सागर: ये पहला मौका है जब मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) का कैमरा स्कैन किया जा रहा है. मध्यप्रदेश वन विभाग और WWF (World Wide Fund for Nature) मिलकर ये कैमरा स्कैन कर रहे हैं. कोर और बफर एरिया मिलाकर 2339 वर्ग किमी में फैले टाइगर रिजर्व को दो ब्लाॅक में बांटकर तीन-तीन रेंज का कैमरा स्कैन किया जा रहा है.
650 ट्रैप कैमरों से चप्पे-चप्पे पर नजर
नौरादेही टाइगर रिजर्व के पहले ब्लाॅक में कैमरा स्कैन चल रहा है और यहां पर 650 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. इस कैमरा स्कैन के जरिए टाइगर, उनकी टैरिटरी और हरकतों पर नजर रखी जा रही है. इसके अलावा नौरादेही टाइगर रिजर्व में वाइल्डलाइफ और बाॅयोडार्यवर्सिटी का भी अध्ययन किया जा रहा है. करीब एक महीना तक एक ब्लाॅक के कैमरा स्कैन के बाद मिलने वाले आंकड़ों का विश्लेषण करके टाइगर रिजर्व के प्रबंधन की आगामी योजनाएं बनाई जाएंगी.
टाइगर रिजर्व बनने के बाद पहली बार कैमरा स्कैन
वैसे तो हर टाइगर रिजर्व की फेज-4 गणना में कैमरा स्कैन किया जाता है लेकिन नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिले एक साल ही बीता है. क्षेत्रफल ज्यादा होने के कारण पहली बार कैमरा स्कैन किया जा रहा है. फिलहाल कोर एरिया में कैमरा स्कैन किया जा रहा है. फिर बफर एरिया में कैमरा स्कैन किया जाएगा. नौरादेही टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 2,339 वर्ग किमी है. जिसमें कोर एरिया 1,414 वर्ग किमी और बफर एरिया 925.12 वर्ग किमी है.
15 दिसंबर को पूरा होगा पहले ब्लॉक का स्कैन
पहले चरण में नौरादेही, डोंगरगांव और सर्रा रेंज में कैमरा ट्रैप किया जा रहा है. पहले ब्लाॅक के लिए 7 नवबंर से ट्रैप कैमरा लगाए गए हैं जिनको 15 दिसंबर को हटाया जाएगा. दूसरे ब्लाॅक में 30 दिसंबर से मोहली, झापन और सिंगपुर में कैमरा ट्रैप शुरू किया जाएगा. फेज - 4 की गणना में एक ब्लाॅक में एक महीने तक ट्रैप कैमरा लगे रहते हैं.
कैसे होता है कैमरा स्कैन
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ ए ए अंसारी बताते हैं कि "इसमें ग्रिड बना रहता है. पूरे टाइगर रिजर्व को ग्रिड में बांटा जाता है. एक ग्रिड का एरिया 2 वर्ग किमी का होता है. हर ग्रिड में हम 2 कैमरे लगाते हैं. ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाता है,जहां ज्यादा से ज्यादा बाघ और दूसरे वन्यजीवों के गुजरने की संभावना होती है. वहां पर लकड़ी की सहायता से या पेड़ों पर ट्रैप कैमरा बांधते हैं. आसपास की झाड़ियों को साफ कर दिया जाता है."
दोनों समय स्टाॅफ, चौकीदार, वनकर्मी, अधिकारी और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम के सदस्य जाते हैं. हर एक हफ्ते में कम्प्यूटर में डाटा डाउनलोड कर लेते हैं और फिर मैमोरी कार्ड लगा दिया जाता है. ये लगातार एक महीना तक किया जाता है, फिर जो डाटा मिलता है, उसे स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट जबलपुर भेजा जाता है, जहां उसका विश्लेषण करते हैं.
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'फेज-4 कैमरा स्कैन स्टार्ट'
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ ए ए अंसारी बताते हैं कि "पूरे टाइगर रिजर्व को स्कैन करने का मकसद टाइगर टैरिटरी और दूसरे वन्यजीवों पर नजर रखना है. हम लोगों ने फेज-4 कैमरा स्कैन स्टार्ट कर दिया है. इसके लिए दो ब्लाॅक बनाए गए हैं. पहले ब्लाॅक में 3 रेंज ली है, जिनमें डोंगरगांव, नौरादेही और सर्रा में हम लोगों ने 650 ट्रैप कैमरे लगाए हैं. एक महीने तक लगातार ये ट्रैप कैमरा लगे रहेंगे. वहां का डाटा लेने के बाद बाकी तीन रेंज में लगाएंगे. इसमें डब्ल्यूडब्ल्यूएफ हमारा काफी सहयोग कर रहा है."