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जम्मू कश्मीर में पुराने वाहनों से निपटने की तैयारी, RTO ने पर्यावरण सेस लगाने का रखा प्रस्ताव - ENVIRONMENTAL CESS

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 16, 2024, 7:29 PM IST

Environmental Cess for Older Vehicles: एक औपचारिक प्रस्ताव के मुताबिक, कश्मीर में पंजीकरण के समय 10 वर्ष से अधिक पुराने सेकेंड हैंड वाहनों पर पर्यावरण सेस लगाए जाने की योजना पर विचार हो रहा है. जानें आखिर क्यों आरटीओ ने ऐसा प्रस्ताव दिया है.

Older Vehicles to Combat Pollution
प्रतीकात्मक तस्वीर (AFP)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में अन्य राज्यों से आने वाले पुराने वाहनों से पर्यावरण सेस वसूले जाने की योजना है. खबर के मुताबिक, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) कश्मीर ने औपचारिक रूप से जम्मू-कश्मीर में रजिस्ट्रेशन के समय 10 साल से ज्यादा पुराने सेकेंड हैंड वाहनों पर पर्यावरण सेस लगाने का प्रस्ताव रखा है. यह कदम दूसरे राज्यों से आने वाले पुराने वाहनों के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए उठाया जा रहा है.

आरटीओ ने जम्मू-कश्मीर के परिवहन आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि, श्रीनगर और जम्मू में इस तरह के वाहनों के प्रवेश से यातायात की भीड़ बढ़ गई है और पार्किंग की कमी हो रही है. साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

परिवहन आयुक्त को लिखे पत्र में आरटीओ ने कहा है कि, सेकेंड-हैंड वाहन, जो अक्सर अपने मूल राज्यों में अपने ऑपरेशनल लाइफ के अंत के करीब होते हैं, आमतौर पर कम कीमतों पर यहां बेच दिए जाते हैं. जिससे जम्मू-कश्मीर ऐसे पुराने मॉडल की गाड़ियों लिए एक पसंदीदा स्थान बन गया है. क्षेत्र में पुराने वाहनों को कम कीमतों में खरीदने के चलन ने सड़क बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है.

आरटीओ ने बताया कि 9 प्रतिशत की मौजूदा सड़क उपयोग कर दर नए और सेकेंड हैंड वाहनों दोनों के लिए समान है, जो पुराने, उच्च-उत्सर्जन वाहनों के पंजीकरण को प्रभावी रूप से कम करने में विफल है. प्रस्तावित सेस का उद्देश्य एक दशक से अधिक पुराने वाहनों पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर इस मुद्दे को हल करना है, जिससे उच्च प्रदूषण वाले वाहनों की संख्या कम हो और अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हो. इस राजस्व का उपयोग सार्वजनिक परिवहन और पार्किंग सुविधाओं में सुधार सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.

आरटीओ ने पड़ोसी राज्यों के मानकों के अनुरूप जम्मू-कश्मीर में वाणिज्यिक वाहनों के परिचालन जीवन को सीमित करने का भी सुझाव दिया. इस तरह के उपाय प्राइवेट वाहनों पर भविष्य के नियमों के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम कर सकते हैं. साथ ही क्षेत्र में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: चक्का जाम से यात्री परेशान, ऑटो-टैक्सी चालकों ने सरकार को बताया जिम्मेदार

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में अन्य राज्यों से आने वाले पुराने वाहनों से पर्यावरण सेस वसूले जाने की योजना है. खबर के मुताबिक, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) कश्मीर ने औपचारिक रूप से जम्मू-कश्मीर में रजिस्ट्रेशन के समय 10 साल से ज्यादा पुराने सेकेंड हैंड वाहनों पर पर्यावरण सेस लगाने का प्रस्ताव रखा है. यह कदम दूसरे राज्यों से आने वाले पुराने वाहनों के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए उठाया जा रहा है.

आरटीओ ने जम्मू-कश्मीर के परिवहन आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि, श्रीनगर और जम्मू में इस तरह के वाहनों के प्रवेश से यातायात की भीड़ बढ़ गई है और पार्किंग की कमी हो रही है. साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

परिवहन आयुक्त को लिखे पत्र में आरटीओ ने कहा है कि, सेकेंड-हैंड वाहन, जो अक्सर अपने मूल राज्यों में अपने ऑपरेशनल लाइफ के अंत के करीब होते हैं, आमतौर पर कम कीमतों पर यहां बेच दिए जाते हैं. जिससे जम्मू-कश्मीर ऐसे पुराने मॉडल की गाड़ियों लिए एक पसंदीदा स्थान बन गया है. क्षेत्र में पुराने वाहनों को कम कीमतों में खरीदने के चलन ने सड़क बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है.

आरटीओ ने बताया कि 9 प्रतिशत की मौजूदा सड़क उपयोग कर दर नए और सेकेंड हैंड वाहनों दोनों के लिए समान है, जो पुराने, उच्च-उत्सर्जन वाहनों के पंजीकरण को प्रभावी रूप से कम करने में विफल है. प्रस्तावित सेस का उद्देश्य एक दशक से अधिक पुराने वाहनों पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर इस मुद्दे को हल करना है, जिससे उच्च प्रदूषण वाले वाहनों की संख्या कम हो और अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हो. इस राजस्व का उपयोग सार्वजनिक परिवहन और पार्किंग सुविधाओं में सुधार सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.

आरटीओ ने पड़ोसी राज्यों के मानकों के अनुरूप जम्मू-कश्मीर में वाणिज्यिक वाहनों के परिचालन जीवन को सीमित करने का भी सुझाव दिया. इस तरह के उपाय प्राइवेट वाहनों पर भविष्य के नियमों के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम कर सकते हैं. साथ ही क्षेत्र में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है.

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