गया: मंगलवार से बिहार के गया में पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है. पितृ पक्ष मेले के दूसरे दिन फाल्गुनी नदी में स्नान और नदी के तट पर खीर के पिंड से पिंडदान श्राद्ध का विधान है. मान्यता है कि फल्गु नदी के तट पर खीर के पिंड से पिंडदान करने से कुल के सभी पीढ़ियां तृप्त हो जाती है. पितरों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है. मोक्ष नगरी गया जी में फल्गु नदी तट पर खीर के पिंड से पिंडदान श्राद्ध का बड़ा माहात्म्य है.
फल्गु तट पर खीर के पिंड से श्राद्ध: पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन फल्गु नदी में स्नान और फल्गु नदी के तट पर खीर के पिंड से पिंडदान श्राद्ध का विधान है. गया के पूरब में बहने वाली फल्गु नदी है. फल्गु नदी को भगवान विष्णु के शरीर की सुगंध से ओत प्रोत माना जाता है. फल्गु नदी को भगवान विष्णु की जलापूर्ति मानते हैं. यहां पिंडदान की बड़ी महिमा है. यहां खीर के पिंड से पिंडदान किया जाता है.
देश-विदेश के श्रद्धालु करते हैं पितरों के निमित्त पिंडदान: पितृ पक्ष मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. पितृपक्ष मेले में अलग-अलग दिन को अलग-अलग पिंड वेदियों पर पिंडदान और तर्पण का विधान है. पितृ पक्ष मेले के दूसरे दिन फल्गु नदी के तट पर खीर के पिंड से पिंडदान का विधान है. पितृ पक्ष मेले के दूसरे दिन पिंडदानी फल्गु नदी में सबसे पहले स्नान करते हैं. इसके बाद फल्गु नदी के तट पर ही खीर के पिंड से श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड करते हैं. मान्यता है कि फल्गु तट पर खीर के पिंड से पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और समस्त कुल का उद्धार होता है.
6 पीढियो का पिंडदान करने पहुंचा भलोटिया परिवार : महाराष्ट्र के नागपुर से भलोटिया परिवार पिंडदान करने पहुंचा है. यह परिवार छह पीढियों का पिंडदान करने गया जी आया है. 17 दिनों तक रहकर यह परिवार पिंडदान का कर्मकांड करेगा. वर्षा भलोटिया ने बताया कि गयाजी धाम में पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह अद्भुत धार्मिक नगरी है. हर किसी को एक बार जरूर इस मोक्ष धाम में आना चाहिए.
''22 लोग एक साथ आए हैं. अपने पिता माता दादा और बेटी का पिंडदान कर रहे हैं. मेरी पुत्री की असमय मौत हो गई थी. तबीयत खराब थी, जिसके कारण जान चली गई थी. उसकी मोक्ष की कामना के निमित पिंडदान कर रहे हैं. इसके अलावा माता-पिता दादा का भी पिंडदान करने आए हैं.''- उमेश कुमार भलोटिया, नागपुर से पहुंचे पिंडदानी
आज्ञा लेकर शुरू किया कर्मकांड : वहीं, इस संबंध में गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार ने बताया कि आज गया जी पहुंचे तीर्थ यात्रियों ने गया पाल पंडों से पिंडदान करने किया का आज्ञा लिया. गया जी में पिंडदान का कर्मकांड का अधिकार हम लोगों ने तीर्थ यात्रियों को दिया, जिसके बाद पिंडदान का कर्मकांड पिंडदानियों के द्वारा शुरू किया गया है. पावन फल्गु तट पर आज का पिंडदान होता है. यह अमावस के दूसरे दिन नाना नानी का श्राद्ध तक चलेगा.
धर्म ग्रंथों में फाल्गुनी नदी गंगा के समान: मोक्ष नगरी गया धाम में विष्णु पद मंदिर के ठीक सामने फाल्गुनी नदी है. फाल्गुनी नदी को धर्म ग्रंथो में गंगा कहा जाता है. फाल्गुनी गंगा का बड़ा ही महत्व है. कहा जाता है, कि फल्गु के पानी से जो तर्पण कर दे, उससे भी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. वहीं, वर्तमान में पितृपक्ष मेला चल रहा है और देश-विदेश से लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री अपने पितरों के पिंडदान के निमित गया धाम को पहुंच रहे हैं. अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदानी पितृ पक्ष मेले के दूसरे दिन फल्गु नदी में स्नान और नदी तट पर खीर के पिंड से श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड करेंगे.
खीर के पिंड से पिंडदान करने से कुल का उद्धार: पुराण शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन फल्गु के तट पर खीर के पिंड से पिंडदान करने से पिंडदानी के समस्त पीढ़ियां का उद्धार हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने के बाद विष्णुपद मंदिर में जाकर भगवान विष्णु के जो दर्शन करता है, तो पितर जहां प्रसन्न होते हैं, वही पिंड दानी को कई तरह के धार्मिक लाभ भी प्राप्त हो जाते हैं.
विधि विधान से करना चाहिए पिंडदान: पितृ पक्ष मेले में त्रैपाक्षिक श्राद्ध का विधान होता है, जो पूरे पखवारे तक चलता है. यदि जो त्रैपाक्षिक श्राद्ध में समर्थ नहीं है, वह आठ दिनों का या 5 दिनों का या तीन दिन या 1 दिन का गया श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना कर सकते हैं. मान्यता है, कि गया धाम में पिंडदान करने से पितर को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पितृ पक्ष के दूसरे दिन फल्गु तट पर खीर के पिंड से पिंडदान श्राद्ध का विधान है और इससे पितर को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
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