जोधपुर: अपने ही आश्रम की एक शिष्या के साथ यौन दुराचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को आखिरकार करीब 11 साल 7 महीने बाद मंगलवार को पहली बार अंतरिम जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद आसाराम राजस्थान के मामले में राहत मिलने तक जेल से बाहर नहीं आ सकते थे, इसलिए उनके अधिवक्ताओं ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 31 मार्च तक आसाराम को अंतरिम जमानत मंजूर कर दी है.
अधिवक्ता यशपाल सिंह राजपुरोहित ने बताया कि 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिलने तक वह जेल से बाहर नहीं आ सकते थे. आसाराम की जमानत की याचिकाएं पहले भी खारिज हो चुकी थीं, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर उनकी जमानत को मंजूरी दी, क्योंकि उन्हें इलाज की आवश्यकता थी.
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31 मार्च तक जमानत : अधिवक्ता ने जानकारी दी कि राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए आसाराम को 31 मार्च 2025 तक की अंतरिम जमानत दी है, लेकिन इस दौरान उन्हें कई शर्तों का पालन करना होगा. इन शर्तों के अनुसार आसाराम अपने अनुयायियों से नहीं मिल सकते और उन्हें मीडिया से भी दूरी बनाए रखनी होगी. इसके अलावा जमानत के दौरान उन्हें चिकित्सा उपचार करवाने के बाद 31 मार्च तक जोधपुर सेंट्रल जेल लौटना होगा.
इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को इलाज के लिए नवंबर और दिसंबर में अंतरिम पैरोल भी दी थी, जिसमें उन्हें पुणे स्थित माधव बाग अस्पताल में इलाज करवाने की अनुमति दी गई थी. इस दौरान उन्हें पुलिस सुरक्षा में अस्पताल में इलाज करना था और अनुयायियों से मिलना भी मना था. आसाराम को 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तब से वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद था. अब 11 साल बाद उसे बड़ी राहत मिली है.