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कबूतरों से हो जाएं सावधान! Lungs में संक्रमण होने का खतरा, इस खुलासे से उड़ जाएंगे होश

कबूतर यानी की पीजियन ब्रीडर संबंधी बीमारी कबूतरों से होने वाला एक संक्रमण है. इस बीमारी में फेफड़े में संक्रमण हो जाता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 1, 2024, 10:03 PM IST

हैदराबाद: पक्षियों खासकर कबूतरों को लोग दाना खिलाते हैं. वैसे भी बेजुबानों को खाना, दाना-पानी देना चाहिए. हालांकि, इन दिनों पक्षियों से होने वाली कई बीमारियां देखने को मिल रही हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि, कबूतरों को दाना चुगाना इंसान की सेहत के लिए भारी पड़ सकता है. अगर कबूतरों को दाना खिलाते भी हैं तो सावधानी बरते जाने की जरूरत है. इनके संपर्क में आने से फेफड़े से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है. अगर इस बीमारी से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में बड़ी संख्या में लोग कबूतर व अन्य पक्षियों को दाना खिलाते हैं. कई चौराहों पर लोग दाना खरीदते हैं और कबूतरों को दाना खिलाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि पक्षियों से होने वाले संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. कबूतरों के संपर्क में आने कैसे एक इंसान रोग ग्रसित हो जाता है, आइए इसके बारे में जानें...

कबूतरों को दाना देते वक्त रहें सावधान!
कबूतरों के करीब रहने से फेफड़े को नुकसान हो सकता है. वह इसलिए क्योंकि, कबूतरों के पंखों से निकलने वाले बारीक धूल से फेफड़े (Lungs) खराब होते हैं. कबूतरों को दाना खिलाने से उनकी संख्या काफी बढ़ जाती है. जिससे निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. कबूतरों के पंखों से निकलने वाले धूल के कण से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की मौजूदा स्थिति और खराब हो सकती है.

एक जानकारी के मुताबिक, एक मादा कबूतर 48 बच्चों को जन्म देती है. कबूतरों के अत्यधिक संपर्क में आने से एक्सट्रिसिंक एलर्जिक एल्वोलिटिस हो सकता है, जिसे कबूतर ब्रीडर संबंधी रोग के नाम से भी जाना जाता है. लगातार सूखी खांसी, सांस फूलना, बुखार और अस्वस्थता इसके कुछ लक्षण हैं. कबूतरों के संपर्क में प्रतिदिन रहने से फेफड़ों में अपरिवर्तनीय फाइब्रोसिस और यहां तक की एक मरीज की मौत तक हो सकती है.

औसतन एक कबूतर हर साल 11.3 किलोग्राम विषैला मल का त्याग करता है. सूखे मल में बीजाणु होते हैं, जो अगर सांस के साथ अंदर चले जाएं तो, सांस लेने संबंधी बीमारी या यहां तक व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

अंत में हम यह नहीं कहते हैं कि, कबूतरों, पक्षियों से प्रेम नहीं करिए, लेकिन उनसे होने वाले संक्रमण से बचना भी जरूरी है. कबूतरों को दाना खिलाते वक्त सावधानी बरतना बेहद जरूरी है.

ये भी पढ़ें: Delhi: यमुना का प्रदूषित पानी परिंदों के लिए बना खतरा, किडनी फेल, अंधेपन के शिकार हो रहे पक्षी

हैदराबाद: पक्षियों खासकर कबूतरों को लोग दाना खिलाते हैं. वैसे भी बेजुबानों को खाना, दाना-पानी देना चाहिए. हालांकि, इन दिनों पक्षियों से होने वाली कई बीमारियां देखने को मिल रही हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि, कबूतरों को दाना चुगाना इंसान की सेहत के लिए भारी पड़ सकता है. अगर कबूतरों को दाना खिलाते भी हैं तो सावधानी बरते जाने की जरूरत है. इनके संपर्क में आने से फेफड़े से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है. अगर इस बीमारी से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में बड़ी संख्या में लोग कबूतर व अन्य पक्षियों को दाना खिलाते हैं. कई चौराहों पर लोग दाना खरीदते हैं और कबूतरों को दाना खिलाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि पक्षियों से होने वाले संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. कबूतरों के संपर्क में आने कैसे एक इंसान रोग ग्रसित हो जाता है, आइए इसके बारे में जानें...

कबूतरों को दाना देते वक्त रहें सावधान!
कबूतरों के करीब रहने से फेफड़े को नुकसान हो सकता है. वह इसलिए क्योंकि, कबूतरों के पंखों से निकलने वाले बारीक धूल से फेफड़े (Lungs) खराब होते हैं. कबूतरों को दाना खिलाने से उनकी संख्या काफी बढ़ जाती है. जिससे निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. कबूतरों के पंखों से निकलने वाले धूल के कण से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की मौजूदा स्थिति और खराब हो सकती है.

एक जानकारी के मुताबिक, एक मादा कबूतर 48 बच्चों को जन्म देती है. कबूतरों के अत्यधिक संपर्क में आने से एक्सट्रिसिंक एलर्जिक एल्वोलिटिस हो सकता है, जिसे कबूतर ब्रीडर संबंधी रोग के नाम से भी जाना जाता है. लगातार सूखी खांसी, सांस फूलना, बुखार और अस्वस्थता इसके कुछ लक्षण हैं. कबूतरों के संपर्क में प्रतिदिन रहने से फेफड़ों में अपरिवर्तनीय फाइब्रोसिस और यहां तक की एक मरीज की मौत तक हो सकती है.

औसतन एक कबूतर हर साल 11.3 किलोग्राम विषैला मल का त्याग करता है. सूखे मल में बीजाणु होते हैं, जो अगर सांस के साथ अंदर चले जाएं तो, सांस लेने संबंधी बीमारी या यहां तक व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

अंत में हम यह नहीं कहते हैं कि, कबूतरों, पक्षियों से प्रेम नहीं करिए, लेकिन उनसे होने वाले संक्रमण से बचना भी जरूरी है. कबूतरों को दाना खिलाते वक्त सावधानी बरतना बेहद जरूरी है.

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