गया : उपचुनाव में बिहार की सियासी पिच पर उतरते ही प्रशांत किशोर और उनकी टीम हिट विकेट होती नजर आ रही है. खुद को चुनावी रणनीतिकार बताने वाले प्रशांत किशोर 'प्रैक्टिकल' में फेल साबित हो रहे हैं. पहले उम्मीदवार के चयन में जल्दबाजी दिखाई, फिर उम्मीदवारों की कलह के वजह से कुर्सियां चलीं, अब चार सीटों पर प्रशांत किशोर के उम्मीदवारों की डिग्री नया संकट लेकर आई है. ऐसे में प्रशांत किशोर की दूरदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं.
इंटरमीडिएट 2013 : उपचुनाव में चार उम्मीदवार प्रशांत किशोर ने उतारे हैं. लेकिन चार के चारों या तो इंटर हैं या मैट्रिक. इनमें इमामगंज विधानसभा के प्रत्याशी ये नहीं बता पा रहे हैं कि वो इंटरमीडिएट किस सन में पास हैं? पूछने पर कभी 1994 तो कभी 1996 बता रहे हैं, लेकिन चुनावी हलफनामे पर 'इंटरमीडिएट 2013' लिखकर आए हैं. इंटरमीडिएट होकर ही वह 'डॉक्टर' भी बन गए. समाज में 'डॉक्टर साहब शिशु रोग विशेषज्ञ' भी हो गए. अब ऐसे में सवाल उठता है कि इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा 1996 में पास की या 2013 में? और क्या कोई इंटर पास व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है? इन दोनों सवालों का जवाब उन्होंने स्वयं दिया.
पीके ने झोलाछाप को बना दिया उम्मीदवार? : सबसे बड़ी बात उन्होंने उपजीविका के कॉलम में समाज सेवा और रजिस्टर्ड चिकित्सक के रूप में सेवा करने वाला दर्शाया है. जिसके बाद सभी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए. इस पर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ''मैं बीएचएमडी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर चौधरी राजनंदन प्रसाद के साथ 10 साल रहा. वे शिशु रोग विशेषज्ञ थे, मैं 10 साल साथ रहा, तो मैं भी शिशु रोग विशेषज्ञ हुआ.''
हलफनामे में यह बताया : जितेंद्र कुमार बताते हैं, कि वह गरीब घराने के बेटा रहे हैं. बीएचएमडी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर चौधरी राजनंदन प्रसाद के साथ 10 साल तक रहे. पेशे से 'ग्रामीण चिकित्सक' है. ग्रामीण के बीच फर्स्ट ऐड करते हैं. बिना पैसे का भी इलाज करते हैं. अभी ग्रामीण चिकित्सक हैं. बीएनवाईएस जोधपुर से डॉक्टर की डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं. अभी सेकंड ईयर चल रहा है.
ये है हकीकत : इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी ओपन संस्थान से 'डॉक्टर' की डिग्री नहीं मिलती है. इंटरमीडिएट पास खुद को डॉक्टर नहीं बता सकता है. यदि कोई ऐसा करता है और खुद को रजिस्टर्ड चिकित्सक बताता है, तो यह गलत है. कोई भी 'ग्रामीण चिकित्सक' खुद को डॉक्टर नहीं लिख सकता है. यदि चुनाव में कोई ग्रामीण चिकित्सक उम्मीदवार खुद को डॉक्टर बता कर प्रचार कर रहे हैं, तो यह फर्जीवाड़ा का मामला है. हालांकि उनके फार्म की स्क्रूटनी के बाद जितेन्द्र पासवान का नामांकन रद्द नहीं हुआ. वैसे 'डॉक्टर' से जुड़े कई बातों को लेकर जितेंद्र कुमार चुप्पी साध गए.
"किसी भी ओपन संस्थान से डॉक्टर की डिग्री नहीं मिलती. इंटरमीडिएट पास खुद को डॉक्टर नहीं बता सकता है. यदि कोई खुद को रजिस्टर्ड चिकित्सक बताता है तो यह गलत है. कोई भी ग्रामीण चिकित्सक खुद को डॉक्टर नहीं लिख सकता है. यदि चुनाव में कोई ग्रामीण चिकित्सक उम्मीदवार है और खुद को डॉक्टर बताकर प्रचार कर रहा है तो यह फर्जीवाड़ा का मामला है."- स्वास्थ्य विभाग विशेषज्ञ
जितेन्द्र पासवान पर 2 केस दर्ज : इमामगंज विधानसभा से जनसुराज के उम्मीदवार जितेंद्र पासवान पर दो केस चल रहे हैं. इनके हाथ में 1 लाख 10 हजार नकदी है. यह रायल बुलेट से चलते हैं. कीमत डेढ़ लाख से अधिक है. इनके पास डेढ़ लाख का सोना भी है. 17 कट्ठा जमीन के मालिक हैं. इन्होंने खुद को समाज सेवा के साथ-साथ रजिस्टर्ड चिकित्सक बताया है. उनकी पत्नी शिक्षिका हैं.
उपचुनाव में PK के दावे फेल : जनसुराज यात्राओं में साफ उम्मीदवार देने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर इन प्रत्याशियों को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं. उपचुनाव का प्रदर्शन 2015 की रूप रेखा तय करेगा. लेकिन जिस तरह से प्रशांत किशोर ने शुरूआत की है. कहीं न कहीं जन सुराज को उसके उद्देश्यों से भटका रहा है.
बिहार विधानसभा उपचुनाव में प्रशांत किशोर का दावा फेल! उम्मीदवारों की डिग्री पर सियासी घमासान