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निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी का निधन, 3 साल से त्याग दिया था अन्न - Swami Ramchandra Giri passes away - SWAMI RAMCHANDRA GIRI PASSES AWAY

निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी ब्रह्रालीन हो गए. वह 104 साल के थे. उन्हें केदारघाट पर जल समाधि दी गई. उनकी षोडशी पर देश के संतों का समागम होगा.

SWAMI RAMCHANDRA GIRI PASSES AWAY
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 16, 2024, 9:29 AM IST

Updated : Apr 16, 2024, 9:36 AM IST

वाराणसी : काशी में 104 साल के निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी रविवार को ब्रह्मलीन हो गए. बिरदोपुर स्थित कैलाश मठ से उनके भक्तों ने उनके पार्थिव शरीर संग शोभायात्रा निकाली. महामंडलेश्वर ने तीन साल से अन्न का त्याग कर दिया था. वह मूल रूप से गुजरात के रहने वाले थे. वह गुजरात पुलिस में भी रहे थे. अध्यात्म में गहरी रुचि होने की वजह से उन्होंने संन्यास ले लिया था.

स्वामी रामचंद्र का जन्म गुजरात के गांधीनगर के विलोदरा गांव में हुआ था. शुरुआती दौर में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह गुजरात पुलिस में भर्ती हो गए. कुछ समय तक उन्होंने सेवा दी. इसके बाद उनका मन भगवत भक्ति में रम गया. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. बिहार के मगध पहुंचकर वहां गंगा तट पर वट वृक्ष के नीचे 12 वर्षों तक तपस्या की. भिक्षाटन के साथ लोगों को गीता का उपदेश देते रहे.

साल 1949 में वह काशी आ गए. उनकी संत सेवा भावना से प्रभावित होकर कैलाश मठ के तत्कालीन महामंडलेश्वर ने 1980 में आश्रम की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी. उनके उत्तराधिकारी महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरी ने बताया कि स्वामी रामचंद्र गिरी निरंजनी अखाड़े के सबसे वरिष्ठ महामंडलेश्वर थे.

उन्होंने करीब 3 साल से अन्न का त्याग कर दिया था. इससे वह कमजोर हो गए थे. वह बेड पर ही थे. सिर्फ तरल पदार्थ ही ले रहे थे. रविवार को वह ब्रह्रालीन हो गए. सोमवार को केदारघाट पर उन्हें जलसमाधि दी गई. उनकी षोडशी पर 29 अप्रैल को भंडारा, श्रद्धांजलि समारोह व संत समागम आयोजित होगा. इसमें देशभर के संत-महंत, महामंडलेश्वर आएंगे.

यह भी पढ़ें : श्मशान पर जलती चिताओं के बीच सजी महफिल, मणिकर्णिका घाट पर अगला जन्म सुधारने के लिए जमकर नाची नगर वधुएं

वाराणसी : काशी में 104 साल के निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी रविवार को ब्रह्मलीन हो गए. बिरदोपुर स्थित कैलाश मठ से उनके भक्तों ने उनके पार्थिव शरीर संग शोभायात्रा निकाली. महामंडलेश्वर ने तीन साल से अन्न का त्याग कर दिया था. वह मूल रूप से गुजरात के रहने वाले थे. वह गुजरात पुलिस में भी रहे थे. अध्यात्म में गहरी रुचि होने की वजह से उन्होंने संन्यास ले लिया था.

स्वामी रामचंद्र का जन्म गुजरात के गांधीनगर के विलोदरा गांव में हुआ था. शुरुआती दौर में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह गुजरात पुलिस में भर्ती हो गए. कुछ समय तक उन्होंने सेवा दी. इसके बाद उनका मन भगवत भक्ति में रम गया. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. बिहार के मगध पहुंचकर वहां गंगा तट पर वट वृक्ष के नीचे 12 वर्षों तक तपस्या की. भिक्षाटन के साथ लोगों को गीता का उपदेश देते रहे.

साल 1949 में वह काशी आ गए. उनकी संत सेवा भावना से प्रभावित होकर कैलाश मठ के तत्कालीन महामंडलेश्वर ने 1980 में आश्रम की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी. उनके उत्तराधिकारी महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरी ने बताया कि स्वामी रामचंद्र गिरी निरंजनी अखाड़े के सबसे वरिष्ठ महामंडलेश्वर थे.

उन्होंने करीब 3 साल से अन्न का त्याग कर दिया था. इससे वह कमजोर हो गए थे. वह बेड पर ही थे. सिर्फ तरल पदार्थ ही ले रहे थे. रविवार को वह ब्रह्रालीन हो गए. सोमवार को केदारघाट पर उन्हें जलसमाधि दी गई. उनकी षोडशी पर 29 अप्रैल को भंडारा, श्रद्धांजलि समारोह व संत समागम आयोजित होगा. इसमें देशभर के संत-महंत, महामंडलेश्वर आएंगे.

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Last Updated : Apr 16, 2024, 9:36 AM IST
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