हरिद्वार (उत्तराखंड): जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का 20 अगस्त को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में देहांत हो गया था. 21 अगस्त को उनका पार्थिव शरीर उनके हरिद्वार स्थित पायलट बाबा आश्रम में लाया गया. जहां तमाम साधु संत और अखाड़े से जुड़े पदाधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. वहीं आज यानी 22 अगस्त को जूना अखाड़े के सैकड़ों संतों और पायलट बाबा के हजारों की संख्या में मौजूद अनुयायियों की मौजूदगी में महामंडलेश्वर पायलट बाबा को उनके ही आश्रम में भू-समाधि दी गई.
बता दें कि पायलट बाबा पिछले कुछ समय से गुर्दा रोग से पीड़ित थे. पहले उनका दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था. कुछ दिन पहले ही उन्हें मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था.
आज हरिद्वार में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर परमपूज्य 1008 श्री पायलट बाबा जी महाराज जी की महासमाधि में पहुंच कर उनके अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया। pic.twitter.com/0saq0NsIJl
— Ajay Bhatt (@AjaybhattBJP4UK) August 22, 2024
कौन होगा उत्तराधिकारी: वहीं, अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि पायलट बाबा की अकूत संपत्ति का उत्तराधिकारी कौन होगा. पायलट बाबा की दो महिला शिष्यों और दो संतों के नाम पर लोग चर्चा कर रहे हैं. हालांकि, जूना अखाड़े की तरफ से संरक्षक हरिगिरि का कहना है कि अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. जिसका नाम भी दो तिहाई मत से पास होगा, उसको ही बाबा का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा.
इन्होंने दी श्रद्धांजलि: वहीं बाबा के संभावित उत्तराधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि सभी लोग साथ मिलकर पायलट बाबा के कार्यों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. भू-समाधि के मौके पर पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पूरी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के संरक्षक हरिगिरी, सांसद अजय भट्ट समेत हजारों की संख्या में पायलट बाबा के अनुयायी मौजूद रहे.
कौन थे पायलट बाबा: पायलट बाबा देश के जाने माने संतों में से एक थे. पायलट बाबा का वास्तविक नाम कपिल सिंह था. वे मूल रूप से बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले थे. जिले के नोखा के बिशनपुर में 15 जुलाई 1938 को पायलट बाबा का जन्म हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. इसके बाद उनका चयन भारतीय वायुसेना में हो गया. 1957 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने लड़ाकू विमान की ट्रेनिंग ली.
लड़े तीन युद्ध: पायलट बाबा इंडियन एयरफोर्स में विंग कमांडर भी रहे. उन्होंने साल 1962, 1965, 1971 के युद्ध में बतौर विंग कमांडर हिस्सा लिया था. इन लड़ाईयों में बाबा ने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी. मात्र 33 साल की उम्र में एयरफोर्स से रिटायर्ड होने के बाद वे संन्यासी जीवन जीने लगे. साल 1998 में वे महामंडलेश्वर पद पर आसीन हुए. 2010 में उन्हें उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया गया.
देश-विदेश में बाबा के हजारों अनुयायी: पायलट बाबा का भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में भी कई आश्रम हैं. हरिद्वार, उत्तरकाशी, नैनीताल (उत्तराखंड) और सासाराम (बिहरा) में इनका आश्रम है. साथ ही नेपाल, जापान, सोवियत संघ सहित कई देशों में उनके आश्रम में हजारों अनुयायी रहते हैं.
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