नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को द्रविड़ आंदोलन के नेता पेरियार, द्रमुक पार्टी के नेताओं आदि के खिलाफ टिप्पणी को लेकर भाजपा नेता एच राजा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द करने से इनकार कर दिया. शीर्ष कोर्ट ने कहा, 'राजनीति में लोगों को इस बारे में सतर्क रहना होगा कि वे क्या कहते हैं.'
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने राजनीति में चर्चा की गुणवत्ता पर असंतोष व्यक्त किया और रेखांकित किया कि राजनेताओं को बयान देते समय सावधान रहना चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्री नायडू शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए.
पीठ ने राजा की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, 'हम आपके तर्कों से इतने प्रभावित हैं कि बस यही कहेंगे कि राजनीति में लोगों को इस बारे में सतर्क रहना होगा कि वे क्या बोलते हैं. किसी तरह, हम विमर्श के स्तर को कम कर रहे हैं.'
ये है मामला : राजा पर 2018 में एक सार्वजनिक भाषण और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से पेरियार, डीएमके नेताओं, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग के अधिकारियों और उनकी पत्नियों के खिलाफ कथित तौर पर 'अपमानजनक" टिप्पणी करने के लिए मामला दर्ज किया गया था.
याचिकाकर्ता ने पिछले साल अगस्त में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें भाजपा नेता के खिलाफ तमिलनाडु भर में दर्ज किसी भी एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था.
हाईकोर्ट ने भी दी थी नसीहत : उच्च न्यायालय में एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने राजा के इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने ऐसी टिप्पणियां की थीं क्योंकि वह उस समय बहुत पीड़ा में थे. उच्च न्यायालय ने राजा को याद दिलाया कि वह एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं और इसलिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पीड़ा महसूस करते समय भी अपनी भाषा पर ध्यान दें.