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भूटान की नदी में डोलोमाइट और रेत का जमा ढेर, नदी ने बदला रास्ता तो भारत में आएगी बाढ़ - Flood Warning in India

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 11, 2024, 7:55 PM IST

पश्चिमच बंगाल के जलपाईगुड़ी में भूटान की एक नदी से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. इसका कारण यह है कि नदी में डोलोमाइट और रेत की मात्रा बढ़ गई है, जिसके चलते नदी अपना रास्ता बदल सकती है. इसे लेकर विशेषज्ञों ने भूटान को सूचना दे दी है.

Flood threat in West Bengal
पश्चिम बंगाल में बाढ़ का खतरा (फोटो - ANI Photo)

जलपाईगुड़ी: भूटान की एक नदी में डोलोमाइट और रेत के ढेर जमा हो गए हैं. इसके कारण भूटान से आने वाली भारतीय नदी का मार्ग बदल सकता है, जिससे कई इलाकों में बाढ़ आ सकती है. जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन के सिंचाई विभाग ने संभावित परिणाम के बारे में भूटान को सचेत किया है. भारत में आने वाली नदी के भूटानी हिस्से में डोलोमाइट और रेत जमा है.

इसके परिणामस्वरूप, बरसात के मौसम में नदी का मार्ग बदल सकता है. राज्य सिंचाई विभाग स्वाभाविक रूप से चिंतित है. यदि नदी का मार्ग बदलता है, तो भारत-भूटान सीमा पर भारत के चामुर्ची सहित कई चाय बागान क्षेत्र जल्द ही जलमग्न हो सकते हैं. पूर्वोत्तर सिंचाई विभाग ने पहले ही जिला प्रशासन को इस आशंका के बारे में सूचित कर दिया है.

जिला प्रशासन के माध्यम से भूटान से संपर्क किया जा रहा है. आरोप है कि मिट्टी हटाने वाली मशीनों के जरिए मनमाने तरीके से रेत और पत्थर उठाकर भूटान से आने वाली सुकृति नदी में डाले जा रहे हैं. इतना ही नहीं, पहाड़ के डोलोमाइट को भी नदी में फेंककर समतल किया जा रहा है. मूल रूप से यह रेत, पत्थर, डोलोमाइट भूटान द्वारा व्यापार के लिए उठाया जाता है.

भूटान भारत और बांग्लादेश को रेत, पत्थर और डोलोमाइट का निर्यात भी करता है. इस बीच, मानसून का मौसम भी आने वाला है. इस समय यदि नदी को अपने मार्ग पर नहीं चलने दिया गया तो आपदा निश्चित है. सिंचाई विभाग के उत्तर-पूर्व संभाग के मुख्य अभियंता कृष्णेंदु भौमिक ने आशंका जताई है कि नदी पर जमा रेत, पत्थर और डोलोमाइट के कारण नदी का मार्ग बदल सकता है.

रेती और सुकृति नदियां भूटान से नीचे आती हैं और भारत की खानबर्ती में विलीन हो जाती हैं. रेती और सुकृति नदियां भूटान से नीचे आती हैं और बानरहाट से होकर अंगरावास में मिलती हैं. जब ये दोनों नदियां बहती हैं और रेत और डोलोमाइट के ढेर से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो पहाड़ का पानी नदी के दोनों किनारों से नीचे आकर खतरा पैदा कर देगा.

इस नदी के आसपास 9 चाय बागान हैं. अगर नदी का रुख बदलता है तो भारत-भूटान सीमा पर बड़ी आपदा आने की आशंका है. कंठलगुरी चाय बागान, बानरहाट चाय बागान, न्यू डूआर्स चाय बागान, चूनाबती चाय बागान, कर्बला चाय बागान में पानी घुस सकता है. इतना ही नहीं, अगर नदी का रुख बदलता है, तो भूटान से आने वाली हार्पा रेत और तलछट चामुर्ची इलाके और भारत-भूटान सीमा मार्ग को बहा ले जाएगी.

सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर-पूर्व) कृष्णेंदु भौमिक ने कहा कि 'भूटान में रेत और सुकृति नदी के किनारों पर रेत, पत्थर, डोलोमाइट का ढेर लगा हुआ है. हमें ऐसी तस्वीर मिली है. हमने जिला प्रशासन को लिखित रूप से दृश्य के साथ सूचित कर दिया है. हमारा भूटान से कोई सीधा संपर्क नहीं है. नतीजतन, हर काम जिला प्रशासन के माध्यम से ही करना पड़ता है.'

वहीं धूपगुड़ी की उप-मंडलीय प्रशासक पुष्पा डोलमा लेप्चा ने कहा कि 'हमने खबर मिलने के बाद भूटान को मामले की जानकारी दी है. भूटान की नदी तलहटी में जमा डोलोमाइट, रेत, पत्थर नदी का मार्ग बदल सकते हैं. इससे बड़ी समस्या हो सकती है. भूटान को सूचित करने के बाद पड़ोसी देश ने हमें बताया कि वे 10 दिनों के भीतर रेत, पत्थर, डोलोमाइट हटा देंगे.'

जलपाईगुड़ी: भूटान की एक नदी में डोलोमाइट और रेत के ढेर जमा हो गए हैं. इसके कारण भूटान से आने वाली भारतीय नदी का मार्ग बदल सकता है, जिससे कई इलाकों में बाढ़ आ सकती है. जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन के सिंचाई विभाग ने संभावित परिणाम के बारे में भूटान को सचेत किया है. भारत में आने वाली नदी के भूटानी हिस्से में डोलोमाइट और रेत जमा है.

इसके परिणामस्वरूप, बरसात के मौसम में नदी का मार्ग बदल सकता है. राज्य सिंचाई विभाग स्वाभाविक रूप से चिंतित है. यदि नदी का मार्ग बदलता है, तो भारत-भूटान सीमा पर भारत के चामुर्ची सहित कई चाय बागान क्षेत्र जल्द ही जलमग्न हो सकते हैं. पूर्वोत्तर सिंचाई विभाग ने पहले ही जिला प्रशासन को इस आशंका के बारे में सूचित कर दिया है.

जिला प्रशासन के माध्यम से भूटान से संपर्क किया जा रहा है. आरोप है कि मिट्टी हटाने वाली मशीनों के जरिए मनमाने तरीके से रेत और पत्थर उठाकर भूटान से आने वाली सुकृति नदी में डाले जा रहे हैं. इतना ही नहीं, पहाड़ के डोलोमाइट को भी नदी में फेंककर समतल किया जा रहा है. मूल रूप से यह रेत, पत्थर, डोलोमाइट भूटान द्वारा व्यापार के लिए उठाया जाता है.

भूटान भारत और बांग्लादेश को रेत, पत्थर और डोलोमाइट का निर्यात भी करता है. इस बीच, मानसून का मौसम भी आने वाला है. इस समय यदि नदी को अपने मार्ग पर नहीं चलने दिया गया तो आपदा निश्चित है. सिंचाई विभाग के उत्तर-पूर्व संभाग के मुख्य अभियंता कृष्णेंदु भौमिक ने आशंका जताई है कि नदी पर जमा रेत, पत्थर और डोलोमाइट के कारण नदी का मार्ग बदल सकता है.

रेती और सुकृति नदियां भूटान से नीचे आती हैं और भारत की खानबर्ती में विलीन हो जाती हैं. रेती और सुकृति नदियां भूटान से नीचे आती हैं और बानरहाट से होकर अंगरावास में मिलती हैं. जब ये दोनों नदियां बहती हैं और रेत और डोलोमाइट के ढेर से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो पहाड़ का पानी नदी के दोनों किनारों से नीचे आकर खतरा पैदा कर देगा.

इस नदी के आसपास 9 चाय बागान हैं. अगर नदी का रुख बदलता है तो भारत-भूटान सीमा पर बड़ी आपदा आने की आशंका है. कंठलगुरी चाय बागान, बानरहाट चाय बागान, न्यू डूआर्स चाय बागान, चूनाबती चाय बागान, कर्बला चाय बागान में पानी घुस सकता है. इतना ही नहीं, अगर नदी का रुख बदलता है, तो भूटान से आने वाली हार्पा रेत और तलछट चामुर्ची इलाके और भारत-भूटान सीमा मार्ग को बहा ले जाएगी.

सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर-पूर्व) कृष्णेंदु भौमिक ने कहा कि 'भूटान में रेत और सुकृति नदी के किनारों पर रेत, पत्थर, डोलोमाइट का ढेर लगा हुआ है. हमें ऐसी तस्वीर मिली है. हमने जिला प्रशासन को लिखित रूप से दृश्य के साथ सूचित कर दिया है. हमारा भूटान से कोई सीधा संपर्क नहीं है. नतीजतन, हर काम जिला प्रशासन के माध्यम से ही करना पड़ता है.'

वहीं धूपगुड़ी की उप-मंडलीय प्रशासक पुष्पा डोलमा लेप्चा ने कहा कि 'हमने खबर मिलने के बाद भूटान को मामले की जानकारी दी है. भूटान की नदी तलहटी में जमा डोलोमाइट, रेत, पत्थर नदी का मार्ग बदल सकते हैं. इससे बड़ी समस्या हो सकती है. भूटान को सूचित करने के बाद पड़ोसी देश ने हमें बताया कि वे 10 दिनों के भीतर रेत, पत्थर, डोलोमाइट हटा देंगे.'

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