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वक्फ बोर्ड के चुनाव में अनियमितताओं को लेकर याचिका दायर, हाई कोर्ट से की ये मांग - KARNATAKA HIGH COURT

मुतवल्ली के चुनावों के लिए संशोधित मतदाता सूची को चुनौती देते हुए छह याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

वक्फ बोर्ड के चुनाव में अनियमितताओं को लेकर याचिका दायर
वक्फ बोर्ड के चुनाव में अनियमितताओं को लेकर याचिका दायर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2024, 9:11 PM IST

Updated : Dec 8, 2024, 10:45 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली के चुनावों के लिए संशोधित मतदाता सूची को चुनौती देते हुए छह याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में मतदाता सूची में गंभीर प्रक्रियागत उल्लंघन और हेराफेरी का आरोप लगाया गया है.इतना ही नहीं याचिका में अधिकारियों पर भी पक्षपात और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया गया है.

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 22 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित संशोधित मतदाता सूची कर्नाटक वक्फ नियम, 2017 का पालन किए बिना तैयार की गई थी. उनका दावा है कि सूची में पात्र मुतवल्लियों को छोड़ दिया गया है, जबकि बिना किसी औचित्य के मनमाने ढंग से अन्य लोगों को जोड़ दिया गया है.

नई लिस्ट में कई जिलों में मतदाता प्रतिनिधित्व में भारी बदलाव किया गया है, जिससे पक्षपातपूर्ण समावेशन और बहिष्कार की चिंताएं बढ़ गई हैं. उदाहरण के लिए,बेंगलुरु शहरी क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 92 से घटकर 51 रह गई, जबकि बेलगावी में मतदाताओं की संख्या 16 से बढ़कर 59 हो गई.

परिवर्तनों से कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को लाभ
याचिका में प्रक्रियागत खामियों को भी उजागर किया गया है, जिसमें कानून के अनुसार प्रारंभिक मतदाता सूची प्रकाशित करने या आपत्तियां आमंत्रित करने में विफलता शामिल है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इससे प्रभावित व्यक्तियों को परिवर्तनों को चुनौती देने का अवसर नहीं मिला.उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इन परिवर्तनों से कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को लाभ मिलता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता कम होती है.

कब शुरू हुआ विवाद?
मतदाता सूची विवाद 15 अक्टूबर 2024 के पिछले न्यायालय के आदेश के बाद हुआ है, जिसमें अधिकारियों को अनियमितताओं की पहचान के बाद मतदाता सूची को संशोधित करने का निर्देश दिया गया था. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि कुछ ही दिनों में जल्दबाजी में प्रकाशित नई सूची न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन नहीं करती है.

वे लगभग 31,000 वक्फ संस्थानों को बाहर करने पर भी सवाल उठाते हैं, उनका तर्क है कि 1 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय का योग्यता मानदंड इतनी बड़ी संख्या को वास्तविक रूप से अयोग्य नहीं ठहरा सकता.विवाद को और बढ़ाते हुए निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति और चुनाव कार्यक्रम सहित चुनाव प्रक्रिया की घोषणा मतदाता सूची के साथ ही उसी दिन की गई, जिससे अधिकारियों की मंशा और पारदर्शिता पर और संदेह पैदा हो गया.

याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा मतदाता सूची को रद्द करने और अगर जरूरी हो, तो इसके आधार पर हुए चुनावों को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है. वे कानून का अनुपालन करने वाली नई मतदाता सूची और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया तैयार करने की मांग करते हैं.

इस के अलावा याचिका में 19 नवंबर 2024 को निर्धारित चुनाव परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने की मांग की गई है, जब तक कि अदालत मामले का समाधान नहीं कर लेती. यह मामला राज्य में वक्फ संस्थानों के शासन के लिए व्यापक निहितार्थों के साथ, वक्फ बोर्ड चुनावों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही के बारे में बढ़ती चिंताओं को रेखांकित करता है.

यह भी पढ़ें- Maharashtra: वक्फ बोर्ड का 300 एकड़ जमीन पर दावा, 100 से ज्यादा किसानों को भेजा नोटिस

बेंगलुरु: कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली के चुनावों के लिए संशोधित मतदाता सूची को चुनौती देते हुए छह याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में मतदाता सूची में गंभीर प्रक्रियागत उल्लंघन और हेराफेरी का आरोप लगाया गया है.इतना ही नहीं याचिका में अधिकारियों पर भी पक्षपात और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया गया है.

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 22 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित संशोधित मतदाता सूची कर्नाटक वक्फ नियम, 2017 का पालन किए बिना तैयार की गई थी. उनका दावा है कि सूची में पात्र मुतवल्लियों को छोड़ दिया गया है, जबकि बिना किसी औचित्य के मनमाने ढंग से अन्य लोगों को जोड़ दिया गया है.

नई लिस्ट में कई जिलों में मतदाता प्रतिनिधित्व में भारी बदलाव किया गया है, जिससे पक्षपातपूर्ण समावेशन और बहिष्कार की चिंताएं बढ़ गई हैं. उदाहरण के लिए,बेंगलुरु शहरी क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 92 से घटकर 51 रह गई, जबकि बेलगावी में मतदाताओं की संख्या 16 से बढ़कर 59 हो गई.

परिवर्तनों से कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को लाभ
याचिका में प्रक्रियागत खामियों को भी उजागर किया गया है, जिसमें कानून के अनुसार प्रारंभिक मतदाता सूची प्रकाशित करने या आपत्तियां आमंत्रित करने में विफलता शामिल है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इससे प्रभावित व्यक्तियों को परिवर्तनों को चुनौती देने का अवसर नहीं मिला.उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इन परिवर्तनों से कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को लाभ मिलता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता कम होती है.

कब शुरू हुआ विवाद?
मतदाता सूची विवाद 15 अक्टूबर 2024 के पिछले न्यायालय के आदेश के बाद हुआ है, जिसमें अधिकारियों को अनियमितताओं की पहचान के बाद मतदाता सूची को संशोधित करने का निर्देश दिया गया था. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि कुछ ही दिनों में जल्दबाजी में प्रकाशित नई सूची न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन नहीं करती है.

वे लगभग 31,000 वक्फ संस्थानों को बाहर करने पर भी सवाल उठाते हैं, उनका तर्क है कि 1 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय का योग्यता मानदंड इतनी बड़ी संख्या को वास्तविक रूप से अयोग्य नहीं ठहरा सकता.विवाद को और बढ़ाते हुए निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति और चुनाव कार्यक्रम सहित चुनाव प्रक्रिया की घोषणा मतदाता सूची के साथ ही उसी दिन की गई, जिससे अधिकारियों की मंशा और पारदर्शिता पर और संदेह पैदा हो गया.

याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा मतदाता सूची को रद्द करने और अगर जरूरी हो, तो इसके आधार पर हुए चुनावों को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है. वे कानून का अनुपालन करने वाली नई मतदाता सूची और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया तैयार करने की मांग करते हैं.

इस के अलावा याचिका में 19 नवंबर 2024 को निर्धारित चुनाव परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने की मांग की गई है, जब तक कि अदालत मामले का समाधान नहीं कर लेती. यह मामला राज्य में वक्फ संस्थानों के शासन के लिए व्यापक निहितार्थों के साथ, वक्फ बोर्ड चुनावों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही के बारे में बढ़ती चिंताओं को रेखांकित करता है.

यह भी पढ़ें- Maharashtra: वक्फ बोर्ड का 300 एकड़ जमीन पर दावा, 100 से ज्यादा किसानों को भेजा नोटिस

Last Updated : Dec 8, 2024, 10:45 PM IST
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