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पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ओवैसी की याचिका पर सुनवाई को तैयार - PLACES OF WORSHIP ACT

सुप्रीम कोर्ट असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर 17 फरवरी को सुनवाई करेगा, जिसमें पूजा स्थल अधिनियम 1991 को लागू करने की मांग की गई है.

SC agree to hear AIMIM Chief Asaduddin Owaisi plea for implementation of Places of Worship Act
सुप्रीम कोर्ट ओवैसी की याचिका पर सुनवाई को तैयार (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2025, 2:58 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका को सुनने पर सहमति जताई, जिसमें पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को लागू करने की मांग की गई है. इस अधिनियम के तहत किसी स्थान का धार्मिक चरित्र वैसा ही बनाए रखने की बात कही गई है, जैसा वह 15 अगस्त, 1947 को था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह मामला आया, जिसमें जस्टिस संजय कुमार शामिल थे. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष ओवैसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता निजाम पाशा ने कहा कि अदालत इस मुद्दे पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है और नई याचिका को भी उनके साथ जोड़ा जा सकता है.

दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि हैदराबाद के सांसद ओवैसी की नई याचिका को इस मामले पर लंबित मामलों के साथ जोड़ा जाए. पीठ ने कहा कि इस पर 17 फरवरी को उनके समक्ष विचार किया जाएगा.

असदुद्दीन ओवैसी ने यह याचिका पिछले साल दिसंबर में अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर की थी. 12 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून के खिलाफ इसी तरह की कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों पर दावे की मांग करने वाले लंबित मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई थी.

यह भी पढ़ें- 'लव जिहाद' पर यूपी कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ याचिका पर SC ने कहा, 'सनसनीखेज बनाने का प्रयास'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका को सुनने पर सहमति जताई, जिसमें पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को लागू करने की मांग की गई है. इस अधिनियम के तहत किसी स्थान का धार्मिक चरित्र वैसा ही बनाए रखने की बात कही गई है, जैसा वह 15 अगस्त, 1947 को था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह मामला आया, जिसमें जस्टिस संजय कुमार शामिल थे. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष ओवैसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता निजाम पाशा ने कहा कि अदालत इस मुद्दे पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है और नई याचिका को भी उनके साथ जोड़ा जा सकता है.

दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि हैदराबाद के सांसद ओवैसी की नई याचिका को इस मामले पर लंबित मामलों के साथ जोड़ा जाए. पीठ ने कहा कि इस पर 17 फरवरी को उनके समक्ष विचार किया जाएगा.

असदुद्दीन ओवैसी ने यह याचिका पिछले साल दिसंबर में अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर की थी. 12 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून के खिलाफ इसी तरह की कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों पर दावे की मांग करने वाले लंबित मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई थी.

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