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कवियत्री मधुमिता को गोली मारने वाले शूटर प्रकाश पांडेय की मौत; जानिए- क्या था यूपी की सियासत में भूचाल लाने वाला हत्याकांड - Madhumita Murder Case

यूपी के चर्चित हत्याकांड में एक मधुमिता हत्याकांड के दोषी और शूटर प्रकाश पांडेय की मौत हो गई है. प्रकाश को देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन देहरादून हाईकोर्ट ने उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी.

मधुमिता को गोली मारने वाले प्रकाश पांडेय की मौत.
मधुमिता को गोली मारने वाले प्रकाश पांडेय की मौत. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 13, 2024, 4:27 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 4:52 PM IST

लखनऊ: यूपी के चर्चित हत्याकांड में एक मधुमिता हत्याकांड के दोषी और शूटर प्रकाश पांडेय की मौत हो गई है. प्रकाश पांडेय लखनऊ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था और बीते कई वर्षों से कैंसर से पीड़ित था. गुरुवार को एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरान उसको मौत हो गई. गोरखपुर में उसका अंतिम संस्कार किया गया.

गोरखपुर के राजघाट पर गुरुवार रात उसका अंतिम संस्कार किया गया. प्रकाश पांडेय को इस हत्याकांड में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधु त्रिपाठी के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. शूटर प्रकाश पांडेय वर्ष 2003 में गिरफ्तार हुआ था. अगले 5 वर्ष जेल में रहा. सेशन कोर्ट ने उसे मधुमिता हत्याकांड से बरी कर दिया था. हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने उसे दोषी ठहराते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री अमर मणि त्रिपाठी और पत्नी मधु के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

क्या था मधुमिता हत्याकांड: 9 मई 2003, यह वह तारीख थी, जिसने यूपी की सियासत भूचाल ला दिया था. इस तारीख ने पूर्वांचल के कद्दावर ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के राजीतिक विरासत के प्रबल दावेदार तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचा दिया. एक उभरती युवा कवित्री से अमरमणि का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हुआ और फिर एक कद्दावर नेता का राजनीतिक साम्राज्य ढह गया.

इस चर्चित कहानी के थे तीन मुख्य किरदार : यूपी के चर्चित किस्से की पहली किरदार थी लखीमपुर खीरी की मधुमिता शुक्ला, जिसने ने महज 16 वर्ष की छोटी उम्र से ही मंचों पर वीर रस की कविताओं का पाठ करना शुरू कर दिया था. मधुमिता अपने निडर अंदाज के लिए चर्चित थीं. वह अपनी कविताओं से पीएम तक को खरी-खोटी सुना देती थीं. मधुमिता सफलता के पायदान पर ऊपर चढ़ने लगी थीं और फिर लखनऊ के निशातगंज में आकर रहने लगीं. राजधानी में भी मधुमिता कई मंचों पर जाने लगीं. इन्ही में से एक मंच पर कविता सुनने किस्से के दूसरे किरदार अमरमणि त्रिपाठी की मां और उनकी दोनों बेटियां भी जाती थीं. अमरमणि की बेटियों से मधुमिता की दोस्ती हो गई और मधुमिता का अमरमणि के घर आना-जाना शुरू हो गया.

जब युवा कवियत्री के करीब आए अमरमणि : अमरमणि बसपा सरकार में मंत्री थे, लिहाजा उनके परिवार से करीबी के कारण कवित्री मधुमिता चर्चा में रहने लगीं. यही वजह है उन्हें शोहरत भी खूब मिली. सत्ता के करीबी होने पर वो पावरफुल भी हो गई थीं. इसी दौरान अमरमणि और मधुमिता करीब आ गए और दोनों का इश्क इतना परवान चढ़ा कि मधुमिता प्रेगनेंट हो गईं. जिसकी जानकारी अमरमणि की पत्नी और किस्से की तीसरी किरदार मधु को हो गई. उन्होंने मधुमिता पर गर्भपात कराने का दबाव बनाया, लेकिन मधुमिता ने इंकार कर दिया, तब तक वो चार माह की गर्भवती थीं.

युवा कवियत्री की घर में गोली मार हुई हत्या : तत्कालीन एसपी क्राइम पूर्व आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि मोहर्रम के माह में 9 मई 2003 को निशातगंज के पेपरमिल कालोनी स्थिति सी 33/6 मकान में मधुमिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई. चूंकि इस समय राज्य में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी कद्दावर मंत्री थे, लिहाजा मामला हाई प्रोफाइल जान मौके पर एसएसपी समेत जिले भर की पुलिस पहुंच गई. राजेश पांडेय बताते है कि जब वो अपनी टीम के साथ वारदात के स्थान पर पहुंचे तो मधुमिता के घर पर रहने वाले नौकर देशराज से पूछताछ की गई. उसने बताया कि कुछ लोग आए, जिसमें प्रकाश पांडेय नाम का व्यक्ति शामिल था, उसने मधुमिता को गोली मार दी थी. राजेश पांडेय बताते हैं कि, मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने तत्कालीन एसएसपी लखनऊ अनिल अग्रवाल को अमरमणि और मधुमिता के अवैध संबंधों की जानकारी दी थी.

नवजात का डीएनए जांचने के लिए रास्ते से वापस मंगवाया शव : एक तरह जहां पुलिस अधिकारी हत्याकांड के मामले में लोगों से पूछताछ कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर मधुमिता के शव को पोस्टमार्टम करने के लिए भेज दिया गया. 10 मई को पोस्टमार्टम हाउस में तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पहुंचते हैं. वहां पोस्टमार्टम होने के बाद अमरमणि ने शव वाहन करवा कर जल्दी से लखीमपुर खीरी भिजवा दिया, लेकिन पुलिस मधुमिता के नवजात का डीएनए टेस्ट करवाना चाहती थी, इसलिए शव को भारी विरोध के बावजूद रास्ते से वापस मंगवाकर दोबारा परीक्षण कराया गया.

मधुमिता केस उत्तराखंड हुआ ट्रांसफर : सीबीआई जांच के दौरान कई गवाहों को धमकाया जाने लगा था. ऐसे में मधुमिता की बड़ी बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस को दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की थी. लेकिन कोर्ट ने मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थानांतरित कर दिया था. देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. जबकि एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. हालांकि, बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

यह भी पढ़ें : लोहिया संस्थान का स्थापना दिवस; सीएम योगी बोले- बेवजह दवाओं को लेना और देना दोनों गलत - Foundation day of Lohia Institute

लखनऊ: यूपी के चर्चित हत्याकांड में एक मधुमिता हत्याकांड के दोषी और शूटर प्रकाश पांडेय की मौत हो गई है. प्रकाश पांडेय लखनऊ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था और बीते कई वर्षों से कैंसर से पीड़ित था. गुरुवार को एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरान उसको मौत हो गई. गोरखपुर में उसका अंतिम संस्कार किया गया.

गोरखपुर के राजघाट पर गुरुवार रात उसका अंतिम संस्कार किया गया. प्रकाश पांडेय को इस हत्याकांड में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधु त्रिपाठी के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. शूटर प्रकाश पांडेय वर्ष 2003 में गिरफ्तार हुआ था. अगले 5 वर्ष जेल में रहा. सेशन कोर्ट ने उसे मधुमिता हत्याकांड से बरी कर दिया था. हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने उसे दोषी ठहराते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री अमर मणि त्रिपाठी और पत्नी मधु के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

क्या था मधुमिता हत्याकांड: 9 मई 2003, यह वह तारीख थी, जिसने यूपी की सियासत भूचाल ला दिया था. इस तारीख ने पूर्वांचल के कद्दावर ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के राजीतिक विरासत के प्रबल दावेदार तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को अर्श से जेल की फर्श तक पहुंचा दिया. एक उभरती युवा कवित्री से अमरमणि का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हुआ और फिर एक कद्दावर नेता का राजनीतिक साम्राज्य ढह गया.

इस चर्चित कहानी के थे तीन मुख्य किरदार : यूपी के चर्चित किस्से की पहली किरदार थी लखीमपुर खीरी की मधुमिता शुक्ला, जिसने ने महज 16 वर्ष की छोटी उम्र से ही मंचों पर वीर रस की कविताओं का पाठ करना शुरू कर दिया था. मधुमिता अपने निडर अंदाज के लिए चर्चित थीं. वह अपनी कविताओं से पीएम तक को खरी-खोटी सुना देती थीं. मधुमिता सफलता के पायदान पर ऊपर चढ़ने लगी थीं और फिर लखनऊ के निशातगंज में आकर रहने लगीं. राजधानी में भी मधुमिता कई मंचों पर जाने लगीं. इन्ही में से एक मंच पर कविता सुनने किस्से के दूसरे किरदार अमरमणि त्रिपाठी की मां और उनकी दोनों बेटियां भी जाती थीं. अमरमणि की बेटियों से मधुमिता की दोस्ती हो गई और मधुमिता का अमरमणि के घर आना-जाना शुरू हो गया.

जब युवा कवियत्री के करीब आए अमरमणि : अमरमणि बसपा सरकार में मंत्री थे, लिहाजा उनके परिवार से करीबी के कारण कवित्री मधुमिता चर्चा में रहने लगीं. यही वजह है उन्हें शोहरत भी खूब मिली. सत्ता के करीबी होने पर वो पावरफुल भी हो गई थीं. इसी दौरान अमरमणि और मधुमिता करीब आ गए और दोनों का इश्क इतना परवान चढ़ा कि मधुमिता प्रेगनेंट हो गईं. जिसकी जानकारी अमरमणि की पत्नी और किस्से की तीसरी किरदार मधु को हो गई. उन्होंने मधुमिता पर गर्भपात कराने का दबाव बनाया, लेकिन मधुमिता ने इंकार कर दिया, तब तक वो चार माह की गर्भवती थीं.

युवा कवियत्री की घर में गोली मार हुई हत्या : तत्कालीन एसपी क्राइम पूर्व आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि मोहर्रम के माह में 9 मई 2003 को निशातगंज के पेपरमिल कालोनी स्थिति सी 33/6 मकान में मधुमिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई. चूंकि इस समय राज्य में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी कद्दावर मंत्री थे, लिहाजा मामला हाई प्रोफाइल जान मौके पर एसएसपी समेत जिले भर की पुलिस पहुंच गई. राजेश पांडेय बताते है कि जब वो अपनी टीम के साथ वारदात के स्थान पर पहुंचे तो मधुमिता के घर पर रहने वाले नौकर देशराज से पूछताछ की गई. उसने बताया कि कुछ लोग आए, जिसमें प्रकाश पांडेय नाम का व्यक्ति शामिल था, उसने मधुमिता को गोली मार दी थी. राजेश पांडेय बताते हैं कि, मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने तत्कालीन एसएसपी लखनऊ अनिल अग्रवाल को अमरमणि और मधुमिता के अवैध संबंधों की जानकारी दी थी.

नवजात का डीएनए जांचने के लिए रास्ते से वापस मंगवाया शव : एक तरह जहां पुलिस अधिकारी हत्याकांड के मामले में लोगों से पूछताछ कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर मधुमिता के शव को पोस्टमार्टम करने के लिए भेज दिया गया. 10 मई को पोस्टमार्टम हाउस में तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पहुंचते हैं. वहां पोस्टमार्टम होने के बाद अमरमणि ने शव वाहन करवा कर जल्दी से लखीमपुर खीरी भिजवा दिया, लेकिन पुलिस मधुमिता के नवजात का डीएनए टेस्ट करवाना चाहती थी, इसलिए शव को भारी विरोध के बावजूद रास्ते से वापस मंगवाकर दोबारा परीक्षण कराया गया.

मधुमिता केस उत्तराखंड हुआ ट्रांसफर : सीबीआई जांच के दौरान कई गवाहों को धमकाया जाने लगा था. ऐसे में मधुमिता की बड़ी बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस को दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की थी. लेकिन कोर्ट ने मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थानांतरित कर दिया था. देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. जबकि एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. हालांकि, बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

यह भी पढ़ें : लोहिया संस्थान का स्थापना दिवस; सीएम योगी बोले- बेवजह दवाओं को लेना और देना दोनों गलत - Foundation day of Lohia Institute

Last Updated : Sep 13, 2024, 4:52 PM IST
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