराब पीते हुए दोनों के बीच बहस हुई थी, जिसके बाद सुंदरलाल और बालेश ने मिलकर राजेश की हत्या कर दी. इसके बाद बालेश वहां से भाग गया, जबकि पुलिस ने कुछ समय बाद सुंदरलाल को पकड़ लिया. इस दौरान बालेश ने अपने आप को बचाने के लिए बिहार के दो मजदूरों को ट्रक में लेकर रवाना हुआ. 1 मई 2004 को उसने डांगियावास में षड्यंत्र कर पूरी घटना को अंजाम दिया. घटना के बाद उसकी पत्नी और अन्य परिजनों ने शव की पहचान भी कर ली. इससे वह मृत घोषित हो गया. डांगियावास पुलिस ने बालेश के परिजनों को गलत पहचान करने को लेकर भी आरोपी बनाया है.

जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के डांगियावास थाना क्षेत्र में 2004 में एक हादसे में मृत घोषित नौसेना का रिटायर्ड जवान करीब 20 साल बाद जीवित पाया गया है. इस दौरान वह अपना नाम बदलकर रह रहा था. फिलहाल, वह दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की हिरासत में है, जिसे डांगियावास थाना पुलिस जल्द प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आएगी. पुलिस ने रविवार को उसपर षड्यंत्र कर दो व्यक्तियों की हत्या करने का मामला भी दर्ज किया है. आरोप है कि उसने खुद को मृत घोषित करने के लिए दो लोगों को ट्रक में जिंदा जलाया था. इसके बाद खुद वहां से भाग गया था.

डांगियावास थाने के सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार के अनुसार 1 मई 2004 को डांगियावास थाना क्षेत्र के पीथावास फांटा के पास एक ट्रक में आग लगने से दो लोगों के जिंदा जलने की सूचना थाने को मिली थी. इस पर तत्कालीन पुलिस ने मर्ग दर्ज किया था. परिजनों ने मृतक की पहचान ट्रक चालक पूर्व सैनिक बालेश कुमार के रूप में की थी, जबकि दूसरा अज्ञात रहा था. इसके बाद बालेश कुमार की पत्नी संतोष ने नौसेना से स्वर्गीय पति के नाम की पेंशन लेना शुरू कर दी.

बालेश कुमार के भाई ने इंश्योरेंस क्लेम से जले हुए ट्रक का मुआवजा भी उठा लिया था, जबकि सच्चाई कुछ और थी. आरोप है कि बालेश कुमार ने ही गत्ते से भरे ट्रक में आग लगाई थी, जिसमें उसके साथ आए बिहार के मजदूर मनोज और मुकेश जल गए थे. पुलिस को दो शव मिले थे, जिसमें से एक की पहचान बालेश कुमार के नाम से हुई थी.

पढ़ें. जिसकी छोड़ दी थी जीवित रहने की उम्मीद, 10 साल बाद मिला जीवित, परिवार में छाई खुशी

अमन सिंह के नाम से रहने लगा : डांगियावास थाना पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर खुद को मृत घोषित करवाने के बाद बालेश कुमार दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में अमन सिंह के रूप में रहने लगा, जबकि वह मूलत हरियाणा के पानीपत का रहने वाला था. इस दौरान उसने अपना ड्राइविंग लाइसेंस सहित सारे दस्तावेज अमन सिंह के नाम से बना लिए. उसकी पत्नी संतोष विधवा के रूप में पेंशन लेती रही. वो दोनों लगातार साथ नहीं रहते थे. समय-समय पर दोनों एक दूसरे से मिलते थे.

वर्ष 2023 के अक्टूबर महीने में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि खुद को मृत घोषित कर एक व्यक्ति दूसरे नाम से वहां रह रहा है. इसके बाद पुलिस ने उसको पकड़ा. पूछताछ में उसने भाई के साथ हत्या करना कबूला. उसके खिलाफ नेवी में चोरी का मामला भी चल रहा है. लगातार पूछताछ में उसने डांगियावास की घटना भी पुलिस को बताई. हाल ही में दिल्ली पुलिस की सूचना पर डांगियावास से पुलिस दिल्ली गई और तिहाड़ जेल में बंद बालेश कुमार से पूछताछ करके आई है.

दोस्त की हत्या कर भागा था बालेश : 1996 में नौसेना से सेवानिवृत होने के बाद बालेश कुमार अपने भाई सुंदरलाल के साथ मिलकर ट्रांसपोर्ट का काम करने लगा था. वह ट्रक भी चलाता था. इस दौरान उसकी मित्रता राजेश उर्फ खुशीराम से हुई. उसकी पत्नी से उसके संबंध बन गए. इसको लेकर एक दिन शराब पीते हुए दोनों के बीच बहस हुई थी, जिसके बाद सुंदरलाल और बालेश ने मिलकर राजेश की हत्या कर दी. इसके बाद बालेश वहां से भाग गया, जबकि पुलिस ने कुछ समय बाद सुंदरलाल को पकड़ लिया. इस दौरान बालेश ने अपने आप को बचाने के लिए बिहार के दो मजदूरों को ट्रक में लेकर रवाना हुआ. 1 मई 2004 को उसने डांगियावास में षड्यंत्र कर पूरी घटना को अंजाम दिया. घटना के बाद उसकी पत्नी और अन्य परिजनों ने शव की पहचान भी कर ली. इससे वह मृत घोषित हो गया. डांगियावास पुलिस ने बालेश के परिजनों को गलत पहचान करने को लेकर भी आरोपी बनाया है.

Last Updated : Mar 17, 2024, 6:18 PM IST
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