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कर्नाटक विधानसभा में हंगामा: वक्फ संपत्ति, पंचमसाली आरक्षण के मुद्दों पर गरमागरम बहस - RUCKUS IN KARNATAKA ASSEMBLY

शीतकालीन सत्र के पहले दिन सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच गहरी मतभेद देखने को मिले और दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे.

कर्नाटक विधानसभा
कर्नाटक विधानसभा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 9, 2024, 10:43 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहा, क्योंकि वक्फ संपत्ति विवाद और पंचमसाली समुदाय आरक्षण की मांग के मुद्दे पर कार्यवाही हावी रही, जिसके कारण तीखी नोकझोंक हुई और व्यवधान उत्पन्न हुआ.विधानसभा के पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शोरगुल और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल रहा, जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर को व्यवस्था बहाल करने के लिए कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा.

सत्र की शुरुआत परंपरागत शोक प्रस्ताव से हुई, जिसके बाद अध्यक्ष खादर ने अध्यक्ष की कुर्सी के जीर्णोद्धार और सुवर्ण विधान सौध में बसवन्ना के अनुभव मंडप की पेंटिंग लगाने की घोषणा की. हालांकि, विपक्ष के नेता आर अशोक द्वारा वक्फ संपत्ति मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए प्राथमिकता की मांग करने पर तनाव तेजी से बढ़ गया.

'मंदिरों को वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है'
अशोक ने आरोप लगाया कि बसवन्ना के मंदिरों को वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों में हंगामा मच गया. मंत्री डॉ शरण प्रकाश पाटिल ने कड़े शब्दों में जवाब देते हुए भाजपा और आरएसएस पर बसवन्ना के आदर्शों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया.पाटिल ने कहा कि भाजपा के पास बसवन्ना के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उनके कार्यों ने हमेशा उनके दर्शन का विरोध किया है.जिससे हंगामा और बढ़ गया.

बीजेपी का तत्काल बहस पर जोर
वहीं, मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने सरकार के रुख का बचाव करते हुए कहा कि वे वक्फ मुद्दे को संबोधित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन प्रक्रियात्मक नियमों का पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन भाजपा राजनीतिक नाटकबाजी पर सदन का समय बर्बाद कर रही है." प्रश्नोत्तर सत्र के बाद चर्चा की अनुमति देने के अध्यक्ष खादर के बार-बार आश्वासन के बावजूद, भाजपा सदस्यों ने तत्काल बहस पर जोर दिया, जिससे और अधिक अराजकता पैदा हो गई.

पंचमसाली आरक्षण आंदोलन को दबाने का आरोप
सत्र में एक और नाटकीय मोड़ तब आया जब भाजपा विधायक यतनाल,सी सी पाटिल और अरविंद बेलाडा ने सदन के वेल में धरना दिया और सरकार पर पंचमसाली आरक्षण आंदोलन को दबाने का आरोप लगाया. उन्होंने समुदाय की मांगों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली की अनुमति देने से प्रशासन के इनकार की आलोचना की और इसे लोकतंत्र विरोधी बताया.

शोरगुल भरे विरोध प्रदर्शन के बीच, अशोक ने सरकार पर असहमति को दबाने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया, "यह सरकार न्याय की मांग करने वाली आवाज़ों को चुप कराकर लोकतंत्र की हत्या कर रही है." हंगामा जारी रहने पर स्पीकर खादर ने सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी.

यह भी पढ़ें- इंडिया गठबंधन की पार्टियों को भी नहीं रहा कांग्रेस पर भरोसा: नरेश बंसल

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहा, क्योंकि वक्फ संपत्ति विवाद और पंचमसाली समुदाय आरक्षण की मांग के मुद्दे पर कार्यवाही हावी रही, जिसके कारण तीखी नोकझोंक हुई और व्यवधान उत्पन्न हुआ.विधानसभा के पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शोरगुल और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल रहा, जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर को व्यवस्था बहाल करने के लिए कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा.

सत्र की शुरुआत परंपरागत शोक प्रस्ताव से हुई, जिसके बाद अध्यक्ष खादर ने अध्यक्ष की कुर्सी के जीर्णोद्धार और सुवर्ण विधान सौध में बसवन्ना के अनुभव मंडप की पेंटिंग लगाने की घोषणा की. हालांकि, विपक्ष के नेता आर अशोक द्वारा वक्फ संपत्ति मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए प्राथमिकता की मांग करने पर तनाव तेजी से बढ़ गया.

'मंदिरों को वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है'
अशोक ने आरोप लगाया कि बसवन्ना के मंदिरों को वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों में हंगामा मच गया. मंत्री डॉ शरण प्रकाश पाटिल ने कड़े शब्दों में जवाब देते हुए भाजपा और आरएसएस पर बसवन्ना के आदर्शों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया.पाटिल ने कहा कि भाजपा के पास बसवन्ना के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उनके कार्यों ने हमेशा उनके दर्शन का विरोध किया है.जिससे हंगामा और बढ़ गया.

बीजेपी का तत्काल बहस पर जोर
वहीं, मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने सरकार के रुख का बचाव करते हुए कहा कि वे वक्फ मुद्दे को संबोधित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन प्रक्रियात्मक नियमों का पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन भाजपा राजनीतिक नाटकबाजी पर सदन का समय बर्बाद कर रही है." प्रश्नोत्तर सत्र के बाद चर्चा की अनुमति देने के अध्यक्ष खादर के बार-बार आश्वासन के बावजूद, भाजपा सदस्यों ने तत्काल बहस पर जोर दिया, जिससे और अधिक अराजकता पैदा हो गई.

पंचमसाली आरक्षण आंदोलन को दबाने का आरोप
सत्र में एक और नाटकीय मोड़ तब आया जब भाजपा विधायक यतनाल,सी सी पाटिल और अरविंद बेलाडा ने सदन के वेल में धरना दिया और सरकार पर पंचमसाली आरक्षण आंदोलन को दबाने का आरोप लगाया. उन्होंने समुदाय की मांगों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली की अनुमति देने से प्रशासन के इनकार की आलोचना की और इसे लोकतंत्र विरोधी बताया.

शोरगुल भरे विरोध प्रदर्शन के बीच, अशोक ने सरकार पर असहमति को दबाने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया, "यह सरकार न्याय की मांग करने वाली आवाज़ों को चुप कराकर लोकतंत्र की हत्या कर रही है." हंगामा जारी रहने पर स्पीकर खादर ने सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी.

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