नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर विभिन्न प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में दिल्ली गवर्नमेंट एम्प्लॉई वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव उमेश बत्रा ने इस बजट को ग्रुप ए, बी और सी के कर्मचारियों लिए निराशाजनक करार दिया है. वहीं, ग्रुप डी के कर्मचारियों को राहत मिलने की बात कही है. दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार के ग्रुप डी कर्मचारियों की संख्या करीब डेढ़ लाख है.
सरकारी कर्मचारियों में सिर्फ इन्हें फायदा: उमेश बत्रा ने कहा, दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार के कुल करीब 4.25 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. इसमें से ग्रुप डी के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी कार्यरत हैं. बजट में 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त किए जाने के फैसले से सिर्फ ग्रुप डी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा.
इन कर्मचारियों में नाराजगी: उन्होंने इस बजट को ग्रुप ए, बी और सी के कर्मचारियों के लिए असंतोषजनक बताया. साथ ही कहा कि सरकार ने आयकर और अन्य करों में बढ़ोतरी कर दी है, जिससे इन कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसके अलावा शिक्षा ऋण पर मिलने वाली छूट को भी हटा दिया गया है, जिससे कर्मचारियों के बच्चों की उच्च शिक्षा महंगी हो जाएगी. सरकार की यह नीति मध्यम वर्ग के कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ डालने वाली है.
कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ा: उन्होंने आगे कहा कि सरकारी विभागों में करीब 45 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार नई भर्तियां करने के बजाय मौजूदा कर्मचारियों से अधिक काम करा रही है. इससे कर्मचारियों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है और वे मानसिक तनाव में आ रहे हैं. अगर सरकार ने ग्रुप ए, बी और सी के कर्मचारियों की अनदेखी जारी रखी, तो हम मजबूरन आंदोलन करेंगे.
क्या बजट से केंद्र सरकार के प्रति झुकाव बढ़ेगा: राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा ने कहा कि कि इस बजट से जिन लोगों को राहत मिली है, उनका झुकाव केंद्र सरकार की तरफ बढ़ेगा. इसका राजनीतिक फायदा भी मिल सकता है. दूसरी ओर ग्रुप ए, बी और सी के सरकारी कर्मचारियों में विशेष राहत न मिलने से नाराजगी भी देखी जा सकती है.
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